जौनपुर: दुनिया में न रहने के बाद भी उनका संस्कार परिवार को आ रहा काम | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
भातृत्व प्रेम को किया चरितार्थ, परिवार को प्रेरणा लेने की जरूरत
टीडीपीजी कॉलेज के पूर्व प्रबंधक अशोक कुमार सिंह की दूसरी पुण्यतिथ पर स्मृति विशेष....
जौनपुर। उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री उमानाथ सिंह के अनुज भाई टीडीपीजी कॉलेज के प्रबंधक व र्इंट भट्ठा एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष व भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे स्व.अशोक कुमार सिंह दुनिया में भले न हों लेकिन उनकी प्रेरणा आज भी परिवार को मिल रही है। 12 नवंबर 1942 को महरूपुर गांव निवासी रामसूरत सिंह के दूसरे बेटे के रूप में जन्म लिये थे। पूर्व मंत्री उमानाथ सिंह के निधन के बाद भातृत्व प्रेम को चरितार्थ करते हुए परिवार की बागडोर जिस तरह से संभाली और परिवार में जो संस्कार का बीज बोया उससे पूरा परिवार अभिसिंचित हो रहा है। धार्मिक प्रवृत्ति उनके अंदर इस तरह कूट कूटकर भरी थी कि वह हर महीने अयोध्याय में भगवान राम का दर्शन पूजन करने के लिए जरूर जाते थे। यही नहीं महीने में एक बार वाराणसी स्थित संकट मोचन मंदिर भी जाते थे। किसी भी कार्यक्रम में वह बोलने के दौरान चौपाई सुनाकर भाषण देते थे। उनक ो पूरा रामायण कंठस्थ था क्योंकि वह प्रतिदिन रामायण का पाठ करते थे लेकिन दुर्भाग्य रहा कि 15 अप्रैल 2021 को वाराणसी के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। उस दिन जिले में पंचायत चुनाव था सारे लोग उसमें लगे थे जैसे ही दोपहर में उनके निधन की सूचना मिली कि जिले में शोक की लहर दौड़ गई। उस दौरान कोरोना का दौर था उसके बावजूद काफी संख्या मंे लोग उनके नखास स्थित आवास पर शोक संवेदना प्रकट करने के लिए पहुंचने लगे। वहां से उनका शव सीधे टीडीपीजी कॉलेज में ठा.तिलकधारी सिंह की प्रतिमा के समक्ष रखा गया जिसपर कॉलेज के प्राचार्य, शिक्षक एवं अन्य लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। उसके बाद उनका पार्थिव शरीर उनके पैत्रिक गांव महरूपुर ले जाया गया जिसके बाद वाराणसी के मर्णिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार हुआ। धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति होने के कारण उनके पुत्रों ने उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर महरूपुर में बने विशाल हनुमान मंदिर पर कई दिनों तक पूजा पाठ व प्रवचन होने के बाद 15 अप्रैल 2022 को श्रद्धांजलि दी गई। उसी तरह इस साल भी 15 अप्रैल 2023 को उसी स्थान पर श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम आयोजित होगा। बतातें चलें कि लगभग 27 साल तक उन्होंने टीडीपीजी कॉलेज क े प्रबंधक रहे और वह अपने कार्यकाल में बहुतों को नौकरी देकर उनके परिवार के भरण पोषण का आधार बने। उनके अंदर समाज सेवा और धार्मिक प्रवृत्ति इस कदर घर गई थी कि वह कोरोना काल में टीडीपीजी कॉलेज की तरफ से लगभग पांच लाख रूपये का चेक प्रशासन को इस उद्देश्य से सहयोग किया कि गरीबों के काम आयेगा। यही नहीं अयोध्या में बन रहे भव्य भगवान राम के मंदिर में भी वह अपने टीडीपीजी कॉलेज से पांच लाख का चेक मंदिर के ट्रस्ट के नाम बनवाकर स्वंय जाकर दिये। उन्होंने अपने जीवन काल में जो भी शिक्षण संस्थाएं स्थापित की वह अपने बड़े भाई पूर्व मंत्री स्व.उमानाथ सिंह के नाम से की। अपने पिता रामसूरत सिंह के नाम से और अपनी मां प्यारी देवी के नाम से भी किया। उन्होंने भातृत्व प्रेम को चरितार्थ किया और परिवार को संस्कार दिया उसी के बदौलत उनके बडे़ बेटे टीडीपीजी कॉलेज के प्रबंधक राघवेंद्र प्रताप सिंह, इं.देवेंद्र प्रताप सिंह, इं.शिवेंद्र प्रताप सिंह, धर्मेंद्र प्रताप सिंह एवं उनके बड़े भाई के पुत्र पूर्व सांसद डॉ.कृष्ण प्रताप सिंह परिवार के संस्कार को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। इस परिवार में एक बहुत बड़ी खासियत यह है कि छोटे और बड़े का लिहाज किया जाता है और उनके दरवाजे पर जाने वाले हर इंसान का ख्याल रखा जाता है।
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