जौनपुर: न्यायपालिका पर सवाल उठाया जाना अत्यंत चिंतनीय : डॉ. अखिलेश्वर शुक्ला | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। भारतीय चुनाव आयोग से लेकर न्याय पालिका के विश्वसनीयता पर आज सवाल उठाए जाने लगे हैं, जो अत्यंत चिंतनीय और विचारणीय स्थिति है. यह सही है कि लोकतंत्र के लिए चुनाव और चुनाव के लिए आयोग का होना जरूरी है, लेकिन जो निर्णय स्वतंत्र व निष्पक्ष होकर चुनाव आयोग को लेना चाहिए, उसके लिए न्यायपालिका के शरण में जाने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? इसका मतलब यह है कि स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता की अपेक्षा से जिन संस्थाओं को स्थापित किया गया था, उनके ऊपर भी किसी के नियंत्रण की आवश्यकता है. यह सब परिस्थितियां केवल इसलिए पैदा हुई हैं कि कार्यपालिका (सरकार) से न्यायपालिका प्रभावित न हो इस संवैधानिक प्रावधान पर संकट व संशय की स्थिति पैदा हो गई है. जहां तक नगरीय निकाय चुनाव का सवाल है लोकतंत्र में कोई भी चुनाव समय से हो, यह अपेक्षा की जाती है. यदि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय जायेगी तो कुछ भी नहीं मिलने वाला, कारण कि यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में ही उच्च न्यायालय ने सुनाया है. बिना आरक्षण चुनाव करना राजनैतिक दृष्टि से सत्ताधारी दल के लिए हानिकारक होगा. वहीं बिना आयोग गठित किए ट्रिपल टेस्ट के आधार का पालन नहीं करना न्यायालय के समक्ष मानहानि का सामना करना पड़ेगा। उक्त परिस्थितियों में से केवल एक ही रास्ता शेष रह जाता है और वह रास्ता है न्यायपालिका के आदेश का पालन करना।
- प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला, पूर्व प्राचार्य/विभागाध्यक्ष -राजनीति विज्ञान, राजा श्री कृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर -222001.