सरिसवा नदी में अपशिष्ट पदार्थ को डाले जाने के ऊपर यथोचित कार्रवाई करने का निर्देश | #NayaSaveraNetwork



नया सवेरा नेटवर्क

बिहार। सरिसवा नदी के शुद्धिकरण हेतु शिक्षाविद डॉ स्वयंभू शलभ द्वारा भेजे गए प्रतिवेदन के आलोक में उक्त नदी में अपशिष्ट पदार्थ को डाले जाने के ऊपर यथोचित कार्रवाई करने हेतु नगर विकास एवं आवास विभाग के परियोजना पदाधिकारी सह उप निदेशक आशुतोष कुमार ने निर्देश जारी किया है। विभाग द्वारा उक्त आशय का पत्र जिला पदाधिकारी, मोतिहारी सह गंगा विकास समिति के अध्यक्ष को भेजा गया है। साथ ही ठोस अपशिष्ट पदार्थ का नदी में प्रवाह वर्जित करने एवं आवश्यक कार्रवाई हेतु नगर परिषद रक्सौल के कार्यपालक पदाधिकारी को भी पत्र भेजा गया है।

विभागीय पत्र में आगे बताया गया है कि सरिसवा नदी के जल को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त बनाने के उद्देश्य से रक्सौल नगर परिषद में आई एंड डी और एसटीपी के निर्माण हेतु विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) नई दिल्ली को भेजा गया है। 

ज्ञातव्य है कि इस दिशा में कार्य आगे बढ़ा है। रक्सौल नगर क्षेत्र के चार मुख्य ड्रेनेज जिनका पानी सरिसवा नदी में गिरता है उन्हें चिह्नित कर वहाँ एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है।

गौरतलब है कि यह नदी नेपाल से प्रदूषण का भार लेकर भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करती है। बीरगंज महानगरपालिका क्षेत्र के मुख्य ड्रेनेज जो सरिसवा नदी में सीधे गिरते हैं वहाँ महानगरपालिका द्वारा एसटीपी का निर्माण कराए जाने और जिन उद्योगों के अपशिष्ट नदी में सीधे गिराये जाते हैं उनमें ईटीपी की अनिवार्यता सुनिश्चित किये जाने की दिशा में भी पहल की गई है। इस बाबत पिछले महीने डॉ. शलभ ने बीरगंज महानगरपालिका के मेयर राजेशमान सिंह, बीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ के अध्यक्ष सुबोध कुमार गुप्ता व नेपाल भारत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक बैद से मिलकर प्रतिवेदन सौंपा था।



इस क्रम में बीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ कार्यालय में उद्योगपतियों की बैठक में सभी उद्योगों में अनिवार्य रूप से प्रशोधन केंद्र स्थापना करने, उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों को प्रशोधन के बाद ही नदी में गिराने और दैनिक 16 घण्टा बोरिंग चलाकर स्वच्छ पानी नदी में डालने पर सहमति बनी थी। वहीं बीरगंज नगर प्रमुख राजेशमान सिंह के साथ सरिसवा नदी के समानांतर एक कैनाल के निर्माण के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। इस परियोजना में नदी किनारे संचालित विभिन्न उद्योगों के अपशिष्ट सीधे नदी में न जाकर पहले उस कैनाल में गिरेंगे। उस कैनाल में दो या तीन स्थलों पर ईटीपी लगाकर अपशिष्टों का ट्रीटमेंट किया जाएगा जिसके बाद वह नदी में गिरेगा। डॉ. शलभ ने कहा कि 

इन वैकल्पिक उपायों से नदी के प्रदूषण को कम किया जा सकता है। बीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ और बीरगंज महानगरपालिका द्वारा इस दिशा में जल्द से जल्द कदम बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।


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