नया सवेरा नेटवर्क
लखनऊ। "वास्तुकला का इतिहास" हिंदी और अंग्रेजी पुस्तक का विमोचन लखनऊ के भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेयी इकाना स्टेडियम में आयोजित आर्किटेक्चर फेस्टिवल में आयोजित बुक लॉन्च प्रोग्राम में किया गया। यह पुस्तक हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में उपलब्ध है। इस पुस्तक की मुख्य लेखिका प्रियंका रस्तोगी हैं साथ में सहायक लेखक के रूप में मरिया ज़मा और श्रीतिक श्रीवास्तव भी हैं। वास्तुविद प्रियंका रस्तोगी द्वारा लिखित पुस्तक " वास्तुकला का इतिहास" (हिंदी भाषा में) भाग १ एवम भाग २ (दो पुस्तकों) का विमोचन प्रख्यात वास्तुविद श्री राजीव कक्कड़ ( विभागाध्यक्ष, फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर, ए के टी यू, लखनऊ) एवम वास्तुविद श्री के के दीक्षित के द्वारा किया गया। इस अवसर पर लेखिका रस्तोगी ने प्रो. वंदना सहगल (डीन, फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर, ए के टी यू, लखनऊ) का आभार व्यक्त किया जिनके प्रेरणा एवम सहयोग से यह प्रकाशन संभव हुआ । साथ ही प्रियंका ने साथी संकाय सदस्य सहित सभी सहकर्मियों,छात्र, छात्राओं का भी आभार व्यक्त किया।
वास्तुविद प्रियंका रस्तोगी बताती हैं कि पुस्तक डिप्लोमा स्तर पर वास्तुकला के विद्यार्थियों के लिए लिखी गई है। पुस्तक में अध्ययन के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर समीक्षात्मक दृष्टि डाली गई है। जो छात्रों के लिए बहुत लाभदायक पुस्तक है। पुस्तक में सरलतम एवं सुबोध हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया है साथ ही पारिभाषिक एवं प्राविधिक पदों के साथ साथ शब्दों का अंग्रेजी में अनुवाद भी दिया गया है। हिन्दी भाषा में तैयार यह पुस्तक आर्किटेक्चुरल असिस्टेन्टशिप के छात्र/छात्राओं के लिए उपयोगी है। जैसा की हमें है किसी भवन या संरचना के निर्माण के लिए हमें उस स्थान की सभ्यता, संस्कृति तथा भौगोलिक स्थिति के बारे में जानना अति आवश्यक होता है। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए इस पुस्तक की रचना की गई है।
जानकारी देते हुए भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि प्रियंका रस्तोगी ने अपनी वास्तुकला की प्रारम्भिक शिक्षा राजकीय महिला पॉलीटेक्निक लखनऊ से की। तत्पश्चात् उन्होंने इंटीग्रल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक तथा बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से परस्नातक की पढ़ाई पूरी की। वास्तुकला अध्ययन में इनका सफर 10 वर्षों का रहा है। तत्पश्चात् इन्होंने अध्यापन के क्षेत्र को चुना और वर्तमान में अध्यापन का कार्य कर रही हैं। इन्होंने आईटीएम स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, आर आर स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर आदि कॉलेज में अध्यापन किया और वर्तमान समय में श्री रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में अध्यापन कर रही हैं। 'वास्तुकला के इतिहास' में अधिक रुचि होने के कारण यह इनके अध्यापन का प्रमुख विषय रहा है तथा अपने अध्यापन के अनुभव में उन्होंने यह पाया कि छात्रों का रुझान मात्र इसीलिए नहीं रहता क्योंकि उन्हें सहज भाषा में किताबें उपलब्ध नहीं हो पाती है। इसी समस्या के समाधान के कारवां में यह इनका प्रथम प्रयास है।
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