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New Delhi News: समाज को अधिक मानवीय बनाना ही लेखन का उद्देश्य: पंकज मित्र

New Delhi News: समाज को अधिक मानवीय बनाना ही लेखन का उद्देश्य: पंकज मित्र
बनास जन के पंकज मित्र विशेषांक का लोकार्पण

नया सवेरा नेटवर्क

New Delhi News: तकनीकी विकास और बाज़ार की व्यवस्था ने कुछ हद तक मुक्ति भी दी है और एक अलग तरीके से अन्यायपूर्ण व्यवस्था भी बनाई है। मनुष्य की गरिमा, नया अभी भी कोसों दूर है और लेखक का स्वप्न है कि ऐसा समाज बन सके जो न्याय आधारित हो। मेरा कहानी लेखन इसी दिशा में एक विनम्र प्रयास है कि हमारा समाज अधिक मानवीय बन सके। सुप्रसिद्ध कथाकार पंकज मित्र ने अपने पर केंद्रित विख्यात लघु पत्रिका बनास जन के लोकार्पण के अवसर पर अपने पाठकों का सबसे अधिक ऋण स्वीकार किया जिनके कारण वे लगातार सक्रिय रह सके। हरकिशन सिंह सुरजीत भवन में एक सादे समारोह में वरिष्ठ उपन्यासकार रणेन्द्र, लेखक-अनुवादक दिगम्बर, चर्चित कथाकार कविता और अरुण कुमार असफल ने बनास जन के उक्त विशेषांक का लोकार्पण किया। आलोचक-कथाकार राजीव कुमार के सम्पादन में आए इस विशेषांक में लगभग एक दर्जन आलोचकों ने विस्तार से पंकज मित्र की कहानियों का विश्लेषण-मूल्यांकन किया है। मित्र के संगी- साथियों संजय कुमार कुंदन और राजेश करमहे के संस्मरणों के साथ उनका लम्बा साक्षात्कार भी अंक में है। मूलत: झारखंड निवासी पंकज मित्र 1996 से कहानियाँ लिख रहे हैं और पेशे से भारतीय प्रसारण सेवा में अधिकारी रहे हैं।  

New Delhi News: Making society more humane is the purpose of writing - Pankaj Mitra

आयोजन में साहित्यकार रणेन्द्र ने कहा कि हिंदी के लघु पत्रिका आंदोलन का विशिष्ट स्वर बन चुकी बनास जन का पंकज मित्र पर विशेषांक का प्रकाशन इस बात का प्रमाण है कि हिंदी साहित्य समाज ने गंभीर और जनपक्षधर लेखकों का महत्व स्वीकार किया है। कथाकार कविता ने पंकज मित्र को बधाई दी और कहा कि अपनी पीढ़ी के श्रेष्ठ कहानी सर्जक के रूप में वे जाने जाते रहेंगे। 

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बनास जन के सम्पादक पल्लव ने बनास जन की सत्रह वर्षीय यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि पंकज मित्र पर आया अंक तरासीवाँ अंक है। चित्तौड़गढ़ से प्रारम्भ हुई इस पत्रिका ने अब तक हिंदी के अनेक रचनाकारों पर अपने अंकों का प्रकाशन किया है जिनमें मीराँ, नज़ीर अकबराबादी, भीष्म साहनी, नामवर सिंह, फणीश्वरनाथ रेणु,अमरकान्त, मृणाल पांडे, स्वयं प्रकाश, असग़र वजाहत, ओमप्रकाश वाल्मीकि,अखिलेश पर अंक सम्मिलित हैं। पल्लव ने लघु पत्रिकाओं की प्रकाशन यात्रा को भूमंडलीकरण के प्रतिपक्ष में भारतीय संस्कृति और साहित्य का संघर्ष बताया। आयोजन में कवि-कथाकार श्रीधर करुणानिधि, डॉ विदित, शोधार्थी जनार्दन सहित अन्य रचनाकारों ने भी मित्र को बधाई दी।  

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