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वाराणसी। यू टर्न कितना महत्वपूर्ण हो सकता है, इसका भारत ने कोरोना काल में सबसे बेहतर उदाहरण पेश किया। दूसरी तरफ एक शायर लिखता है ‘पहली रोटी रोज गाय को मेरी दादी है देती, अंतिम रोटी दरवाजे पर बैठे मोती की होती। आप सोच रहे होंगे आखिर इन दो बातों का आपस में क्या संबंध है!
बहुत गहरा संबंध है। सनातनी सूत्र कहते हैं कि परिवार की सुख-शांति के लिए नियमित रूप से पहली रोटी गाय और अंतिम रोटी कुत्ते को देनी चाहिए। वहीं कोरोना काल में मनुष्यों ने तो येनकेन प्रकारेण अपना पेट भर लिया लेकिन जूठन पर जीने वाले मवेशियों, खासतौर पर आवारा कुत्तों पर सबसे अधिक संकट था। कोरोना काल ने इन दोनों ही बिंदुओं पर लोगों को सोचने पर विवश किया। इससे प्रेरणा लेकर काशी के कुछ युवाओं ने रोटी एटीएम की शुरुआत की है।
कला, विज्ञान और वाणिज्य वर्ग में पढ़ाई कर रहे युवाओं का लक्ष्य है कि सनातनी परिवार अपने नियमों का पालन तो करें ही, रोज बेजुबानों का पेट भी भरता रहे। गौरव राय, प्रज्ज्वल पाण्डेय, अमन सिंह, हर्ष गुप्ता, रोस अग्रहरी, विकास वर्मा, कवीश गंभीर, अक्षरा अग्रवाल, शिवानी श्रीवास्तव और सौरभ शर्मा ने ग्रूट गार्जियंस नाम से संस्था बनाई। इसके जरिए उन्होंने वरुणापार पांडेयपुर के निकट बांके बिहारी अपार्टमेंट में पहला रोटी एटीएम लगाया है। अपार्टमेंट के 50 से अधिक परिवार दोनों वक्त दो-दो रोटियां इस एटीएम में डालते हैं। संस्था के सदस्य वे रोटियां गायों और कुत्तों को खिलाते हैं। गौरव राय बताते हैं कि नाटी इमली क्षेत्र के रुद्रा अपार्टमेंट में जल्द ही रोटी एटीम की शुरुआत होगी। यह प्रस्ताव लेकर वे युवा शहर की दूसरी सोसाइटियों में भी जा रहे हैं।
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