नया सवेरा नेटवर्क
वाराणसी। राजघाट पर गंगा का किनारा, रंगबिरंगी रोशनी की चकाचौंध। इसके बीच मुंबइया कलाकारों ने फ्यूजन संगीत की तरंग छेड़ी। दुनिया भर में डंका बजा रहे ‘माटी बानी बैंड के कलाकारों ने फ्यूजन संगीत में शोर को दूर रखा और सुरों के सहारे गीतों की परवाज भरी। वहीं यूफोरिया बैण्ड की प्रस्तुति इसके ठीक उलट रही। धूमधड़ाके के शोर में गीत-संगीत गुम हो गया।
कार्यक्रम का शानदार आगाज माटी बानी बैंड की लीड सिंगर निराली कार्तिक के सुरीले गीत से हुआ। उन्होंने विभिन्न प्रांतों के लोक संगीत को पाश्चात्य साजों के साथ आवाज दी। कार्तिक शाह के साथ निराली ने सधे अंदाज में गीत-संगीत के सफर को आगे बढ़ाया। ‘मृगनयनी हो यार नवल रसिया मृगनयनी गीत पर एक-एक श्रोता उनके साथ सुर मिलाता दिखा।
बैंड के नूर मोहम्मद ने दो बांसुरी एक साथ बजा कर श्रोताओं को अपना मुरीद बना लिया। एक बांसुरी बेस का काम कर रही थी तो दूसरी से वह स्वरों के आरोह-अवरोह का जादू बिखेर रहे थे। बैंड की प्रस्तुति के बाद संचालक अंकिता खत्री के पूछने पर रूस और चीन के प्रतिनिधियों ने मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की। इस टीम में फिनिक्स रामदास, जायल मैथ्यू, गोविंद कोहली, सलीम खान शामिल थे। पहली शाम की दूसरी प्रस्तुति डॉ. पलास सेन के यूफोरिया बैंड की रही।
गणेश आराधना का श्लोक ‘वक्रतुण्डमहाकाय सूर्यकोटि समप्रभ.... का बैंड बजाने के बाद आर्तनाद शैली में गायन आरंभ हुआ। शोर से सराबोर संगीत के कारण किर्गिस्तान के प्रतिनिधि ने दोनों कान में रूई डाल ली थी। इस बैंड का ओल्ड फैशन कास्ट्यूम 70 के दशक की बैंड पार्टियों की यादें ताजा कर रहा था। भारत आए शंघाई सहयोग संगठन के प्रतिनिधियों के स्वागत में सजी संगीत महफिल के आरंभ में पर्यटन विभाग के उप निदेशक राजेंद्र कुमार रावत ने अतिथियों का अंगवस्त्रम् से अभिनंदन किया।
![]() |
विज्ञापन |
0 टिप्पणियाँ