पीजी कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी में भाग लेते लोग। |
नया सवेरा नेटवर्क
विश्व मानवाधिकार दिवस पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन
जौनपुर। विश्व मानवाधिकार के अवसर पर मानवाधिकार कैंप कार्यालय में हिंदुस्तान मानवाधिकार संगठन उत्तर प्रदेश इकाई की एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कुछ सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोग भी उपस्थित हुए। बैठक की अध्यक्षता हिंदुस्तान मानवाधिकार के प्रदेश प्रभारी / महासचिव वक़ार हुसैन ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज मानवाधिकार उल्लंघन / हनन का सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार है जो व्यापक रूप में टॉप टू बॉटम तक फैला हुआ है। विकास भवन से सचिवालय तक सब लिप्त हैं। पुलिस की ही कार्यशैली को देखिये जहाँ किसी भी पीडि़त या शिकायतकर्ता की बिना पैसा लिए सुनवाई नहीं। सैकड़ों सवारी ढोने वाले डग्गामार वाहन बिना किसी काग़ज़ के साथ ही जिनके वाहनों में न तो ब्रोक और न तो लाइट सही से काम करती है लेकिन पुलिस को हफ्ता व महीना देकर धड़ल्ले से चल उनकी गाडि़यां सड़ाक ों पर दौड़ रही है जिसमें लोगों के जीवन का जोखिम बना हुआ है। जबकि जगह जगह दो पहिया वाहनों को चेक किया जा रहा है जैसे सारे अपराध दो पहिया वाहनों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने पुलिस की कार्यशैली पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस वाले खुद लोगों को गलियां देते हैं थप्पड़ और लाठियां मारते हैं, फ़र्जी शिकायत दर्ज करते हैं यही हनीं फर्जी एनकाउंटर करने से भी बाज नहीं आते हैं। इस अवसर पर पूर्व बैंक प्रबंधक ज्ञान कुमार, प्रदेश मीडिया प्रभारी / प्रदेश सचिव हसनैन कमर दीपू , प्रदेश सचिव आरिफ हुसैनी, नीरज कुमार, जि़ला सचिव डॉ. नौशाद अली, ऋषि कुमार, राजकीय इण्टर कॉलेज प्रवक्ता सूबेदार सिंह, ज्यूरी जज डॉ. दिलीप सिंह, पूर्व स्पेशल जुडिशियल मजिस्ट्रेट अब्बास हुसैन, जि़ला मीडिया प्रभारी नौशाद अली आदि मौजूद रहे। इसी क्रम में पीजी कॉलेज समोधपुर में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस अवसर पर प्राध्यापकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के साथ बड़ी संख्या में छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर रमेश चंद्र सिंह ने छात्र-छत्राओं को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने सभी शिक्षितों को यह भी याद दिलाया कि समाज में अगर किसी व्यक्ति के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है तो आपकी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि आप उसके पक्ष में आवाज उठाएं। राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि द्वितीय वि·ायुद्ध के पश्चात संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसम्बर 1948 को 'मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा' अंगीकार की। इस घोषणा का परिणाम यह हुआ कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का विशेष ध्यान रखा गया। समन्वयक राष्ट्रीय सेवा योजना प्रोफेसर राकेश कुमार यादव ने मानवाधिकारों के इतिहास के बारे में विस्तृत चर्चा किया।कार्यक्रम अधिकारी डॉ आलोक प्रताप सिंह विसेन ने कहा कि प्रत्येक देश संविधान वहां के मानवाधिकारों को संरक्षण देता है ।जितेंद्र सिंह ने कहा कि मानवाधिकार मानव विकास के लिए जरूरी है। छात्राध्यापक अमित ने मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के बारें में बताया। संगोष्ठी का संचालन डॉ लालमणि प्रजापति ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ इन्द्र बहादुर सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ. अवधेश मिश्रा, डॉ नीलमणि सिंह,विष्णुकांत त्रिपाठी, विकास कुमार यादव,कार्यालय अधीक्षक बिंद प्रताप सिंह व अन्य उपस्थित रहे। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय विधिक प्राधिकरण नई दिल्ली के अंतर्गत राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा संचालित जिला प्राधिकरण में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन जिला जज एमपी सिंह के निर्देशन और प्रभारी सचिव सिविल जज सीनियर डिविजन फिरोज अहमद की देख-रेख में हुआ। प्रभारी सचिव ने उसके महत्व और उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए संविधान प्रदत मूल अधिकारों के साथ कर्तव्य पर भी प्रकाश डाला। पूर्व संधिकर्ता एवं वर्तमान मध्यस्थ दिलीप सिंह ने बताया कि जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव जीवन के लिए प्राप्त अधिकारों को मूल अधिकार कहा जाता है। अनुच्छेद 32 व 226 तथा गोलकनाथ भारत और मेनका गांधी के उदाहरण पर उन्होंने विस्तृत प्रकाश डाला। साथ ही कहा कि मूल अधिकारों का किसी भी दशा में समापन या न्यूनीकरण नहीं किया जा सकता। इसी क्रम में मनोज वर्मा, रिटेनर फ्रंट ऑफिस के देवेंद्र यादव ने अपना विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर वाद कारीगर पीएलवी प्राधिकरण के लिपिक राम जियावन सरोज, सतीश कुमार, बृजेश कुमार, सुनील कुमार, राजेश यादव, राकेश यादव सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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