नया सवेरा नेटवर्क
- नए भवन निर्माण को लेकर कला संकाय की कक्षाएं बंद
जौनपुर। नगर के रिज़वी खां अटाला मस्जिद के पास स्थित राजा श्रीकृष्णदत्त महाविद्यालय का भवन जर्जर होने के चलते निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया गया है। नया भवन निर्माण कराने के लिए कालेज अनिश्चितकाल के लिए कला संकाय की पढ़ाई बंद कर दिया गया है। परीक्षायें राज इंटर कॉलेज में कराई जाएगी। साइंस और कॉमर्स की कक्षाएं चलती रहेंगी। कालेज को बंद करने की नोटिस महाविद्यालय परिसर में नोटिस बोर्ड पर लिख दिया गया। यह नोटिस सोशल मीडिया में वायरल होने से छात्रों में उहापोह की स्थित बन गई है। राजा श्री कृष्णदत्त महाविद्यालय की स्थापना 1841 में हुई थी। पहले इस शिक्षण संस्थान में केवल इंटर तक की पढ़ाई होती थी , 1959 में डिग्री कालेज की मान्यता मिलने के बाद पिछले हिस्से को डिग्री को दे दिया गया उसके बाद 1996 में स्नातकोत्तर की मान्यता मिली। राजकालेज में कला, शिक्षा,साहित्य, साइंस और कामर्स की पढ़ाई होती है। एक सौ 81 वर्ष पुराने स्कूल का भवन जर्जर हो गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कालेज प्रशासन ने पीडब्लूडी विभाग से जांच कराया तो लोक निर्माण विभाग ने जांच करके अपनी तकनीकी मूल्यांकन आख्या कालेज प्रशासन को सौप दी। आख्या में दशर््ााया गया है कि यह बिल्डिंग किसी भी समय ध्वस्त होकर दुर्घटना का कारण बन सकती है। जांच आख्या मिलते ही प्राचार्य ने तत्काल कला संकाय का पठन पाठन का कार्य अनिश्चितकाल के लिये बंद करने का एलान कर दिया। उन्होंने कालेज परिसर के सूचना पट पर भी लिखवा दिया।कालेज के पूर्व प्राचार्य/विभागाध्यक्ष -राजनीति विज्ञान विभाग कैप्टन (डॉ) अखिले·ार शुक्ला ने बताया कि जिले का सबसे पुराना यह शिक्षण संस्थान है। मौजूदा समय मे कुल चार हजार 256 छात्र- छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही है।
जिसमे तीन हजार से अधिक स्टूडेंट्स कला संकाय के है। ऐसे में कालेज बंद होने से छात्रों के सामने बड़ी समस्या जरूर आ सकती है लेकिन जर्जर भवन में पढ़ाई करना भी उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करना साबित हो सकता है क्योंकि किसी भी समय यह बिल्डिंग ध्वस्त हो सकती है। डॉ अखिले·ार ने बताया कि इस कॉलेज से नगर विधायक व सूबे के मंत्री गिरीशचन्द्र यादव, एमएलसी विद्यासागर सोनकर, राज्यसभा सदस्य सीमा द्विवेदी, पूर्व कैबिनेट मंत्री व जफराबाद के विधायक जगदीश नारायण राय भी इसी कालेज से पढ़ाई किया है ऐसे में उन सबका दायित्व बनता है कि वे लोग खुद संज्ञान में लेकर महाविद्यालय के नए भवन को जल्द जल्द निर्माण कराने में अपना अहम योगदान दें।
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