नया सवेरा नेटवर्क
मुफ्तीगंज,जौनपुर। क्षेत्र में डेंगू के प्रकोप से भले ही लोग मर रहे हों लेकिन इसकी रोकथाम के जिम्मेदार अधिकांश अधिकारी इसको लेकर बहुत गंभीर नहीं दिखाई दे रहे हैं। हाल यह है कि ब्लाकों में सफाई कर्मचारियों और स्वास्थ्य से जुड़े कर्मचारियों की भारी भरकम फ़ौज होने के बावजूद गावों में न तो जल जमाव वाले स्थानों, नालियों आदि की साफ सफाई कराई जा रही है और न वहां पनप रहे डेंगू के लार्वा को नष्ट करने के लिए दवाओं का छिड़काव ही कराया जा रहा है। केराकत ब्लॉक में डेंगू के चलते अब तक तीन से चार लोगों की मौत हो चुकी है और केराकत थाना के हेड कांस्टेबल सहित कई ऐसे हैं जो इस बीमारी की चपेट में आ गये हैं। जानकारी के अनुसार स्वयं केराकत के बीडीओ कृष्ण मोहन यादव भी बुखार से ग्रसित हैं। इसके बावजूद ब्लॉक क्षेत्र के 71 ग्राम पंचायतों में से किसी भी गांव में न तो नालियों की साफ सफाई कराई गई न ही डेंगू के लार्वा को नष्ट करने के लिए फागिंग। यही हाल मुफ़्तीगंज ब्लॉक का भी है। कुल 52 ग्राम पंचायतों में से एक भी गावों में साफ सफाई और छिड़काव नहीं किया गया। ब्लॉक क्षेत्र के पंकज कुमार राय ने शनिवार को मुख्य विकास अधिकारी सार्इं सीलम तेजा से इस संदर्भ में बात की। जिस पर उन्होंने सभी बीडीओ से गावों में डेंगू के लार्वा को नष्ट करने के लिए साफ सफाई कराने और छिड़काव कराने का निर्देश दिया। सीडीओ के निर्देश के बाद मुफ़्तीगंज के बीडीओ रवि कुमार सिंह ने सभी सफाई कर्मचारियों को संबंधित गावों के जल, कूड़ा जमाव वाले स्थानों और नालियों की साफ सफाई करने का निर्देश दिया। साथ ही गावों के ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों को भी अपने अपने गावों में छिड़काव और फागिंग का निर्देश दिया। उनके निर्देश के बाद साफ सफाई का अभियान तेज हो गया है। पानी से होने वाली बीमारियों के लिए सरकार प्रत्येक वर्ष दस हजार रूपये प्रदान करती है। यह पैसा प्रत्येक गांव के ग्राम प्रधान, आशा और एएनएम की संयुक्त खाता में भेजा जाता है लेकिन ग्रामीणों का आरोप है इसका गांव में उपयोग होने के बजाय आपस में बंदरबांट कर लिया जाता है।
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