Mumbai News: शिकायतकर्ता रंजीत झा का बिल्डर के फर्जीवाड़े को लेकर गंभीर आरोप
नया सवेरा नेटवर्क
मुंबई। फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी से संबंधित एक मामलें मे ५० हजार रुपयों के जात मुचलके पर जमानत पर रिहा हुए बिल्डर उमराव सिंह ओस्तवाल की कन्स्ट्रक्शन कंपनी पर कार्यवाही की तलवार अभी तक लटक रही है। बता दें कि मामला दर्ज होने के तीन महीनों बाद आखिरकार मिरा भायंदर -वसई विरार पुलिस आयुक्तलय की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू ) और क्राइम ब्रांच यूनिट ने उमराव सिंह ओस्तवाल को ३० अगस्त को गिरफ्तार कर लिया था। दो दिनों की पुलिस रिमांड मिलने के बाद ओस्तवाल को मिरा भायंदर के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की अदालत ने ५० हजार के जात मुचलके पर जमानत पर रिहा कर दिया था। देर से ही सही मिरा भायंदर महानगरपालिका गहरी नींद से जागी और उप-अधीक्षक (भूमि अभिलेख), ठाणे को संबंधित जमीनों के मापन हेतु की गई कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट मांगी। ३ ऑक्टोबर २०२५ को मनपा आयुक्त के समक्ष हुई सुनवाई के बाद टाउन प्लानिंग विभाग के सहायक संचालक पुरुषोत्तम शिंदे ने १० ऑक्टोबर २०२५ को लिखे अपने पत्र में उप-अधीक्षक (भूमि अभिलेख), ठाणे को संबंधित जमीनों के मापन हेतु की गई कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। हालांकि रिपोर्ट देने में भूमि अभिलेख विभाग के उप-अधीक्षक कार्यालय द्वारा की जा रही देरी संदेह के घेरे में। वहीं बिल्डर ने कागजी खेल खेलते हुए भूमि अभिलेख विभाग को पत्र लिखकर जमीन मापन रिपोर्ट जल्द जारी करने की मांग की है।
ज्ञात हो कि मेसर्स श्री ओस्तवाल बिल्डर्स लिमिटेड के मालिक उमराव सिंह ओस्तवाल सहित कुलदीप सिंह ओस्तवाल और चार अन्य लोगों पर नया नगर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आइ पी सी ) की धारा ४२० (धोखाधड़ी), ४०६ (विश्वासघात) ४६५ (दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़), ४६६ (जालसाजी),४६८(धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), ४७१ (जाली दस्तावेजों का उपयोग) ४७२ (जालसाजी करने के इरादे से नकली मुहर का उपयोग) एवं (जाली दस्तावेजों होने का ज्ञान होते हुए धोखा देने का अपराध) के तहत १६ मई २०२५ में मामला दर्ज किया था।
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शिकायतकर्ता रंजीत झा जो आरोपियों द्वारा निर्माणित ओस्तवाल पैरडाइस (बिल्डिंग क्रमांक ६) की हाउसिंग सोसाइटी मे सचिव पद पर कार्यरत है ने पुलिस को दिए बयान के अनुसार आरोपी बिल्डर ने २००६ मे फ्लैट के विक्री अग्रीमन्ट मे अपने लेऔट मे चार रिहायशी और एक शॉपिंग सेंटेर की जानकारी दी और सन २००८ मे चार अलग हाउज़िंग सोसाइटी का पंजीकरण करवाया। मामला २०१५ मे तब सामने आया जब सोसाइटी के पदाधिकारी अपनी इमारतों का डीम कन्वैअन्स करने हेतु दस्तावेज इकठा करने लगे। पता चल की बिल्डर ने ना सिर्फ तीन मंजिलों का निर्माण अवैध रूप से किया था, बल्कि सोसाइटी की मंजूरी लिए बिना फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पॉटेंटीयल (एक्स्ट्रा ) फ्लोर स्पेस इंडेक्स का दुरुपयोग कर एक और इमारत (क्र ९ ) का निर्माण शुरू कर दिया।
आरोप है कि ओस्तवाल और अन्य आरोपीयों ने एक सोची समझी साजिश के तहत कथित रूप से फर्जी सुधारित निर्माणकार्य अनुमती और जाली नक्शे बनाकर न सिर्फ अवैध फ्लैट्स को बेच कर खरीदारों को दो करोड़ रुपयों का चुना लगाया, बल्कि मनपा के साथ भी धोखाधड़ी को अंजाम दिया। जानकारों का मानना है कि मनपा को भी आधिकारिक रूप से बिल्डर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करना चाहिये। भूमि अभिलेख विभाग और मनपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायतकर्ता रंजीत झा ने कई सवाल खड़े किए है। झा ने बताया कि सबसे पहला और अहम सवाल यह है कि जमीन मापन रिपोर्ट सीसी पास करने से पहले लिया जाता है, तो फिर किस आधार पर मनपा ने प्लान पास किया, पहली सुनवाई के डेढ़ साल बाद भी मनपा कार्यवाही के नाम पर लेटरबाजी का खेल रहा है लेकिन भूमि अभिलेख विभाग को भी बिल्कुल परवाह नही है। साइट विज़िट के दौरान मनपा इंजीनियर ने अपने रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि प्लान में दर्शाई गई जमीन और वास्तविकता में अंतर है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने सारे सबूत होते हुए भी इतने सालों तक बिल्डर के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।


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