नया सवेरा नेटवर्क
सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर, रक्सौल में महाशिवरात्रि का महापर्व भव्य रूप में मनाया गया। सुबह 10 बजे देवाधिदेव भगवान शिव की बारात मंदिर प्रांगण से निकलकर बाजे गाजे के साथ नगर परिक्रमा करती हुई उत्तरवाहिनी नदी के तट पर पहुंची। इस यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु भक्तगण शामिल हुए। औघड़दानी की इस अद्भुत बारात में साधु संतों के साथ कई भूत वैताल की भंगिमा में भी नजर आये।
इस मनोरम झांकी को देखने के लिए शहर के मुख्य पथ पर पुरुषों और महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी। नदी से कलश में जल लेकर यात्रा मंदिर पहुंची जहां साधना गृह स्थित शिवलिङ्ग का जलाभिषेक सम्पन्न हुआ। भक्तों ने बेलपत्र, धतूर, भांग और विभिन्न प्रकार के फूलों से भी देवाधिदेव महादेव का पूजन किया।
इस अवसर पर वामाचार्य सेवक संजयनाथजी महाराज ने भक्तों को बताया कि चतुर्दशी के दिन जो भक्त महाशिवरात्रि व्रत, उपवास और रात्रि जागरण कर शिव का अभिषेक करते हैं वे दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से छुटकारा पाते हैं और उन्हें ऐश्वर्य और पराक्रम की प्राप्ति होती है।
आठों पहर में भक्तगण यहां कालकालीनाथ भगवान शिव का दूध, दही, घी, मधु, शक्कर एवं जल से रुद्राभिषेक करते हैं। वामाचार्य द्वारा प्रत्येक पहर में संपन्न करायी जानेवाली भष्म आरती का विशेष महात्म्य होता है। दूर दूर से आये हुए भक्तगण इस भक्ति यात्रा में अद्भुत अनुभव से गुजरते हैं। रातभर अष्टयाम, लखरांव, जागरण और महाभंडारा चलता है। पुनः प्रातःकाल अभिषेक एवं हवन के साथ यह महापर्व संपन्न होता है।
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