रिचिंग द लास्ट माइल| #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

  • सिस्टम का कैंसर भ्रष्टाचार है 
  • अंतिम छोर तक पहुंच मॉडल में भ्रष्टाचारी बाधक हैं 
  • नीतियों के कारगर क्रियान्वयन करने, मिशन जीरो टॉलरेंस भ्रष्टाचार नीति को तीव्रगति देना समय की मांग - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया- वैश्विक स्तरपर शासन प्रशासन के सिस्टम का कुशासन रूपी कैंसर भ्रष्टाचार है, जिसकी पीड़ा शायद ही कोई देश होगा, जहां सुशासन को दीमक रूपी कुशासन ने न प्रतिस्थापित किया हो। हर देश के शासन प्रशासन को चलाने के लिए मनीराम प्रमुख होता है जिसकी उत्पत्ति उस देश के करदाताओं द्वारा होती है, जो उनके टैक्स द्वारा दिए गएमनीराम के बल पर सारी नीतियां रणनीतियां क्रियान्वित होती है, जिसके लिए हर देश में उस आने वाले वर्ष के लिए गतवर्ष में ही कर निर्धारण वर्ष के लिए बजट बनाया जाता है, जिसमें कराधान की नीतियां स्ट्रक्चर इत्यादि कोनिर्धारित किया जाता है। इसी बजट में ही सभी वर्गों सहित अंतिम छोर तक बैठे गरीब व्यक्ति के लिए भी योजनाएं शामिल होती है। परंतु बड़े दुर्भाग्य की बात है हम रिचिंग लास्ट माइल की बातें शाब्दिक रूप से बहुत करते हैं, अपने हर संबोधन में हर पार्टी के नेता इसी लास्ट माइल की बात करते हैं।परंतुबदकिस्मती है कि वह लास्ट माइल आज भी जस का तस है, क्योंकि उसे पता ही नहीं चलता कि बजट में उनके लिए क्या है और वह अंदर ही अंदर मिलीभगत से कैंसर रूपी भ्रष्टाचार का शिकार होकर दम तोड़ देता है। इसीलिए हम कह सकते हैं कि अंतिम छोर तक पहुंच मॉडल में भ्रष्टाचारी बहुत बड़े बाधक हैं।हालांकि अंतिमछोर तक पहुंच के लिए ही आकांक्षी जिला कार्यक्रम 500 उपखंड में एक साथ शुरू किया गया है, परंतु कैंसर रूपी भ्रष्टाचार को जब तक जीरो टॉलरेंस नहीं बनाया जाएगा तब तक यह भ्रष्टाचारी हर नीतियों और मॉडल में बाधक सिद्ध होंगे। इसलिए जनता में जागृति फैलाने माननीय पीएम महोदय बजट 2023 में रिचिंग द लास्ट माइल के बजट में किए गए प्रावधानों को इस चौथे वेबीनार के माध्यम से संबोधित किए इसलिए आजहम पीआईबी में उपलब्ध जानकारीकेसहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे रिचिंग द लॉस्ट माइल। 

साथियों बात अगर हम 27 फ़रवरी 2023 को चौथे वेबनार अंतिम छोर तक पहुंच (रिचिंग द लास्ट माइल) में पीएम के संबोधन की करें तो उन्होंने केंद्रीय बजट 2023 में घोषित होने वाली पहलों के कारगर क्रियान्वयन के लिये सुझाव और विचार आमंत्रित करने के क्रम में सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट-उपरांत वेबिनारों में से यह चौथा वेबिनार में कहा कि इस वर्ष के बजट में जनजातीय और ग्रामीण इलाकों के अंतिम छोर तक पहुंचने के मंत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में जल जीवन मिशन के लिये करोड़ों रुपयों का प्रावधान किया गया। उन्होंने कहा कि 60 हजार से अधिक अमृत सरोवरों पर काम चालू हो चुका है, जिनमें से 30 हजार सरोवरों का निर्माण हो गया है। उन्होंने कहा,ये अभियान दूर-दराज रहने वाले उन भारतीयों के जीवनस्तर में सुधार ला रहे हैं, जो दशकों से इन सुविधाओं का इंतजार करते रहे हैं। हमें यहीं नहीं रुकना है। हमें पानी के नये कनेक्शनों और पानी की खपत के तरीकों के लिये प्रणाली बनानी है। हमें इस बात की भी समीक्षा करनी होगी कि जल समितियों को और मजबूत करने के लिये क्या किया जा सकता है।अपने वक्तव्य के आरंभ में पीएम ने बजट पर संसद में होने वाली बहस के महत्त्व को रेखांकित करते हुये कहा कि सरकार ने इससे एक कदम आगे बढ़ाया है तथा पिछले कुछ सालों में सरकार ने बजट के बाद हितग्राहियों के साथ गहन विचार-विमर्श की एक नई परंपरा शुरू की है। उन्होंने कहा, यह कार्यान्वयन और समयबद्ध आपूर्ति की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। इससे करदाताओं के धन की पाई-पाई का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होता है। पहली बार जनजातीय समुदायों के सबसे अधिक वंचितों के लिये एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा,हमें देश के 200 से अधिक जिलों में 22 हजार से अधिक गांवों के अपने जनजातीय मित्रों को तेजी से सुविधायें उपलब्ध करानी हैं। इस संबंध में पसमांदा मुसलमानों का भी उल्लेख किया। इस बजट में सिकिल सेल से पूरी तरह मुक्ति पाने का भी लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा,इसके लिये सम्पूर्ण राष्ट्र की सोच अपनानी होगी। इसलिए स्वास्थ्य सम्बंधी हर हितग्राही को तेजी से काम करना होगा। उन्होंने हितग्राहियों से आग्रह किया कि वे मजबूत मगर सस्ते मकान बनाने के लिये प्रौद्योगिकी के साथ आवासन को जोड़ने के तरीकों पर चर्चा करें। वे सौर ऊर्जा से लाभ उठाने के आसान तरीकों को खोजने तथा शहरी व ग्रामीण, दोनों इलाकों में लागू करने योग्य ग्रुप हाउसिंग के मॉडलों पर भी चर्चा करें। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में गरीबों के लिये मकान बनाने के मद्देनजर 80 हजार करोड़ रुपये रखे गये हैं। परिपूर्णता की नीति के पीछे की सोच के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतिम छोर तक पहुंचने की दृष्टि और परिपूर्णता की नीति एक-दूसरे की पूरक हैं। उन्होंने कहा कि पुराने परिदृश्य में सब-कुछ इसके उलट था, जहां गरीबों को बुनियादी सुविधाओं के लिये सरकार के पीछे दौड़ना पड़ता था, लेकिन अब सरकार गरीबों के द्वार तक पहुंच रही है। जिस दिन हम तय कर लें कि हर क्षेत्र में हर नागरिक तक हर बुनियादी जरूरत पहुंचाई जायेगी, तब स्थानीय स्तर पर कार्य संस्कृति में हम बड़ा बदलाव आता देखेंगे। परिपूर्णता की नीति के पीछे यही भावना काम कर रही है। जब हमारा लक्ष्य हर व्यक्ति तक पहुंचना है, तब भेदभाव और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होगी। और तभी, हम अंतिम छोर तक पहुंचने का लक्ष्य पूरा करने में सक्षम होंगे।इस सोच का उदाहरण देते हुये उन्होंने पीएम स्वानिधि योजना की चर्चा की, जिसके जरिये रेहड़ी-पटरी वालों को औपचारिक बैंकिंग से जोड़ा गया। उन्होंने डेवलपमेंट एंड वेलफेयर बोर्ड फॉर डी-नोटीफाइड, नोमैडिक एंड सेमी-नोमैडिक कम्यूनिटीज, गावों के पांच लाख सामान्य सेवा केंद्रों तथा टेली-मेडिसिन का भी उदाहरण दिया। उल्लेखनीय है कि टेली-मेडिसिन के क्षेत्र में 10 करोड़ परामर्श किये गये हैं।आकांक्षी जिला कार्यकम अंतिम छोर तक पहुंचने के संदर्भ में एक सफल मॉडल के रूप में उभरा है। इस सोच को आगे बढ़ाते हुये, देश के 500 उप-खंडों में एक आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने कहा आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के लिये, हमें तुलनात्मक मानदंडों को उसी तरह ध्यान में रखना होगा, जैसा हम आकांक्षी जिलों के मामले में करते हैं। ब्लॉक स्तर पर भी हमें प्रतिस्पर्धा का माहौल तैयार करना होगा। विकास के लिये धन के साथ-साथ राजनीतिक इच्छा-शक्ति की भी जरूरत होती है। सुशासन और वांच्छित लक्ष्यों के लिये निरंतर निगरानी के महत्त्व पर बल देते हुये पकहा,हम सुशासन पर जितना बल देंगे, अंतिम छोर तक पहुंचने का हमारा लक्ष्य उतनी ही आसानी से पूरा हो जायेगा। उन्होंने मिशन इंद्रधनुष के तहत टीकाकरण और वैक्सीन कवरेज व कोरोना महामारी के मद्देनजर नये सोच-विचार का उदाहरण दिया तथा इस तरह अंतिम छोर तक आपूर्ति में सुशासन की शक्ति का परिचय दिया। अपने वक्तव्य के आरंभ में उन्होंने बजट पर संसद में होने वाली बहस के महत्त्व को रेखांकित करते हुये कहा कि सरकार ने इससे एक कदम आगे बढ़ाया है तथा पिछले कुछ सालों में सरकार ने बजट के बाद हितग्राहियों के साथ गहन विचार-विमर्श की एक नई परंपरा शुरू की है। यह कार्यान्वयन और समयबद्ध आपूर्ति की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। इससे करदाताओं के धन की पाई-पाई का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होता है। 

साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार की करें तो मेरा मानना है कि, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के साथ चलाना होगा किसी पर नहीं होगा कोई रेहम या भाई भतीजावाद नहीं होना चाहिए। इस मामले में न सिफारिश मानी जाए और न ही रहम की जाए। इसलिए सभी लोग अपना काम नियमों को ध्यान में रखकर करें।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि रीचिंग द लास्ट माइल।सिस्टम का कैंसर भ्रष्टाचार है।अंतिम छोर तक पहुंच मॉडल में भ्रष्टाचारी बाधक हैं। नीतियों के कारगर क्रियान्वयन करने मिशन मिशन जीरो टॉलरेंस नीति को तीव्र गति देना समय की मांग है। 

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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