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Article: कांग्रेस ऐसे तो कभी नहीं जीत सकती

Article Congress can never win like this

नया सवेरा नेटवर्क

जिस तरह से कांग्रेस अपनी चाल चल रही है।वह हवा के विपरीत चल रही है।लड़ाका वही जीतता है जो हवा के रुख के साथ चलता है।कांग्रेस आज भी १९वीं सदी में चल रही है।जबकी भारत ही नहीं दुनिया २१वीं सदी में चल रही है। कांग्रेस अपनी गलतियों पर मंथन नहीं कर रही।अपनी हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ रही है।कांग्रेस ने जो वोट चोर गद्दी छोड़ का कैपैन चलाई।वो जनता में गलत संदेश छोड़ गई।जनता मोदी को नहीं कांग्रेस को ही चोर समझ बैठी।क्योंकि जनता यह मान बैठी कि दो हजार चौदह के पहले कांग्रेस ने लगातार वोट चोरी करके ही जीतती रही।यही बात जनता को भाजपा की तरफ मोड़ती गई।जनता यह सोचने लगी कि मेरा वोट तो मैंने खुद डाला था।तो चोरी कैसे हुई।अच्छा यदि एक भी जगह साबित कर दिए होते तो शायद जनता कांग्रेस की बात मान भी लेती।मगर कांग्रेस सिर्फ भ्रम फैलाती रही।जो भी आरोप लगाई उसे कभी साबित नहीं कर पाई। राफेल हो,एयर स्ट्राइक हो आपरेशन सिंदूर हो।सब पर कांग्रेस सदैव मुंह की खाई।अडानी अम्बानी को खूब बदनाम किया।एक तरफ अडानी अम्बानी को लुटेरा कह रही थी तो,वहीं अपने शासित राज्यों में उन्हें ही ठेका दे रही थी।यह भी कांग्रेस की लुटिया डुबा दिया। ईवीएम पर खुब शोर शराबा किए।वहाॅं भी फिसड्डी साबित हुए।इसके बाद वोट चोरी का आरोप लगाया वह भी जनता के सामने साबित नहीं कर पाई। कांग्रेस विगत ११वर्षों में एक भी जनहित का मुद्दा लेकर चुनाव लड़ी ही नहीं।तो जनता वोट कैसे देगी।

      कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी थी।वो क्षेत्रीय पार्टियों के सामने हर जगह नतमस्तक खड़ी है।यह भी जनता के मन में गलत संदेश छोड़ गई।जनता ने कांग्रेस को सरेंडर पार्टी समझ ली। कांग्रेस सांसद का चुनाव हो विधायक का चुनाव हो, हर जगह क्षेत्रीय पार्टियों के सामने एक एक सिट के लिए घिघियाती फिर रही है। इसलिए इसकी दुर्गति हो रही है।इसके प्रथम लाईन के दिग्गज नेता गठबंधन की बलि चढ़  रहे हैं।कई अलग राह पर चल दिए।जिससे कांग्रेस कमजोर होती गई। हमारे यहां एक कहावत है।"कोंहकइ गणारी,तेल देंइ धुरई के एंड़ा में"।पहले हमारे देश में पुरवट चलता था। उसमें धुरई और गणारी का प्रयोग होता था।कहने का मतलब कांग्रेस आत्म मंथन करने की बजाय लोकतंत्रिक व्यवस्था व संवैधानिक संस्थानों पर दोष मढ़ रही है।माना की संस्थान सरकार के दबाव में काम करते होंगे।मगर कांग्रेसी दिग्गज नेता तो कांग्रेस के साथ होने चाहिए थे।वो किसके दबाव में इधर उधर भागे।असल में कांग्रेस को विचार गहराई से इस विषय पर करना चाहिए।मगर कांग्रेस उन्हीं दिग्गज नेताओं को भ्रष्टाचारी कहने लगी।तो जनता ने समझा कि कांग्रेस भ्रष्टाचारियों की पार्टी है।इधर प्रांत के नेता कह कुछ रहे हैं। राष्ट्रीय नेता कर कुछ रहे हैं। तालमेल का घोर अभाव।इसपर कभी विचार ही नहीं कर रही।दोष संवैधानिक संस्थानों को दे रही है।

        अब जनता को भरमाया नहीं जा सकता।यह २१वीं सदी की जनता है।एक कदम आगे चल रही है।उसके मुताबिक कांग्रेस को भी चलना होगा। कांग्रेस ८०%को छोड़कर २०%के लिए देश विरोधी बनती जा रही है।इसपर कभी भी विचार नहीं कर रही।सच्चे देशवासी सबकुछ बर्दाश्त कर लेंगे।मगर देश विरोधी के साथ कभी नहीं जायेंगे।बात जब देश की आती है तब हर सच्चा देशभक्त देश के साथ होता है।तब उसे वही अच्छा लगता है जो देश के साथ खड़ा मिलता है।२०१४ के बाद कांग्रेस सदैव देशद्रोहियों के साथ खड़ी मिली। देशद्रोहियों को गले लगाते मिली। कांग्रेस को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किसके साथ हैं।साथ खड़ा होना बहुत मायने रखता है।जनता सबकुछ अब देख सुन समझ रही है। इसलिए जनता को अब भरमाया नहीं जा सकता। कांग्रेस यह बात जितनी जल्दी समझ ले।उसके लिए उतना ही हितकारी होगा। क्षेत्रीय पार्टियों को अपने नीचे लाये।न की उनके नीचे उनके मुताबिक नाचे गाए।

       एक तरफ कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकालती है।प्यार का शाहजहाॅं बनकर नगाड़ा पीटती है।दूसरी तरफ उसी के सहयोगी और पार्टी वाले उत्तर भारतियों को बिहारी कहके गरियाती और अपमानित करती हैं।और कांग्रेस ताली बजाती है।ऐसा करके चुनाव जीतने का सपना भी देखती है।तुम कहके भूल सकते हो।मगर आज जनता सब याद रखती है।समय आने पर उचित जवाब देती है।जैसे बिहार की जनता ने दिया है।काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती है। कांग्रेस को यह समझना चाहिए।मगर कांग्रेस है कि इस बात समझने के लिए तैयार ही नहीं।सत्ता के लिए ऐसी पगलाई है कि मति ही भ्रष्ट हो गई है।दिमाग काम करना बंद कर दिया है।एक तरफ धर्मनिरपेक्षता का ढोल पीटती है।दूसरी तरफ सत्ता के लिए सिर्फ भाजपा को सत्ता न मिले उसके लिए धार्मिक पार्टी शिवसेना से हाॅंथ मिलाती है। नतीजा उसके अपने वोटर छिटक गये।गलती खुद कर रही है।और दोष ईवीएम और चुनाव आयोग को दे रही है।अपने कद्दावर नेताओं को सम्हाल नहीं पा रही,दोष संवैधानिक संस्थानों को दे रही है।यही हाल यदि कांग्रेस का रहा तो कांग्रेस को अपना वजूद बचाए रखना भारी पड़ेगा।ऊल जलूल शोर शराबा करने की बजाय जनता के लिए लड़ना सीखे।जनहित की बात करे।जनता को लगे कि हाॅं हमारी बात हो रही है।हमारे देश की बात हो रही है।तब जनता कांग्रेस को नोटिस करेगी।

      भाजपा और कांग्रेस में एक बहुत बड़ा अंतर है।भाजपा जब विपक्ष में थी तब भी देश के प्रति समर्पित दिखती थी।सत्ता में है तब भी। कांग्रेस जब सत्ता में थी तब भी देशविरोधियों के पक्ष में लचीली थी।अब विपक्ष में है तो पूरी तरह उन्हीं के पक्ष में दिखती है।इस अंतर को कांग्रेस जिस दिन भर देगी, पुनः अपना खोया हुआ आधार वापस पा जायेगी।मोदी के नशे में ऐसे पगलाई कि कब मोदी विरोध करते करते देश विरोध पर उतर आई उसे पता ही नहीं चला।एक कहावत है नकल को भी अक्ल चाहिए।मगर कांग्रेस के पास शायद अक्ल का अभाव है।जो अपनी गलतियों को नहीं देख पा रही है।जिस दिन अपनी ग़लती देखकर उसे सुधारने लगेगी।जनाधार बढ़ने लगेगा।जब तक आत्मावलोकन नहीं करेगी,दिल्ली दूर ही रहेगी। इसीलिए कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस ऐसे तो कभी भी विजय का स्वाद नहीं चख पायेगी।

     कांग्रेस को विजय चाहिए तो सबसे पहले अपने बचे हुए कद्दावर नेताओं के क्षोभ को दूर कर उनकी बातों को उनके विचार को तरजीह देना शुरू करे।क्योंकि वही आधार स्तम्भ हैं।उन्हें दरकिनार कर चुनाव जीतना असम्भव है।अपने पुराने कद्दावर नेताओं को पुनः पार्टी में शामिल करने के लिए प्रयास करे।बेमतलब की बात जनता के बीच में न ले जाये। जनहित के मुद्दों को सड़क से लेकर अदालत तक ले जाये।केवल टीवी पर बहस न करे।जो आरोप लगाये उसे साबित करे।बिना सबूत के जनता का जीना हराम करना बंद करे।मुद्दा वो उठाए जो जनता के मन से जुड़े।ऐसे मामलों से बचे जो देश के विरोध में हों।सेना के शौर्य पर सवाल न करें।बात जब देश की हो तो २०%का चक्कर छोड़ १००%पर बात करे।क्योंकि जब देश की बात आती है तो जनता सिर्फ देश की होती है।तब न वह जाति की होती न धर्म की। इसलिए मेरा कहना कि कांग्रेस अपनी गलतियों का ठीकरा संवैधानिक संस्थानों पर न फोड़कर आत्ममंथन करे। और ऐसे मुद्दे लेकर जनता के मध्य आये जो जनता से कनेक्ट हो सके।यदि इसी तरह,जैसे कि कर रही है तो बची खुची जो थोड़ी बहुत है वो भी समाप्त हो जायेगी।कांग्रेस एक गलती लगातार कर रही है।जो पार्टी उसे हराने में और खुद को कांग्रेस के दम पर जीत रही है।कांग्रेस उसी की शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनकर नाच रही है।यदि भरोसा न हो तो प्रमाण देख ले।यूपी से साफ हुई सपा के चलते।आज सपा के ही साथ गलबहियां कर रही है।बिहार से साफ हुई राजद के चलते,आज राजद के साथ गलबहियां कर रही है। महाराष्ट्र से साफ हुई शिवसेना के चलते, आज शिवसेना से गलबहियां कर रही है।दिल्ली पंजाब से साफ हुई आप के चलते,आज उसी से गलबहियां कर रही है।बंगाल से साफ हुई ममता के चलते,आज ममता के चरणों में बिछी पड़ी है।ऐसे ही दक्षिण में भी उसी के साथ गलबहियां की हुई है,जो कांग्रेस को वहां से निपटाई है।इससे भी जनता में कांग्रेस के प्रति गलत संदेश चला गया।वामपंथी सदैव कांग्रेस विरोधी रहे। कांग्रेस आज सत्ता पाने के लिए उन्हीं का कहना मानकर वामपंथी होती जा रही है। इसीलिए जनता ए मान बैठी है,कांग्रेस सिर्फ सत्ता की है और किसी की नहीं। कांग्रेस सत्ता पाने के लिए दुश्मन देश से भी सहयोग मांग चुकी है।मतलब सत्ता पाने के लिए कांग्रेस देश भी गिरवी रख सकती है।इस भावना को जनता के मन से कांग्रेस को ही निकालना है।ऐसे तो सत्ता नहीं मिलेगी।

       देश पर जब जब आतंकी हमला होता है। कांग्रेस देश के साथ न खड़ी होकर आतंकवादियों को बचाने का और देश को बदनाम करने का प्रयास करती है। आतंकवादियों को बचाने के लिए संविधान को ताक पर रखकर आधी रात को अदालत चलवाती है।और वर्तमान सरकार पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाती है।जबकी खुद संविधान का गला घोंटती आई है।पहले लोग इतिहास पर कम गौर करते थे।आज जनता इतिहास भी झांकती जरूर है।जनता जब इतिहास में झांकती है तो कांग्रेस का काला चिट्ठा मिलता है।जो जो आरोप आज कांग्रेस वर्तमान सरकार पर लगा रही है।जनता को वही सब कांग्रेस के इतिहास में दिखता है। इसलिए कांग्रेस को चाहिए कि उन तमाम मुद्दों को छोड़कर कर कुछ नया सोंचे। संवैधानिक संस्थानों पर आरोप न लगाये। जनहित और देशहित के मुद्दे उठाए। जहां भी देश की बात आये तो,देश के साथ खड़ी दिखे।आतंकवादियों के बचाव में न उतरे। हिन्दुओं को आतंकवादी न बताये।न ही आतंकवादियों को मासूम और अशिक्षित बताये।देश के प्रति समर्पण दिखाए।तब जनता कांग्रेस के प्रति पुनः समर्पित होगी। संवैधानिक संस्थानों को गाली देने से कुछ नहीं होगा।सरकार की नीतियों का विरोध करने के बजाय संवैधानिक संस्थानों को दोषी ठहराना बंद करे।खुद मजबूती बनाये।एक शेर है,"खुदी को कर बुलंद इतना कि खुदा खुद पूंछे बता बंदे तेरी रजा क्या है"।बिखरे हुए कुनबे को समेटने का प्रयास करे।खुद की कमियों को पकड़कर उसे दूर करने का प्रयास करे।जबतक अपनी कमियों को पकड़कर उसपर आत्ममंथन नहीं करेगी,दिल्ली दूर ही होगी।

पं.जमदग्निपुरी

*जौनपुर टाईल्स एण्ड सेनेट्री | लाइन बाजार थाने के बगल में जौनपुर | सम्पर्क करें - प्रो. अनुज विक्रम सिंह, मो. 9670770770*
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