होली शास्त्रों की नहीं, बल्कि लोक संस्कृति की देन | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

डा. ब्रजेश यदुवंशी

आज होली है। होली शास्त्रों की नहीं, लोक संस्कृति की देन है। इसका संबंध नई फसल से है। महीना भर पहले से ढोलक-झांझ-मजीरे पर फाग के गाने शुरू हो जाते थे। हम एक जमाना पहले आंगन में होरहा भूनते थे, हरे चने में अद्भुत स्वाद आ जाता था। टोली बनाकर घर-घर जाकर परिचित घरघुसरों को रंग खेलने के लिए बाहर निकालते थे। ठंडई तो इस पर्व का मुकुट है। ये चीजें अब भी बहुत सी जगहों पर बची हैं। होली का पर्व इसलिए भी है कि लोग बैर-द्वेष भूलकर रंगों और अबीर-गुलाल से एक दूसरे को रंगते हैं, चेहरे पर खुशी बसंत की तरह खिल जाती है।

अब तो बहुतों को रंगों से वैर है, वे बड़े आदमी हो चुके हैं, बल्कि होली मानो यह बताने भी आता है कि जो होली नहीं खेलते, वे एलीट हैं और जो अभी भी खेलते हैं, वे लोक हैं! कभी-कभी थोड़ा पिछड़ा रह जाने से बहुत सी खुशियां बची रहती हैं।

यह उत्सव प्रह्लाद की याद दिलाता है जिसकी कल्पना दुनिया के प्रथम सत्याग्रही के रूप में की गई। कथा है कि हिरण्यकश्यप ने उसे मार डालने की कई बार कोशिश की पर वह बचा रहा। हाथी से कुचलने और पहाड़ से फेंकने के बावजूद! उसे होलिका जला न सकी, बल्कि वह न जलने के वरदान के बावजूद खुद जल गई।

प्रह्लाद सत्य की शक्ति का प्रतीक है। उसका अटूट सत्याग्रह एक प्रेरणा है। सत्य को धुआं और लपटों से थोड़े समय तक ढका जा सकता है, पर उसे मिटाया नहीं जा सकता। प्रह्लाद का मिथकीय चरित्र पोस्टट्रुथ के युग में एक आलोक स्तंभ है। इस युग में सबका अपना-अपना सत्य है और अपना-अपना सत्याग्रह है। कुछ साझा सत्य भी हो सकता है, इसकी खोज नहीं है। यह खोज फिलहाल बहुत जरूरी है।

नजीर अकबराबादी ने लिखा है, 'जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की!' वह जमाना था, जब रंग आजाद थे। इन दिनों, लगता है, हर रंग पर राजनीति का कब्जा है। लाल, केसरिया, हरा, नीला सब पराधीन हैं। आदमी से रंग भी छिन गए हैं। इसलिए लगता है कि होली रंगों की आजादी का त्योहार है! हर रंग इस दिन आजाद होता है, यह आजादी बनी रहती।

दो दिन पहले एक वीडियो देखा जिसमें खेत के पास से ढपली बजाते काफी लोग 'जय हो-जय हो' चिल्लाते एक जुलूस में थे। सभी रंग खेले हुए कपड़े पहन रखे थे। जुलूस के बीच में 8-9 साल के चार बच्चे तलवार भांजते चल रहे थे। होली जैसे पर्व-त्योहारों में राजनीतिक विकृतियों का प्रवेश चिंताजनक है। फिर बच्चों के दिमाग को आज का पूरा माहौल जिस तरह हिंसक बनाने पर तुला है, वह कम चिताजनक नहीं है। फिर भी होली प्रेम के पर्व के रूप में अमर रहेगा, प्रेम ही सत्य है और सत्य को प्रह्लाद की तरह मारा नहीं जा सकता।

*पूर्वांचल का सर्वश्रेष्ठ प्रतिष्ठान - गहना कोठी भगेलू राम रामजी सेठ | प्रत्येक 5000/- तक की खरीद पर पायें लकी ड्रा कूपन | ज्योतिषि सलाह चाहे जहां से लें, पर असली रत्न गहना कोठी के यहां से ही लें | हनुमान मंदिर के सामने कोतवाली चौराहा जौनपुर | 9984991000, 9792991000, 9984361313 | सद्भावना पुल रोड नखास ओलंदगंज जौनपुर | 9838545608, 7355037762, 8317077790*
विज्ञापन



*Admission Open : Nehru Balodyan Sr. Secondary School | Kanhaipur, Jaunpur | Contact: 9415234111,  9415349820, 94500889210 | NayaSaveraNetwork*
विज्ञापन



*Mount Literaa Zee School | Great School. Great Future Jaunpur | Learning Today for A Better Tomorrow | Admissions Open 2023-24 NURSERY to GRADE XII | 7311171181, 82, 83, 87 | mlzs.jaunpur@mountlitera.com | www.mlzsjaunpur.com | Facebook : Mount Litera Zee School Jaunpur | Instagram : mountlierazeeschool_jaunpur | Jaunpur-Prayagraj Highway, Fatehganj, Jaunpur - 222132 | NayaSaveraNetwork*
Advt

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ