Mumbai News: मासिक काव्यगोष्ठी संग सम्मान समारोह सम्पन्न
नया सवेरा नेटवर्क
मुंबई। साकीनाका की धरा पर तुलसी विवाह के शुभ दिवस व राम जानकी मंदिर बद्रीधाम नब्बे फिट रोड लालबहादुर शास्त्री नगर साकीनाका मुम्बई के प्रांगण में काव्य सृजन परिवार की अनवरत चलती आ रही मासिक काव्य गोष्ठी का भव्य आयोजन हुआ। इसमें मुंबई के साहित्य प्रेमियों व कवि गण ने अपनी अनमोल उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री अमरनाथ द्विवेदी जी के पवित्र मंत्रोच्चार के साथ सम्मानित अतिथियों के हस्तों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष द्वीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण से हुआ। अतिथियों में ओमप्रकाश तिवारी कार्यक्रम अध्यक्ष, सम्मान मूर्ति मे डॉ. हरि वाणी जो कानपुर से एवं विशेष अतिथि में सम्माननीय ब्रिजेन्द्र मिश्र थे जो जमशेदपुर झारखंड से से पधारे थे। काव्य सृजन का मंच अतिथियों द्वारा सुशोभित हो गया। तदोपरांत संस्था के उपसचिव आनंद पाण्डेय "केवल" की स्वर्गवासी पत्नी को दो मिनट की मौन रखकर सभी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की व भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
तत्पश्चात काव्य सृजन परिवार के वरिष्ठ सदस्य व साहित्यकार हौसिला प्रसाद "अन्वेषी" ने साहित्य के वर्तनी सुधार पर अपना विचार प्रकट किया। काव्यगोष्ठी का आगाज श्रीनाथ शर्मा की भोजपुरी सरस्वती वंदना से हुई। उसके पश्चात काव्य सृजन का मंच एक से बढ़कर एक काव्यों की दीप श्रृंखला से आलोकित हुआ। कार्यक्रम का सुंदर संचालन कवयित्री व काव्यसृजन परिवार की प्रवक्ता लक्ष्मी यादव" ओजस्विनी" ने किया। मंच पर जिन कवियों ने अपनी सुंदर प्रस्तुति दी उनमें श्री शंकर केहरी श्रीनाथ शर्मा, गुरु प्रसाद गुप्त, प्रा. अंजनी द्विवेदी "अनमोल", "आत्मिक" श्रीधर मिश्र व प्रोफेसर वाचस्पति आदि।
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मधुर कंठी कल्पेश यादव ने वीर रस के गीत और हीरालाल के तरन्नुम में गाए गज़ल ने समां बांध दिया। कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति रही साहित्य साधक दंपति सौ. सत्य भामा सिंह "जिया"व शिव कुमार सिंह की। दोनों ने अपनी सुंदर काव्य प्रस्तुति दी। गमगीन श्री आनंद पाण्डे"केवल" ने जब ये पंक्तियां पढ़ी कि ‘ अभी तो सीप मे समंदर रोपने की कोशिश....’ पढ़ी तो पूरा माहौल गमगीन हो गया। अवधेश "यदुवंशी"ने हरि वाणी जी की रचना का काव्य पाठ किया। एड. राजीव मिश्र ‘मधुकर’ की भी उपस्थिति रही।
समृद्ध मंच के भी आशीर्वचन से सभी लाभान्वित हुए। मुख्य अतिथि सम्माननीय श्री ब्रजेंद्र नाथ जी ने बुलंद आवाज में काव्य प्रस्तुति दी। वरिष्ठ साहित्यकार हरि वाणी ने सीमित शब्दों में सार्थक विचार प्रकट करते हुए यह कहा कि आजकल साहित्य की वर्तनी सुधार से ज्यादा साहित्य कारों को अपनी वर्तनी सुधार पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। ओम प्रकाश तिवारी ने अपनी कार्यक्रम अध्यक्ष की भूमिका के साथ पूर्ण न्याय किया और इस कार्यक्रम को सुंदर अंजाम दिया। आभार प्रदर्शन का भार संस्था अध्यक्ष श्रीधर मिश्र जी ने लिया। अंत मे ‘ वंदे मातरम् ’ गीत द्वारा इस सुंदर व सफल आयोजन का समापन हुआ।


