New Year Special : सोनू सूद से कम नहीं है Media Family के मुखिया करन सूद | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
- 'हेल्पिंग हैंड' से सैकड़ों युवाओं को मिली नौकरी
![]() |
करन सूद |
अंकित जायसवाल
जौनपुर, उत्तर प्रदेश। हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि जरूरतमंद की सहायता जरूर करनी चाहिए क्योंकि नि:स्वार्थ भाव से की गई सहायता एक न एक दिन जरूर फलीभूत होती है। कोरोना काल में जिस तरह से गरीबों के मसीहा बनकर सोनू सूद समाज की सेवा की, उससे वह सबके 'असली हीरो' बन गए। उन्हीं की ही तरह मीडिया जगत में करन सूद लोगों का सहारा बन गए हैं। पत्रकारिता के पेशे से जुड़े करन सूद मोटिवेशनल स्पीकार भी हैं। फरीदाबाद (हरियाणा) के रहने वाले करन सूद ने शायद खुद भी कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन लोगों के लिए नौकरियां ढूढ़-ढूढ़कर जरूरतमंद को ट्रांसफर करेंगे।
- मीडिया जगत में धक्के खा रहे फ्रेशर्स की राह कर दी आसान
गौरतलब हो कि करन सूद ने एक से डेढ़ साल पहले एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया Media Family और इसका लिंक अपने लिंक्डइन प्रोफाइल पर शेयर किया, देखते ही देखते वह ग्रुप भर गया। इन सबमें उनका साथ दिया दीपेंद्र गांधी 'दीप' ने। जी हां! वही दीपेंद्र गांधी जो लल्लन टॉप (इंडिया टूडे ग्रुप) के असिस्टेंट प्रोड्यूसर हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई की है और इस समय उन्होंने अपना कार्यक्षेत्र नोएडा बना रखा है। इन दोनों युवाओं ने मीडिया जगत में धक्के खा रहे फ्रेशर्स की राह आसान कर दी। कहीं पर भी नौकरी दिखाई देती है तो वह Media Family ग्रुप में जरूर दिखाई देती। प्रिंट मीडिया, इलेक्टॉनिक मीडिया आदि से जुड़े हर नौकरी की रिक्तियां इस ग्रुप में दिखाई देने लगी। इस ग्रुप के सदस्य ने अपने-अपने दूसरे साथियों का भी नंबर जोड़ने के लिए एडमिन (करन सोनू/दीप गांधी) से निवेदन किया, जब यह संख्या बढ़ती गई तो एक के बाद दूसरा और दूसरे के तीसरा ग्रुप भी बनाया गया। आज लगभग हजारों की संख्या में लोग मीडिया फैमिली ग्रुप से जुड़े हुए हैं।
![]() |
करन सूद और दीप गांधी. |
- युवाओं का हाथ थामने की मुहिम काबिले तारीफ
मीडिया के क्षेत्र से आने वाले युवाओं को मार्ग दिखाने वाले इन दोनों युवाओं की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है। आज जहां लोग अपनी जिंदगी की जद्दोजहद में परेशान है। वहीं इन दोनों युवाओं ने अपने क्षेत्र में असहाय युवाओं का हाथ थामने की जो मुहिम शुरू की है, वह काबिले तारीफ है। अगर ऐसे ही अन्य फील्ड में भी लोग अपने आने वाली पीढ़ी का हाथ थामने लगे तो शायद उनकी मंजिल को जाने वाला रास्ता थोड़ा जल्दी मिल जाए। उम्मीद है कि युवाओं और उनके माता-पिता का आशीर्वाद इन दोनों होनहार युवाओं को ऐसे ही मिलता रहे ताकि उनकी मुहिम कहीं रुके न और हेल्पिंग हैंड की तरह आगे बढ़ता ही जाय। इन दोनों युवाओं पर एक शेर तो बिल्कुल सटीक बैठता है, 'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।'
![]() |
Ad |
![]() |
Ad |
![]() |
Ad |