अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस| #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

  • आओ ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने हाथ बढ़ाएं 
  • महिलाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है 
  • ग्रामीण महिलाओं के उत्थान हेतु उनका सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक सशक्तिकरण किया जाना वर्तमान समय की मांग-  एडवोकेट किशन भावनानी  

गोंदिया- वैश्विक स्तरपर जगत जननी महिलाओं का एक विशेष महत्वपूर्ण दर्जा रहा है। दुनिया के हर देश के विकास में महिलाओं की विशेष भागीदारी रही है। उनकी मेहनत प्रोत्साहन और पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर उनके हाथ बढ़ाकर महिला पर्दे के पीछे से सशक्त रोल, पहल भी अदा करती है और आज भी अपनी जिम्मेदारी बहुत संजीदगी से निभाती है, जिसके कारण पहले की अपेक्षा वर्तमान परिपेक्ष में महिलाओं की स्थिति का कद बहुत ऊंचा हुआ है। पुरुष प्रधान स्थित अब धीरे-धीरे समानता की ओर बढ़ रही है आज महिलाएं सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में दुनिया में अपना डंका बजा रही है अपनी सफलताओं के बल पर चाहे, वह अभी अभी बनी ब्रिटेन की पीएम हो या अमेरिका की कमला हैरस या फिर इन क्षेत्रों में भारत की बड़ी बड़ी महिला हस्तियां!! परंतु हम महसूस कर रहे हैं कि यह सब उपलब्धियां शहरी क्षेत्रों की महिलाएं द्वारा अपेक्षाकृत अधिक अर्जित की है बल्कि ग्रामीण महिलाओं का विकास हम आज तक वैश्विक स्तरपर अपेक्षाकृत कम  देख रहे हैं चाहे वह कृषि, ग्रामीण हो या खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन जैसे अन्य क्षेत्र हो इनमें ग्रामीण महिलाओं के प्रति सजगता नहीं है। हम अनेक योजनाओं के अधीन महिलाओं के लिए चूल्हा गैस, घर राशन इत्यादि अनेक दैनिक जीवन चक्र चलाने में महिलाओं की इन्हें प्राथमिक जरूरतवस्तुओं की उपलब्धियां हर मौकों पर गिनाते हैं। 80 करोड़ जनता को राशन मुक्ति की समय सीमा बढ़ाते हैं, परंतु हमें इसकी भी सुनिश्चितता करनी चाहिए कि कितने चूल्हे एवं गैस अभी शुरू हैं!! आखिर 80 करोड़ जनता को मुफ्त राशन की समय सीमा बढ़ाने की जरूरत आखिर क्यों पड़ गई है? इत्यादि सवालों का जवाब हमें ग्रामीण महिलाओं के परिपेक्ष में सुनिश्चित कर स्थिति का आंकलन करना होगा। चूंकि 15 अक्टूबर 2022 को हम अंतर्राष्ट्रीय महिला ग्रामीण दिवस मना रहे हैं इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आओ ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने हाथ बढ़ाएं। 

साथियों बात अगर हम ग्रामीण महिलाओं की प्रमुख चुनौतियों की करें तो (1)सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण क्षेत्रों की बेटियों के लिए शिक्षा की है जिसके लिए उन्हें बाहर जाने आर्थिक मजबूरी है और शिक्षा से वंचित हो रही हैं (2) लैंगिक रूपरेखा (3)भावना की पीड़ा समुचित पोषणस्वच्छता एवं स्वास्थ्य( 4) सुविधाओं का अभाव तथा महिलाओं के विरुद्ध लैंगिक हिंसा (5) ग्रामीण समाज का बंद परिवेश (6) पितात्मक मानसिकता शहर की तरह खुले पनकी सूट का अभाव (7)संसाधनों की कमी सहित अनेक चुनौतियों का सामना ग्रामीण महिलाओं को करना पड़ता है। 

  • साथियों बात अगर हम 

अर्थव्यवस्था में ग्रामीण महिलाओं के अभूतपूर्व योगदान सहभागिता की करें तो महिलाओं को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है।अपनी देखभाल सुविधाओं के अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण महिलाओं को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है।ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित होने वाले उद्योगों एवं कुटीर उद्योगों में ग्रामीण महिलाओं के द्वारा श्रम बल के रूप में महती भूमिका निभाई जाती है।इसी के साथ ग्रामीण महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कई सारे उत्पादन गतिविधियों में शामिल होकर आपूर्ति श्रृंखला में अपना योगदान देती है।विकासशील देशों में कृषि का अधिकांश कार्य महिलाओं के द्वारा किया जाता है जैसे विकसित देशों में कुल कृषि श्रम बल में महिलाओं का आंकड़ा 80 फ़ीसदी तक है तो वहीं भारत में है 43 फ़ीसदी है। हालांकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और डीआरडब्ल्यूए के शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि महत्वपूर्ण फसलों के पैदावार के संदर्भ में महिलाओं के श्रमबल का हिस्सा 75 फ़ीसदी तक है।बागवानी और फसल कटाई के उपरांत अन्य कार्यों में महिला का श्रम बल में हिस्सा क्रमशः हिस्सा 79 फ़ीसदी और 51 फ़ीसदी है।

पशुपालन और मत्स्य उत्पादन में यदि महिला श्रम बल का हिस्सा देखा जाए तो यह क्रमशः 58 फ़ीसदी और 95 फ़ीसदी है।आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार पुरुषों के शहरों की ओर पलायन होने से भारतीय कृषि मेंमहिलाओं का हिस्सा निरंतर बढ़ता जा रहा है। महिलाएं सभी कृषि गतिविधियों उदाहरण के लिए बुवाई से लेकर रोपाई, निराई, सिंचाई, उर्वरक डालना, पौध संरक्षण, कटाई, भंडारण इत्यादि से व्यापक रूप से जुड़ी हुई है। इसके साथ ही वह पशुपालन और अन्य सहायक कृषि गतिविधियों जैसे मवेशी पालन, चारे का संग्रह, दुग्ध उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, सूकर पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन आदि में भी अपनी पर्याप्त भूमिका सुनिश्चित कर रही है।अपनी आर्थिक सहभागिता के साथसाथ घरेलू कार्यों में भी ग्रामीणमहिलाएं महती भूमिका निभाती हैं जिसका उन्हें कोई परिश्रमिक नहींमिलता। इसमें खाना बनाना, साफ सफाई, बच्चों का पालन पोषण इत्यादि जैसी गतिविधियां शामिल है। साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस को मनाने के इतिहास और उद्देश्यों की करें तो 18 दिसंबर, 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित एक प्रस्ताव 62/136 के अनुसार, 15 अक्टूबर को वैश्विक स्तरपर ग्रामीण महिलाओं के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता दी जाएगी। उस समय से, कई देशों में ग्रामीण महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता रहा है। विश्वभर में। यह कठिनाइयों और रूढ़ियों के बावजूद, ग्रामीण घरों और समग्र रूप से समुदाय की निरंतरता सुनिश्चित करने में इन महिलाओं के लचीलेपन और उपलब्धियों का सम्मान करता है। 

साथियों बहुत अगर हम अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने की करें हम  दिवस और सप्ताह जनता को चिंता के मुद्दों पर शिक्षित करने, वैश्विक समस्याओं को दूर करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और संसाधनों को जुटाने और मानवता की उपलब्धियों का जश्न मनाने और सुदृढ़ करने के अवसर हैं। अंतर्राष्ट्रीय दिनों का अस्तित्व संयुक्त राष्ट्र की स्थापना से पहले का है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें एक शक्तिशाली वकालत उपकरण के रूप में अपनाया है। हम अन्य संयुक्त राष्ट्र के पालनों को भी चिह्नित करते हैं। 

अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसकाविश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस 15अक्टूबर 2022 पर विशेष है। आओ ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने हाथ बढ़ाएं। महिलाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ग्रामीण महिलाओं के उत्थान हेतु उनका सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक सशक्तिकरण किया जाना समय सेकी मांग है। 

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


*LIC HOME LOAN | LIC HOUSING FINANCE LTD. Vinod Kumar Yadav Authorised HLA Jaunpur Mob. No. +91-8726292670, 8707026018 email.: vinodyadav4jnp@gmail.com 4 Photo, Pan Card, Adhar Card, 3 Month Pay Slip, Letest 6 Month Bank Passbook, Form-16, Property Paper, Processing Fee+Service Tax Note: All types of Loan Available  | #NayaSaberaNetwork*
Ad


*एस.आर.एस. हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेन्टर स्पोर्ट्स सर्जरी डॉ. अभय प्रताप सिंह (हड्डी रोग विशेषज्ञ) आर्थोस्कोपिक एण्ड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन # फ्रैक्चर (नये एवं पुराने) # ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी # घुटने के लिगामेंट का बिना चीरा लगाए दूरबीन  # पद्धति से आपरेशन # ऑर्थोस्कोपिक सर्जरी # पैथोलोजी लैब # आई.सी.यू.यूनिट मछलीशहर पड़ाव, ईदगाह के सामने, जौनपुर (उ.प्र.) सम्पर्क- 7355358194, Email : srshospital123@gmail.com*
Ad


*जौनपुर टाईल्स एण्ड सेनेट्री | लाइन बाजार थाने के बगल में जौनपुर | सम्पर्क करें - प्रो. अनुज विक्रम सिंह, मो. 9670770770*
Ad

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ