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Jaunpur News: प्राची मिश्रा केस में बहन साक्षी पहुंची कोर्ट, 12 नवंबर को तारीख

नगर पालिका अध्यक्ष समेत 6 नामजद समेत अन्य के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का वाद

नया सवेरा नेटवर्क

जौनपुर। शासन-प्रशासन की न्याय की उम्मीद लिए दर-दर भटक रही साक्षी मिश्रा ने अब अदालत का दरवाजा खटखटाया है। आपको बता दें कि मछलीशहर पड़ाव केस में करंट लगने के बाद मैनहोल में बहने से प्राची मिश्रा समेत 3 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में लाइन बाजार थाना क्षेत्र के मियांपुर निवासी साक्षी मिश्रा पुत्री योगेश मिश्रा उर्फ लंबू पंडित ने सीजेएम की अदालत में वाद दाखिल किया है। साक्षी मिश्रा ने प्रभारी सीजेएम की अदालत में नगर पालिका अध्यक्ष समेत 6 नामजद समेत अन्य अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का आरोप लगाते हुए प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। कोर्ट ने 12 नवंबर की तिथि नियत करते हुए थाना कोतवाली से इस बाबत रिपोर्ट मांगा है।

अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का आरोप

साक्षी ने सीजेएम की अदालत में अधिवक्ता उपेंद्र विक्रम सिंह व अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव के माध्यम से नगर पालिका अध्यक्ष व अधिशासी अधिकारी, अधीक्षण अभियंता विद्युत विभाग जौनपुर शहरी, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग जौनपुर, मुख्य राजस्व अधिकारी/नोडल अधिकारी नोडल नगर निकाय जौनपुर, अधिशासी अभियंता जल निगम (नमामि गंगे व अमृत योजना कार्य के नोडल अधिकारी) सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का आरोप लगाते हुए प्रार्थना पत्र दिया। 

28 घंटे बाद मिला था प्राची का शव

साक्षी ने बताया कि बहन प्राची मिश्रा ब्यूटीशियन का कोर्स करके बारिश बंद होने पर वापस घर आ रही थी। ऑटो वाले के बुलाने पर वह पीछे मुड़ी लेकिन पानी जमा होने के कारण गड्ढेदार सड़क में फिसल गई। विद्युत पोल से लटकते जर्जर तार की चपेट में आने से उसको करंट लग गया। वह झुलसने लगी। टूटी-फूटी उखड़ी नाली में ढक्कन न होने की वजह से वह नाली में गिरती चली गई और उसकी मृत्यु हो गई। 26 अगस्त 2025 को 28 घंटे बाद खुले नाले से उसका शव मिला। आरोपियों को निश्चित रूप से ज्ञान था कि उनके कार्य या लापरवाही से मृत्यु हो सकती है, लेकिन सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए। उन्हें जानकारी थी कि खुले तार, गड्ढेदार सड़क और खुली नालियां मौत का कारण बन सकती हैं। विद्युत विभाग द्वारा टूटे एवं लटकते तार की जानकारी के बावजूद सुधार नहीं किया गया। पीडब्ल्यूडी द्वारा सड़क के गड्ढों की मरम्मत नहीं की गई। नगर पालिका परिषद द्वारा नालियों को बिना ढक्कन खुला छोड़ दिया गया।

नरसंहार की श्रेणी में आती है 3 निर्दोषों की मृत्यु

मुख्य राजस्व अधिकारी/नोडल अधिकारी का काम इसकी मॉनिटरिंग करना था। नमामि गंगे व अमृत योजना के तहत कार्य हुआ, इसलिए अधिशासी अभियंता जल निगम भी जिम्मेदार हैं। सभी अभियुक्तों की लापरवाही और उपेक्षा से 3 निर्दोषों की मृत्यु हुई जो नरसंहार की श्रेणी में आती है। आरोप लगाया कि बहन की डेड बॉडी मिलने के बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम भी कराया लेकिन कोई मुकदमा अभियुक्तों के खिलाफ दर्ज नहीं किया। कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन औपचारिकता पूरी करते हुए सिर्फ 2 लोगों को सस्पेंड करने का निर्देश दिया। विभागीय लोगों को चेतावनी दी गई लेकिन कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।

प्राची मिश्रा केस में साइलेंट ही रही पूरी मशीनरी

साक्षी के मुताबिक घटना को तमाम लोगों ने देखा है। कुछ वीडियो फुटेज भी वायरल हुए जिससे सड़क की दुर्व्यवस्था, बिजली के खंभे से लटकता तार, खुली हुई नाली को लोगों ने देखा। साक्षी ने एसपी व शीर्ष अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन केवल आश्वासन दिया जाता रहा। साक्षी ने जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत भी पुलिस अधीक्षक, आईजी वाराणसी रेंज, डीजीपी, गृह सचिव, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, राज्य महिला आयोग को प्रार्थना पत्र के संबंध में सूचना भी मांगी और कार्रवाई के लिए प्रार्थना भी की लेकिन पूरी मशीनरी साइलेंट ही रही। कोई कार्रवाई नहीं हुई तब उसने न्यायालय की शरण लिया।

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