![]() |
अंतिम दिन प्रवचन करते जगतगुरू व आये हुए अतिथि भक्तगण। |
नया सवेरा नेटवर्क
अंतिम दिन कमिश्नर व डीएम समेत जुटे आला अधिकारी
महाराष्ट्र के विधान परिषद सदस्य राजहंस सिंह ने किया पादुका पूजन
जौनपुर। कई दिनों से चल रही भागवत कथा का मंगलवार को भव्य समापन हुआ। अंतिम दिन कमिश्नर व डीएम समेत पुलिस अधीक्षक व आला अधिकारी भी कार्यक्रम में सम्मिलित होने पहुंचे। विधान परिषद सदस्य राजहंस सिंह ने भी पहुंचकर महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस मौके पर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज ने असवां में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान का भक्त ही धनवान होता है धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे। वही आज के समय में धनवान व्यक्ति है। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम के द्वारा ही संभव हो सकती है। पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए महाराज ने बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया। माता यशोदा जब भगवान श्री कृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है उसके बाद पंचगव्य गाय के गोब, गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है। सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा हो जाती है। भगवान व्रजरज का सेवन करके यह दिखला रहे हैं कि जिन भक्तों ने मुझे अपनी सारी भावनाएं व कर्म समर्पित कर रखें हैं वे मेरे कितने प्रिय हैं। भगवान स्वयं अपने भक्तों की चरणरज मुख के द्वारा ह्मदय में धारण करते हैं।पृथ्वी ने गाय का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। गोप बालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी"मां तेरे लाला ने माटी खाई है यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। 'अच्छा खोल मुख।" माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदाजी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। आकाश, दिशाएं, पहाड़, द्वीप, समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी, बहने वाली वायु, वैद्युत, अग्नि, चन्द्रमा और तारों के साथ सम्पूर्णज्योतिर्मण्डल, जल, तेज अर्थात प्रकृति, महतत्त्व, अहंकार, देवगण, इन्द्रियां, मन, बुद्धि, त्रिगुण, जीव, काल, कर्म, प्रारब्ध आदि तत्त्व भी मूर्त दिखने लगे। महाराज ने कहा कि आज कल की युवा पीढ़ी अपने धर्म अपने भगवान को नही मानते है, लेकिन तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत ,रामायण पढ़ो तो तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जायेगी। कथा के पूर्व महाराज श्री का पादुका पूजन आचार्य महेश देव पाण्डेय, सागर गर्ग, राजहंस सिंह सदस्य विधान परिषद् महाराष्ट्रआदि अनेकों भक्तों द्वारा किया गया।
![]() |
Ad |
![]() |
Ad |
Ad |
0 टिप्पणियाँ