प्रवचन सुनाते प्रकाशचंद्र त्रिपाठी। |
नया सवेरा नेटवर्क
फक्कड़ बाबा की स्मृति में हुई रामकथा
सिरकोनी,जौनपुर। सई-गोमती के पवित्र संगम स्थल पर दो दिवसीय रामकथा के पहले दिन शनिवार को अपने विशिष्ट शैली में प्रवचन कर प्रकाश चंद्र त्रिपाठी विद्यार्थी ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। राजेपुर रामे·ार धाम के महंत फक्कड़ बाबा के देह छोड़ने के बाद उनकी आत्मशांति के क्रम में रामकथा का आयोजन चल रहा है। प्रवचन करते हुए श्री विद्यार्थी ने कहा कि रामचरित मानस का खलनायक रावण भी अपने तीनों भाइयों के साथ ब्राह्मा का भजन करता था लेकिन आज के तीन भाई साथ भोजन नहीं कर पा रहे हैं। यह आज की विडंबना ही तो है। भक्ति के प्रकार की सारगर्भित व्याख्या करते हुए सामिप्य, सानिध्य, सालोक्य, सायुज्य भक्ति की चर्चा की। भगवान राम ने गीधराज जटायु को इन चारो प्रकार की भक्ति दिया। इसीलिए गोस्वामी ने लिखा है कि धन्य जटायु सम कोउ नाहीं.. क्योंकि इसने रामकाज हेतु तन त्यागी। इसी प्रकार श्री राम की चरण में श्रद्धा रखने के कारण शिवजी ने कहा धन्य सती तो दूसरों के उपकार के लिए पार्वती को कहा कि धन्य धन गिरिराज कुमारी। इन्होंने यदि मुझसे रामकथा न कहवाई होती तो जनमानस इस रामकथा से अनिभज्ञ रहता लेकिन रणांगण में कुंभकर्ण युद्ध के प्रकरण में गोस्वामी ने विभीषण के लिए कहा है कि धन्य, धन्य तुम धन्य विभीषण, भयउ तात तुम असुर कुल भूषण.. मतलब विभीषण ने राम की कथा कहा, सुनाया और जीवन में उतारा भी। कार्यक्रम आयोजन में सत्यप्रकाश सिंह करिया, राजेश सिंह, अंकित श्रीवास्तव, वीरेंद्र सिंह, प्रधान संजय सिंह बबलू, भानुप्रताप सिंह, शिव प्रकाश सिंह आदि का सक्रिय सहयोग रहा।
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