Bareilly News: अमेरिका की डॉ. श्वेता त्रिवेदी ने आल्मा मेटर आईवीआरआई में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों से की वन्य जीवो पर चर्चा
नया सवेरा नेटवर्क
बरेली। नॉर्थ कैरोलाइना स्टेट यूनिवर्सिटी, यू.एस.ए. की प्रोफेसर एवं वेटपैक निदेशक डॉ. श्वेता त्रिवेदी ने अपने आल्मा मेटर लौटकर वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के साथ एक प्रेरणादायक संवाद सत्र में बताया कि अमेरिका में विद्यार्थियों को वन्यजीव संरक्षण, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन कार्यक्रमों और सामुदायिक सेवा परियोजनाओं से जोड़ने के कई अवसर प्रदान किये। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने की। आईसीएआर– भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में डॉ. श्वेता त्रिवेदी ने कहा कि संस्थान में पुनः लौटना उनके लिए अत्यंत आनंद और गर्व का विषय है। उन्होंने कहा, “सीखना एक सतत प्रक्रिया है; जैसे ही हम स्वयं को विशेषज्ञ मान लेते हैं, हमारी प्रगति रुक जाती है।” उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने विद्यार्थियों की रुचि को ध्यान में रखते हुए वन्यजीव शिक्षा से जुड़े अनेक व्यावहारिक एवं अनुसंधानात्मक कार्यक्रम विकसित किए। डॉ. त्रिवेदी ने आगे बताया कि उन्होंने अमेरिका में विद्यार्थियों को वन्यजीव संरक्षण, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन कार्यक्रमों और सामुदायिक सेवा परियोजनाओं से जोड़ने के कई अवसर प्रदान किए।
भारत, दक्षिण अफ्रीका और मध्य अमेरिका में किए गए अपने शैक्षणिक एवं अनुसंधान अनुभवों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय सहयोग से न केवल विद्यार्थियों का दृष्टिकोण व्यापक होता है, बल्कि वे वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित होते हैं।” संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि डॉ. श्वेता त्रिवेदी जैसी पूर्व छात्रा का अपने संस्थान से पुनः जुड़ना अत्यंत गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि ऐसे संवाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की भावना के अनुरूप हैं, जो लचीलापन, बहुविषयकता, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर बल देती है। उन्होंने कहा, “हमारी शिक्षा और अनुसंधान प्रणाली को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और राष्ट्रीय स्तर पर समावेशी बनाना हमारा लक्ष्य है। आईवीआरआई ने एनआईआरएफ और एनएएसी जैसी दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाएँ सफलतापूर्वक पूर्ण की हैं, और अब हम क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग की दिशा में भी अग्रसर हैं।”
डॉ. दत्त ने आगे कहा कि पारदर्शिता, जवाबदेही और हितधारक सहभागिता अब उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता मापने के प्रमुख मानदंड बन चुके हैं। आने वाले समय में सभी संस्थानों को ‘वन नेशन, वन प्लेटफॉर्म’ पर अपनी उपलब्धियों का सार्वजनिक प्रकटीकरण करना होगा। उन्होंने कहा कि आईवीआरआई निरंतर अपने शैक्षणिक और अनुसंधान मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए प्रयासरत है। अंतरराष्ट्रीय संबंध प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. जी. तरू शर्मा ने अपने उद्बोधन में सभी उपस्थित प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया और कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आज विद्यार्थी एवं संकाय सदस्य बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम माननीय निदेशक महोदय की दूरदर्शी सोच के अनुरूप संस्थान की वैश्विक दृश्यता और सहभागिता बढ़ाने की दिशा में एक नई पहल का शुभारंभ है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि यह पहल एक छोटे से विचार के रूप में शुरू हुई थी — एक ऐसा विचार जिसमें व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों को जोड़कर संस्थान के अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, “हर यात्रा का पहला कदम सबसे यादगार होता है, और यह भी उसी दिशा में हमारा पहला सार्थक प्रयास है।” उन्होंने बताया कि संस्थान अब ऐसे संवाद कार्यक्रम प्रत्येक माह कम से कम एक बार आयोजित करने की योजना बना रहा है, जो भौतिक एवं हाइब्रिड दोनों प्रारूपों में होंगे।
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संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) डॉ. एस. के. मेंदीरत्ता ने डॉ. श्वेता त्रिवेदी की प्रेरणादायक यात्रा और उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि वे हम सभी के लिए प्रेरणा का एक सशक्त स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. त्रिवेदी का ईमानदारी, अनुशासन और पेशे के प्रति समर्पण उन्हें विशिष्ट बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. श्वेता ने अपने अनुसंधान में न केवल शरीरक्रिया विज्ञान और वन्यजीव विज्ञान, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता, करियर विकास और विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी उल्लेखनीय कार्य किया है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंशुक शर्मा एवं डॉ. मीमांसा शर्मा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर केसीएमटी के महानिदेशक एवं गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. अमरेश कुमार, संस्थान के सभी संयुक्त निदेशक, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं अधिकारीगण उपस्थित रहे। निर्भय सक्सेना
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