Article: प्रदूषण का वही विरोध कर रहे,जो खुद इसके जवाबदार हैं...
नया सवेरा नेटवर्क
आजकल एस आई आर के बाद यदि किसी विषय पर अधिक चर्चा हो रही है।तो वो है प्रदूषण।जबसे नवम्बर माह लगा है।सभी प्रदूषण मापक यंत्र संस्थान पक्ष विपक्ष सक्रिय हो गये हैं।प्रतिदिन प्रदूषण मापा जा रहा है।किस राज्य में हवा की गुणवत्ता कैसी है।पैरामीटर पर कितनी है।एक एक बात टीवी अखबार द्वारा पूरे विश्व को बताई जा रही है। खासकरके दिल्ली का तो खूब बढ़ चढ़कर दिखाया बताया जा रहा है।बड़ी बड़ी बैठकें हो रही हैं।पक्ष उससे निपटने के लिए कर रहा है।विपक्ष पक्ष को कैसे किस तरह से बदनाम किया जाय, इसलिए।जितनी भी उठक बैठक हो रही है।सिर्फ नौटंकी के सिवा कुछ नहीं।यदि काम किया गया होता तो शायद आज प्रदूषण पर इतनी उठक बैठक करने की जरूरत नहीं पड़ती।
मजे की बात यह है कि जितने लोग प्रदूषण के लिए धरना प्रदर्शन या चर्चा में शामिल हैं।वही लोग वातावरण की गुणवत्ता खराब कर रहे हैं।वह चाहे वायु की हो या जनता की।जितने बड़े बड़े अधिकारी हैं मंत्री हैं विधायक सांसद उद्योगपति डीएम पीएम हैं।सबके सब प्रदूषण फैलाने का काम कर रहे हैं।यही लोग बैठ कर प्रदूषण कम कैसे हो,हवा की गुणवत्ता कैसे सुधरे,उस पर तमाम चर्चाएं करते हैं।कुछ उससे बचाव के तरीके पर मसौदा तैयार करते हैं,कुछ मीलमेख निकालने में व्यस्त हैं। लेकिन किसी की इच्छा शक्ति यह सिद्ध नहीं कर पाई कि पर्यावरण पर कुछ करके दिखा पाई है।यदि दिखा पाई होती तो वर्षों वर्ष बढ़ने के बजाय प्रदूषण कम हुआ होता। लेकिन ऐसा हुआ नहीं है।हर वर्ष खरबों रुपए पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए स्वाहा हो रहा है,नतीजा शून्य है। क्यों?
क्योंकि कि इच्छाशक्ति की कमी है।करने वाले वहीं हैं,जो खुद पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं।हमारे यहाॅं एक बहुत पुरानी कहावत है,जो यहाॅं बहुत सटीक बैठ रही है।"जे छिनरा तेइ डोली संगे"मतलब ए कि प्रदूषण पर वही हाय तौबा कर रहे हैं।जो प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं।
अब आप सब सोच रहे होंगे कि वो कैसे बढ़ा रहे हैं।वो तो अपना खून पसीना बहा रहे हैं,पर्यावरण शुद्धि के लिए।दिन रात मेहनत कर रहे हैं। प्रदूषण कम करने के लिए।आवश्यकता से अधिक इधर उधर भागदौड़ कर रहे हैं।बैठक पर बैठक कर रहे हैं।जहाॅं तहाॅं धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं।अरे नहीं नहीं वो लोग कैसे प्रदूषण को प्रदूषित करेंगे।तो आइए हम बताते हैं कि प्रदूषण को प्रदूषित प्रदुषण से बचाव बताने वाले कैसे कर रहे हैं।जितने बड़े बड़े अधिकारी मंत्री संत्री सांसद विधायक डीएम सीएम पीएम आदि हैं।
यह भी पढ़ें | Mumbai News: महाराष्ट्र प्रेरणा पुरस्कार से सम्मानित हुए समाजसेवी नितिन गुप्ता
सबके पास कम से कम दस दस बीस बीस गाड़ियां हैं।एक जन के चलने के लिए दस दस गाड़ियां वातावरण में धूंआ उगलती वातावरण में जहर घोलती निकलती हैं।ए उपरोक्त उल्लिखित व्यक्ति के कई मकान फार्म हाउस आदि हैं।जो जंगल बगीचा तालाब नदी सागर खाड़ी व खेती की जमीन पर बने हैं।तो बताइए जहाॅं जहाॅं बने हैं वहाॅं वहाॅं के आक्सीजन का दोहन हुआ कार्वनडाई आक्साइड बढ़ा।जिससे पर्यावरण को क्षति पहुॅंची और वातावरण दूषित हुआ।इसी तरह ये उपरोक्त उल्लिखित व्यक्ति अपनी सुख सुविधा के लिए घरों में कारों में एयरकंडीशनर भी लगवाये हैं।जिससे बाहर की नमी आक्सीजन सब ये अंदर खींच लिए।और अंदर का सारा प्रदूषण कार्वनडाई आक्साइड बाहर कर रहे हैं।जिससे हवा दूषित हो रही है।बाहर आक्सीजन की कमी हो रही है। प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।यही उपरोक्त उल्लिखित लोग आम जन को भरमा के धरना प्रदर्शन भी करवा रहे हैं।आम आदमी तो किधर का भी नहीं हो रहा है।मगर उपरोक्त उल्लिखित लोग महापुरुष बनकर पुजवा रहे हैं।उनके द्वारा उत्पन्न किये गये प्रदूषण से आम आदमी न जी पा रहा है न मर पा रहा है।एक तरफ प्रदूषण फैला रहे हैं,दूसरी तरफ प्रदर्शन करवा के लाठी भी कि खिलवा रहे हैं।
इन्हीं उपरोक्त उल्लिखित महानुभावों को देख देखके मध्यम वर्ग भी उछल कूद रहा है।कर्ज रूपी प्रदूषण से तिल तिल मर रहा है।उनकी बराबरी करने के चक्कर में घर का भी उर्द(उड़द) जंगेले (उड़द के पौधे) में डाल रहा है।और प्रदूषण बढ़ाने का सारा जिम्मा अपने शिर ले ले रहा है। प्रदूषण बढ़ाने में एक और विषय बहुत मदद कर रहा है।वो है जन संख्या का बढ़ना।जितनी अधिक जनसंख्या उतना अधिक संसाधन।जनता की सुख सुविधा के लिए रोजी रोटी के लिए भी व्यवस्था करनी पड़ती है।उसके रोजगार आवागमन सब सुसज्जित करना पड़ता है। उद्योग लगाने पड़ते हैं।जिससे प्रदूषण बढ़ता है।एक कारण शौक है।इधर कुछ वर्षों में लोगों के शौक बहुत बढ़ गये हैं।जिसकी पूर्ति के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ अधिक हो रही है।वातावरण से आक्सीजन घट रहा है।प्रदूषण बढ़ रहा है।जबतक इन उपरोक्त उल्लिखित बातों पर गहन विचार कर इसमें कमी नहीं की जायेगी।प्रदूषण पर सारे व्याख्यान सारी तैयारियां बेमानी हैं।जबतक धुरई के एड़ां में तेल दिया जाता रहेगा,जबतक गड़ारी का कुंहकना बंद नहीं होगा।कहने का मतलब ए कि जब तक सही विषय पर सही ढ़ंग से दृढ़ इच्छाशक्ति से काम नहीं होगा। प्रदूषण ऐसे ही बढ़ता जायेगा।
पं.जमदग्निपुरी


