नया सवेरा नेटवर्क
लखनऊ। राष्ट्रीय कथक संस्थान की ओर संस्थान परिसर कथक समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें लखनु और जयपुर घराने का कथक देखने को मिला। पहली प्रस्तुति राष्ट्रीय कथक संस्थान की मंगलाचरण की प्रस्तुति दी गई। छात्र-छात्राओं ने मां सरस्वती की स्तुति जयति जय जय मां सरस्वती को सुन्दर प्रदर्शन किया। दूसरी प्रस्तुति परम्परा शीर्षक से प्रस्तुत की गई।
जिसमें वाराणसी के नृत्य कला विशाल कृष्ण ने जय जय जगजननी देवी स्तुति के बाद पारम्परिक शुद्ध कथक नृत्य के अन्तर्गत तीनताल विलम्बित एवं द्रुतलय में आनंद, परन, टुकडे, तिहाईयों एवं लडी का प्रदर्शन किया। विशाल ने आखिरी प्रस्तुति के रूप में श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन एवं मीराबाई रचित होली अत्यन्त सौन्दर्यपूर्ण, आकर्षक अंदाज में पेश की।
समरोह में तीसरी प्रस्तुति सृजन शीर्षक से हुई। जिसमें दिल्ली की नृत्य कलाकार विधालाल ने बैजूबावरा द्वारा रचित हरि हर के माध्यम से शिव और कृष्ण के लास्य एवं ताण्डव भाव के साथ उनके अलग अलग स्वरूपों को बड़े ही मोहक अंदाज में प्रस्तुत किया। वहीं जयपुर घराने की बारिकियों थाट आमद परन उठान, चलन एवं कवित्त प्रस्तुत किया। अभिनय पक्ष के अन्तर्गत रसखान द्वारा रचित सवैया राग मियां मल्हार तीनताल में निबद्ध मोर पंखा सिर ऊपर राखिहूँ, गूंज की माल गले पहरूंगी को मनोरम प्रदर्शन किया।
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