नया सवेरा नेटवर्क
- अगर उन्हें टिकट मिला तो आसान नहीं होगी टंडन की राह
अंकित जायसवाल
जौनपुर। नगर पालिका जौनपुर के अध्यक्ष पद की सीट पर तीन बार खुद और एक बार पत्नी को जीताने वाले निकाय चुनाव के कद्दावर नेता दिनेश टंडन की रणनीति के सभी कायल है। वह ऐसी रणनीति बनाते हैं कि विरोधी चुनाव में खड़े होने से पहले ही अपना हार स्वीकार कर लेते हैं। पहली बार जब टंडन चुनावी मैदान में उतरे थे तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये बाजी मार ले जाएंगे और एक, दो नहीं बल्कि तीन बार इस पद को सुशोभित करेंगे। चौथी बार जब यह सीट महिला के लिए आरक्षित हुई तो लोगों ने सोचा कि अब तो टंडन बाहर हो जाएंगे और आसानी से यह सीट जीता जा सकता है लेकिन टंडन ने अपनी पत्नी माया टंडन को मैदान में उतारा तो लोग एक बार फिर चौंक गए। अन्य दलों के पुरुष नेताओं ने भी अपनी-अपनी पत्नियों को मैदान में उतारा लेकिन इस बार भी टंडन के आगे किसी की नहीं चली। उनकी रणनीति के सामने सभी पस्त हो गए और चौथी बार टंडन ने अपनी पत्नी को अध्यक्ष पद पर विजय दिला दी। चर्चा है कि इस बार टंडन को एक संभावित प्रत्याशी से हार का डर सता रहा है। वह है भाजपा के आशू गुप्ता। अगर भाजपा ने जौनपुर नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर आशू गुप्ता को दावेदारी दी तो दिनेश टंडन और आशू गुप्ता में कांटे का मुकाबला हो सकता है।
- भाजपा को दिखानी होगी एकजुटता
जातिगत आंकड़ों की बात करें तो शहर में भाजपा की अच्छी पकड़ है। तेली समाज के लगभग 25 हजार से ज्यादा मतदाता है। इसके अलावा बनिया, ठाकुर, लाला, ब्राह्मण, वैश्य भी भाजपा के साथ है। शिया समुदाय के लोग भी भाजपा को ही वोट देते हैं। सबकुछ ठीक रहा और भाजपा ने एकजुटता दिखाई और सभी ने प्रत्याशी का साथ दिया तो भाजपा मैदान मारने में कामयाब हो सकती है। इन्हीं सब गुणा-गणित को जोड़-घटाकर टंडन खेमे में थोड़ी घबराहट आ गई है। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी भी इस प्रत्याशी को लेकर अपनी रणनीति पर विचार कर रही है। अगर भाजपा ने इन्हें मैदान में उतारा तो सपा उसी हिसाब से अपना प्रत्याशी मैदान में उतारेगी।
- अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं टंडन
कुल मिलाकर देखा जाय तो भाजपा इस सीट पर दमदारी से चुनाव लड़ेगी। वहीं भाजपा के दूसरे प्रबल संभावित प्रत्याशी रामसूरत मौर्य सभासद की बात करें तो अगर यह मैदान में उतरते हैं तो उनसे भी टंडन की लड़ाई कांटे की होगी, लेकिन इस बिरादरी के लोगों में टंडन की अच्छी पकड़ है। खैर वर्तमान समय की बात करें तो अभी अधिसूचना का मामला ही अटक गया है। अब देखना यह है कि चुनाव कब होता है? इसके इतर टंडन जोर-शोर से अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटे है। वहीं प्रमुख दलों द्वारा अभी तक तस्वीर साफ न होने से स्थिति स्पष्ट नहीं है।
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