Jaunpur News: मासूम की कब्र पर लालच का सौदा
8 माह की बच्ची के नाम पर निकाह का फर्जीवाड़ा
खेतासराय के मानी कला में करोड़ों की सम्पत्ति हड़पने वाले गैंग का पर्दाफाश
राकेश शर्मा @ नया सवेरा
खेतासराय, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के मानी कला गांव में ज़मीन हड़पने और कूटरचित दस्तावेज़ तैयार करने के सनसनीखेज़ मामले ने पूरे क्षेत्र में हड़कम्प मचा दिया है। न्यायालय के आदेश पर खेतासराय थाने में 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस जांच तेज हो गई है। मामला इतना चौंकाने वाला है कि आरोपी गिरोह ने करोड़ों की बेशकीमती ज़मीन पर कब्ज़ा करने के लिए 8 माह की मासूम बच्ची के नाम पर विवाह का फर्जी दस्तावेज़ तक तैयार कर लिया और उसे आधार बनाकर राजस्व अभिलेखों में नामांतरण करवा लिया।
यह पूरा मामला मानी कला निवासी दिवंगत कमालुद्दीन की संपत्ति से जुड़ा है। कमालुद्दीन की एकमात्र पुत्री नफीसा थी जिसे उन्होंने अपनी संपूर्ण संपत्ति का वारिस बनाया था लेकिन नियति को कुछ और मंज़ूर था पिता के बाद नफीसा की भी मात्र 12 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई। नफीसा की मौत के बाद उनकी संपत्ति कानूनन उनकी तीन बहनों के नाम दर्ज की गई। इसी बीच गांव के कुछ प्रभावशाली और लालची तत्वों की नज़र इस करोड़ों की ज़मीन पर पड़ी। उन्होंने इसे हड़पने की साजिश रच डाली।
आरोप है कि भू—माफियाओं ने गयासुद्दीन नामक व्यक्ति को नफीसा का पति बताकर 1977 का फर्जी निकाहनामा तैयार कराया। दस्तावेज़ों में यह दर्शाया गया कि नफीसा की शादी गयासुद्दीन से हुई थी और उसकी मृत्यु के बाद पति अब सम्पत्ति का वैध वारिस है जबकि हकीकत यह थी कि नफीसा का जन्म 1976 में हुआ था, यानी विवाह के समय उसकी उम्र महज आठ माह थी। फर्जी निकाह के बाद मामला यहीं नहीं रुका। आरोपियों ने चकबंदी अधिकारी के नाम से एक फर्जी आदेश जारी करवाकर राजस्व अभिलेखों में गयासुद्दीन का नाम दर्ज करा लिया। इस तरह सरकारी कागज़ों में हेरफेर कर करोड़ों की ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया गया।
दस्तावेज़ों की जांच में पाया गया कि चकबंदी अधिकारी का हस्ताक्षर और मुहर दोनों जाली हैं। यह साजिश लंबे समय तक पर्दे में रही। लेकिन जब दिवंगत कमालुद्दीन के भांजे मो. अल्कमा खान को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने आवाज़ उठाई। उन्होंने पहले स्थानीय अधिकारियों और राजस्व विभाग में शिकायत की लेकिन कार्रवाई न होती देख न्यायालय की शरण ली। अदालत ने मामले की गंभीरता देखते हुए खेतासराय पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
न्यायालय के आदेश के बाद खेतासराय थाने में मानी कला निवासी गयासुद्दीन, सदरुद्दीन, मोहम्मद सलमान, तौहीद खान, मोहम्मद फतेह आलम, मोहम्मद आशिक अंसारी और अय्यूब अंसारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं धोखाधड़ी, जालसाजी, कूटरचना, धमकी और अवैध कब्ज़े के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार मुख्य आरोपी तौहीद खान पहले भी दो बार ऐसे ही फर्जीवाड़ों में जेल जा चुका है। कुछ माह पहले ही जेल से छूटकर आया था और अब तीसरी बार उसी तरह के अपराध में नामजद हुआ है। मुकदमे के दर्ज होते ही आरोपी अपने घर-बार छोड़कर फरार हो गए हैं।
शिकायतकर्ता मो. अल्कमा खान का कहना है कि जब उन्होंने इस फर्जीवाड़े का विरोध किया तो आरोपियों ने उन्हें गाली-गलौज कर जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ़ जमीन का नहीं, न्याय और इंसानियत का मामला है। अगर 8 महीने की बच्ची के नाम पर भी फर्जी निकाह कराकर संपत्ति हड़पी जा सकती है तो कोई भी सुरक्षित नहीं है।
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वहीं इस बाबत पूछे जाने पर थानाध्यक्ष प्रदीप सिंह ने बताया कि यह मामला न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुआ है। विवेचना की जा रही है। सभी दस्तावेज़ों की जांच राजस्व विभाग के सहयोग से कराई जा रही है। फर्जी कागज़ात बनाने में किसकी भूमिका रही, यह भी स्पष्ट किया जा रहा है। दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस मामले में सिर्फ नामजद आरोपी ही नहीं, बल्कि कुछ अन्य लोग भी संदेह के घेरे में हैं जिन्होंने फर्जी कागज़ात तैयार करने या नामांतरण कराने में मदद की। कई संदिग्धों से पूछताछ जारी है और राजस्व विभाग से अभिलेख तलब किए गए हैं।
उधर गांव में इस मामले के सामने आने के बाद दहशत का माहौल है। लोग कहते हैं कि यह पहला मामला नहीं, बल्कि मानी कला सहित आस—पास के कई गांवों में वर्षों से भू—माफिया सक्रिय हैं। असली वारिसों की अनुपस्थिति या मृत्यु के बाद उनकी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर लिया जाता है। लोग डर के कारण शिकायत करने से भी कतराते हैं। गांव के लोग अब यही चर्चा करते हैं कि अगर 8 महीने की बच्ची से निकाह के दस्तावेज़ बन सकते हैं तो कानून की इज्ज़त किसने बचाई? यह वाक्य पूरे इलाके में गूंज रहा है।
यह सिर्फ एक परिवार की ही नहीं, बल्कि पूरे तंत्र पर सवाल है जहां लालच इतना अंधा हो चुका है कि वह मर चुके लोगों की विरासत को भी नहीं बख्शता। मानी कला की यह कहानी दिखाती है कि किस तरह फर्जी दस्तावेज़ों और मिलीभगत के सहारे भू-माफिया सरकारी सिस्टम तक में सेंध लगा रहे हैं। अब सबकी निगाहें पुलिस जांच पर टिकी हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस बार सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को कानून का डर महसूस होगा, ताकि आगे कोई और नफीसा ज़मीन के कागज़ों में बेच न दी जाय।
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