रचयिता का सम्मान न करने वाला समाज दृष्टि खो देता है : शंभुनाथ | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
प्रयागराज। कलाकार और साहित्यकार समाज के लिए सांस्कृतिक आंख होते हैं। जो समाज सांस्कृतिक आंखों का सम्मान नहीं करता वह देखने की शक्ति खो देता है। यह बातें प्रख्यात लेखक और विचारक प्रो. शंभुनाथ ने कहीं। वह मीरा फाउंडेशन की ओर से शनिवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में आयोजित मीरा स्मृति सम्मान एवं पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
प्रो. शंभुनाथ ने कहा कि सम्मान समारोह रचयिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक अवसर होता है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति शब्दों पर भरोसा और प्रयागराज की जिंदादिली को दिखाता है। उन्होंने कहा कि आज प्रकाशक, लेखक और पाठक के बीच सामंजस्य बनाने की जरूरत है। जिस समाज में पान मसाला साहित्य का अग्रदूत बनकर आगे आता है वहां साहित्यकार और उसके चाहने वालों के लिए खतरा बन जाता है। आज पूरा समाज तर्क और विवेक के अंधेरे से घिरा हुआ है। इस अंधेरे को साहित्यकार और साहित्य ही आकाशदीप के रूप में भेदेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. राजेंद्र कुमार ने कहा कि साहित्यकारों और रचनाकारों के सम्मान से समाज में संवेदनशीलता और विचारशीलता के बचे रहने के सबूत मिलते हैं। उन्होंने प्रकाशक स्व. सतीश अग्रवाल के प्रति कृतज्ञता जताते हुए कहा कि वह एक प्रकाशक के साथ-साथ जिम्मेदार व्यक्तित्व के धनी थे। वह किताबें छापने के साथ-साथ साहित्यकारों का तन, मन, धन से सम्मान करने का कोई भी अवसर नहीं चूकते थे। वह आज मंच पर भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हमारी स्मृतियों में हमेशा छाए रहेंगे। आदमी का सम्मान करना ही आदमियत है।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. विजय अग्रवाल ने मीरा फाउंडेशन और साहित्य भंडार के उद्येश्यों और उसके संस्थापक स्व. सतीश अग्रवाल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। अतिथियों का स्वागत डॉ. एसके पांडेय, संचालन डॉ आनंद श्रीवास्तव और आभार ज्ञापन डॉ. शान्ति चौधरी ने किया। इस अवसर पर डॉ. जगदीश गुलाटी, प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल, डॉ. उषा अग्रवाल, डॉ. धनंजय चोपड़ा, डॉ. सरोज सिंह, प्रदीप गुप्ता, प्रमोद बंसल, प्रो. रामहित त्रिपाठी, डॉ. विभा मिश्रा, डॉ. उर्मिला श्रीवास्तव आदि की प्रमुख उपस्थिति रही।
- इन मनीषियों का हुआ सम्मान
सम्मान समारोह में प्रख्यात कवि नरेश सक्सेना, संस्कृत के विद्वान प्रो. ओम प्रकाश पांडेय, कथाकार तरसेम गुजराल, वरिष्ठ कवि हरीश चंद्र पांडे को शॉल, श्रीफल और स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। उपन्यासकार मधु कांकरिया अपरिहार्य कारणों से कार्यक्रम में नहीं पहुंच सकीं। उनका सम्मान भविष्य में किए जाने की बात कही गई। सिंगरौली की सीमा शर्मा को मीरा स्मृति पुरस्कार दिया गया। उन्हें सम्मान स्वरूप 25 हजार की नकद राशि, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र सौंपा गया।
- इन पुस्तकों का लोकार्पण
समारोह में साहित्य भंडार से प्रकाशित सीमा शर्मा की पुस्तक भेड़ियों का पोशांपा, तरसेम गुजराल की किताब भीष्म साहनी: एक रचनात्मक सफर और प्रो. संतोष भदौरिया की पुस्तक हिंदी भाषा परंपरा और प्रयोग का लोकार्पण किया गया।