नया सवेरा नेटवर्क
शाहगंज जौनपुर। ग्राम न्यायालय के न्यायाधिकारी ने घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न से पीडि़त विवाहिता को राहत पहुंचाते हुए पति और ससुराल वालों को भरण पोषण के लिए नौ हजार रु पया प्रति महीने देने का आदेश दिया है। इसके अलावा तीन महीने के अंदर पीडि़ता को तीन लाख रु पए हर्जाना देने का भी आदेश दिया है। जानकारी के मुताबिक भागमलपुर निवासी गंगाराम ने अपनी बेटी नीलम की शादी 2017 में पट्टी चकेसर निवासी अमरजीत के बेटे प्रेषित कुमार से की थी। नीलम के मुताबिक शादी के बाद से ही ससुराल वाले उससे एक लाख रु पए और एक बुलेट मोटरसाइकिल की मांग करते थे। जिसके लिए उसका तरह तरह से उत्पीड़न करते थे। 2018 में नीलम को अपने पति से एक बेटा भी हुआ लेकिन ससुराल वालों का उत्पीड़न नहीं रु का। जून 2021 में ससुराल वालों ने जहर देकर मारने की भी कोशिश की। खबर मिलने पर पहुंचे पिता ने शाहगंज में निजी अस्पताल में इलाज कराया। ससुराल वालों की मिन्नतों की वजह से उसकी पुलिस में शिकायत नहीं की। बावजूद इसके कुछ दिन बाद फिर से ससुरालीजन द्वारा उत्पीड़न होने लगा। ससुराल वालों ने नीलम का सारा स्त्रीधन छीनकर बच्चे के साथ बेघर कर दिया। तब से वो अपने ससुराल में ही रह रही है। पति समेत ससुराल वालों ने उसकी एक बार भी सुध नहीं ली। सारा मामला व जिला संरक्षण अधिकारी की आख्या सुनने के बाद ग्राम न्यायाधिकारी दिनेश कुमार दिवाकर ने पीडि़ता को ससुराल में पुरानी जगह देने का आदेश दिया। इसमें दिक्कत पैदा करने वाले शख्स को निकाल देने की बात की। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा नहीं होने पर विवाहिता को किराए के मकान में रखा जाए और उसका पति किराए के एवज में चार हजार रु पए प्रति माह पीडि़ता को दे। इसके अलावा पीडि़ता को पांच हजार और उसके बेटे को चार हजार रु पया, यानी कुल नौ हजार रु पए प्रतिमाह अदा किया जाए। न्यायाधिकारी ने हरजाने के तौर पर ससुराल वालों को तीन लाख रु पए तीन माह के भीतर पीडि़ता को देने का आदेश दिया।
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