नया सवेरा नेटवर्क
राज्यों के ऊपर दबाव डालने की राजनीति के सिवा और कुछ नहीं
जौनपुर। भारत के केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री द्वारा संसद भवन में दिया गया बयान कि केंद्र सरकार शिक्षकों-कर्मचारियों की न तो पुरानी पेंशन बहाल करने पर विचार कर रही है और न ही शिक्षकों कर्मचारियों की एनपीएस में जमा धनराशि को ऐसे राज्यों को वापस करने जा रही है जो पुरानी पेंशन बहाली कर रहे हैं। ये कर्मचारियों के साथ एक बहुत बड़ा छलावा है और राज्यों के ऊपर एक दबाव डालने की राजनीति के सिवाय और कुछ नही। इस बयान की उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (सेवारत) घोर आलोचना करता है और इसके खिलाफ अभी तो 15 दिसम्बर को सभी विद्यालय इकाइयों में शिक्षकों -कर्मचारियों द्वारा काली पट्टी बांधकर सांकेतिक विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा इसके बाद यदि ये बयान वापस नही लेते तो संगठन संघर्ष को और आगे बढ़ायेगा। गौरतलब है कि एनपीएस व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षकों कर्मचारियों के वेतन की 10 प्रतिशत धनराशि उनके वेतन से काट कर केंद्र सरकार द्वारा नियमित पी.एफ.आर.डी.ए. में जमा होता है। शिक्षक और कर्मचारी लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। उनके संघर्ष और वाजिब माँग को देखते हुवे पाँच राज्यों ने अपने राज्यों के शिक्षकों कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल कर दी है। केंद्र सरकार लगातार हठवादी और अहंकारी रवैया अपनाए हुये है। जिसका परिणाम अभी हाल के हिमांचल प्रदेश चुनाव परिणाम में दिखा। केंद्र सरकार द्वारा लायी गयी एनपीएस व्यवस्था केवल और केवल पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाने के लिए चलाई जा रही है। भगवत कराड द्वारा दिया गया यह बयान उनकी झुंझलाहट और सरकार की शिक्षकों कर्मचारियों के प्रति दुर्भावनापूर्ण रवैये को दर्शाता है।
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