इस बार कौन मारेगा बाजी?, देखिए नगर पालिका जौनपुर की यह रिपोर्ट | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
निकाय चुनाव के लिए प्रत्याशी अब पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर चुके हैं. सभी प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों ने नामांकन भी कर दिया. नाम वापसी और नामांकन रद्द नहीं हुआ तो ये सभी प्रत्याशी मैदान में डटे रहेंगे. इसका फैसला भी जल्द हो जाएगा.
जौनपुर नगर पालिका सीट की बात करें तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने मनोरमा मौर्या को अपना प्रत्याशी बनाया है. मनोरमा मौर्या नगर पालिका परिषद जौनपुर के निवर्तमान सभासद डॉ. रामसूरत मौर्या की पत्नी है. इनके पति भाजपा नगर इकाई के उपाध्यक्ष भी हैं. डॉ. रामसूरत की बात करें तो वह जमीनी नेता है. जनता से जुड़े रहते हैं और मौर्य समाज में उनका दबदबा भी है.
मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति होने के नाते पार्टी ने भी उनका सम्मान किया और नगर पालिका की सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होने के चलते उनकी पत्नी को मैदान में उतार दिया. अब देखना है कि पार्टी के पदाधिकारी, कार्यकर्ता का साथ उन्हें कितना मिलता है और वोट में कितना तब्दील होता है?
बात समाजवादी पार्टी की करें तो यहां पर पार्टी के जमीनी नेता श्रवण जायसवाल ने बाजी मार ली. पिछली बार इस सीट पर पार्टी ने पूनम मौर्या को मैदान में उतारा था. वह दूसरे स्थान पर थी. इस बार पार्टी ने श्रवण जायसवाल की पत्नी उषा जायसवाल पर दांव लगाया है. 2012 के चुनाव में पार्टी ने किसी को सिम्बल नहीं दिया था जिस वजह से कई प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिनमें श्रवण जायसवाल भी थे. उस दौरान उन्होंने रिक्शा की सवारी की थी और हार का सामना करना पड़ा था.
आम आदमी पार्टी भी पूरे दमखम से चुनाव मैदान में उतरी है. इस बार पार्टी ने सपा का दामन छोड़कर आयी डॉ. चित्रलेखा निखिलेश सिंह को मैदान में उतारा है. सपा से पहले डॉ. चित्रलेखा कांग्रेस में थी. 2017 में हुए निकाय चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरी थी और चौथे स्थान पर थी. उन्हें 11560 वोट मिला था. डॉ. चित्रलेखा सिंह के पति निखिलेश सिंह बिजली कर्मचारी संघ अध्यक्ष और श्री दुर्गा पूजा महासमिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं.
अब बात करते हैं टंडन परिवार की. 2000 से नगर पालिका जौनपुर की सीट पर टंडन परिवार का कब्जा है. 05.12.2000 को पहली बार नगर पालिका परिषद जौनपुर के अध्यक्ष के रूप में दिनेश टंडन चुने गए. इसके बाद आरक्षण को लेकर चुनाव 2 साल तक नहीं हुआ. 2007 में हुए चुनाव में एक बार फिर टंडन ने जीत दर्ज की. इसी तरह 2012 में भी टंडन ने हैट्रिक लगाई.
2017 में नगर पालिका की सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई. इस बार लोगों को लगा कि अब टंडन राज खत्म हो जाएगा, लेकिन टंडन ने अपनी पत्नी माया टंडन को मैदान में उतारकर 2017 में फिर से इस सीट पर जीत का परचम लहराया. अब इस बार भी माया टंडन चुनावी मैदान में है. अब देखना है कि इस बार कौन प्रत्याशी चुनावी मैदान मारने में सफल होता है?
- आजादी के बाद के अध्यक्षों का कार्यकाल
रामलगन सिंह-24.04.1948-29.11.1953
बलदेव जी मेहरोत्रा-30.11.1953-29.11.1957
रामेश्वर प्रसाद सिंह-30.11.1957-29.06.1959
यदुनाथ राय-30.06.1959-26.09.1960
शिव नरायन सिंह-26.09.1960-08.02.1961
राम नरायन बैंकर-08.02.1961-22.04.1961
नाजिम हुसैन-22.04.1961-27.03.1962
जयराम मौर्य-28.03.1962-16.05.1962
दीनानाथ खन्ना-17.05.1962-13.09.1962
प्रशासक-14.09.1962-10.11.1967
मायाशंकर श्रीवास्तव-11.11.1967-22.08.1969
संतसेवक लाल-23.08.1969-11.11.1972
प्रशासक-11.11.1972-07.02.1989
सीताराम यादव-08.02.1989-07.02.1994
प्रशासक-07.02.1994-30.11.1995
सन्ध्यारानी श्रीवास्तव-01.12.1995-30.11.2000
दिनेश टण्डन - 05.12.2000 से 2005
2005 से 2007 तक प्रशासक राज
दिनेश टंडन - 2007 से 2012
दिनेश टंडन - 2012 से 2017
माया टण्डन - 2017 से 2022
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