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सरकारी योजना और उसका सदुपयोग

नया सवेरा नेटवर्क

आजादी के बाद से जब से लोकतांत्रिक व्यवस्था आई है।तबसे लेकर अब तक जन कल्याण के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई गई और चलाई जा भी रही है। जिसमें बहुत सी ऐसी योजनाएं हैं जो सच में जनहित में हैं।मगर कुछ योजनाएं किसी काम की नहीं हैं।उन योजनाओं में करदाताओं का पैसा फोकट में बहाया जा रहा है।जैसे कौशल विकास योजना,हर घर नल योजना ऐसे ही कई योजनाएं ऐसी हैं जो जनता पर बोझ बन गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सफाईकर्मी की कोई आवश्यकता नहीं है।फिर भी सफाई कर्मचारी नियुक्त हैं।वह कोई काम नहीं करता उसके ऊपर सरकार करोड़ो खर्च कर रही है।जिसका कोई मतलब ही नहीं है।हर घर नल योजना।माना कि जहाॅं जमीन में पानी दूषित है,या पानी का सतह बहुत नीचे है,वहाॅं तो इसकी उपयोगिता है।मगर जहाॅं जमीन का पानी शुद्ध है मीठा है वहाॅं हर घर नल की कोई उपयोगिता नहीं है।चलो मान लेते हैं कि भविष्य में जरूरत पड़ सकती है।तो जब पड़ती तब लगवाना चाहिए था। अच्छा लगवाये भी हैं तो सिर्फ शो पीस।मछली शहर तहशील के अंतर्गत बहुत से ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं। जहाॅं नल की जरूरत नहीं है।और भविष्य में भी जल्दी नहीं पड़ेगी। वहाॅं सबके दरवाजे पर नल लग गई है।पानी की पाईप भी लग गई है।जनता का करोंड़ों रूपये हर घर नल और हर घर जल के लिए जमीन में दबा दिया गया है वर्षों से।मगर आजतक उसमें से एक बूंद पानी नहीं टपका है।मुझे तो लगता है जबतक टपकेगा तब तक सभी पाईप और नल सड़ गल जायेगी।पानी नल में कम जमीन में अधिक जायेगा। चीजें समय से हों तो उसकी उपयोगिता होती है।असमय नुकसान के शिवा कुछ नहीं।चाहे समय से पहले हो चाहे समय से बाद।

     ऐसे ही ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा घर बनवा कर सरकार उन गाॅंव वासियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।कचरा घर ग्रामीण क्षेत्र से दूर होना चाहिए।पता चल रहा है महानगर का सारा कचरा गाॅंववासियों का जीवन दूभर किया हुआ है।जहाॅं का कचरा है उसका निस्तारण भी वहीं होना चाहिए।दूसरे के किए हुए कचरे का ग्रामीण लोग क्यों दंस झेलें।समझ में नहीं आ रहा कि सरकार गाॅंववासियों से किस बात का बदला ले रही है।हमारी तहशील मछली शहर जो कि नगरपालिका भी है।उसका कचरा मछली शहर से कोसों दूर सहिजदपुर से सटे गाॅंव बरपुर कटाहित के ग्राम समाज की भूमि पर बने कचरा घर में डाला जा रहा है।जिससे रामपुर सहिजदपुर चक जोरावर खां इंग्लिश बरपुर सगरे आदि के ग्रामीणों का जीवन संकटग्रस्त हो गया है। गाॅंववासी जो अबतक स्वच्छ सांस ले रहे थे।उनका सांस लेना दूभर हो गया है।तमाम तरह की बीमारी से लोग ग्रसित हो रहे हैं।उनकी आधी से अधिक कमाई दवाई में बरवाद हो रही है।इसका सबसे बुरा प्रभाव नौनिहालों पर पड़ रहा है।उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। बुजुर्ग भी सांस ढंग से नहीं ले पा रहे।भाले भाले गरीब ग्रामीण की सरकारी कर्मचारी सुनते ही नहीं।किसी मंत्री तक गरीबों की पहुॅंच भी नहीं होती। सरकार तक गरीब लोग अपनी बात पहुंचा भी नहीं पाते। सरकार बेखबर है।कि इस कचराघर से लोग कितने परेशान हैं।

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     एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का प्रचार कर रही है।दूसरी तरफ कचरे के अम्बार में लोगों को झोंक रही है।तो फिर यह प्रचार किसलिए।क्या यह प्रचार भर ही है।या यह सिर्फ महानगरों को ही स्वच्छ और स्वस्थ रखने का स्लोगन है।यही सोच सोंचकर ग्रामीण लोग परेशान हैं।लोग यह भी सोचने पर विवश हैं कि यदि ग्रामीणों को कचरे के ढेर में ही जीवन यापन करना है तो। स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का प्रचार हमारे मध्य क्यों? वहीं करिए जहाॅं के लिए यह योजना है। ग्रामीण लोग यह भी सोचने पर विवश हैं कि क्या स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत में गाॅंव नहीं आता क्या?क्या ग्रामीण लोग सिर्फ वोट देकर सरकार बनवाने के लिए हैं।उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए उनके द्वारा चुनी हुई सरकार की कोई जवाबदेही नहीं है।

      यदि सरकार स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत में गाॅंववासियों को मानती है तो, सरकार से निवेदन है कि उक्त कचरा घर को सहिजदपुर कटाहित से हटाकर ऐसी जगह ले जायें जहाॅं इसके  पास कोई गाॅंव न हो। मछली शहर तहशील में ऐसी तमाम जगह है।जहाॅं उक्त कचराघर ले जाया जा सकता है।इस जगह को बच्चों को खेलने के लिए आरक्षित कर दे।जिससे इसके पास के बच्चों का शारीरिक मानसिक एवं बौद्धिक विकास हो।आने वाली पीढ़ी स्वस्थ हो।एक गाॅंव से दूसरे गाॅंव के बच्चे इसी बहाने मिले जुलें।आपसी सौहार्द बढ़ायें।जाति पाति की खाईं को स्वत: पाटें। क्योंकि जिन चार पाॅंच गाॅंव के मध्य यह कचराघर है।वहाॅं कोई खेल का मैदान ही नहीं है।बच्चे खेलने कूदने कहाॅं जायें।इसका दुष्परिणाम यह है कि इन गांवों के बच्चों का उचित विकास नहीं हो पा रहा।बच्चे मोबाइल रूपी चरस के शिकार होते जा रहे हैं।जिससे उनमें उग्रता असभ्यता अश्लीलता आ रही है। मोबाइल में उन्हें आनंदित करने वाली सभी सामग्री मिल रही है। उचित अनुचित दोनों। बच्चे अभी से मतलब १२-१४वाली उम्र में पार्न पिक्चर देख रहे हैं। जिससे वे तनाव में रहने लगे हैं। बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है।ए सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि उन्हें खेलने को नहीं मिल रहा है।उनका खेलने वाला समय गलत जगह जाया हो रहा है।जिससे बच्चे उद्दंड असभ्य अविवेकी आक्रामक,बात बात पर चिड़चिड़े होते जा रहे हैं।ए सब इसलिए हो रहा कि सरकार इस ओर ध्यान ही नहीं दे रही।कि कहाॅं क्या होना चाहिए कहाॅं क्या नहीं।बस ऐसी कमरे में बैठे बैठे योजना पास कर दी।कभी यह देखने की जहमत ही नहीं उठाई कि जहाॅं के लिए यह योजना पास की है वहाॅं इसकी उपयोगिता है कि नहीं।बस कुछ चाटुकार कर्मचारियों की और नेताओं की बात मानकर योजना पास करके इतिश्री मानकर बैठ गई।उसके परिणाम दुष्परिणाम पर विचार ही नहीं किया।जबतक सरकार परिणाम और दुष्परिणाम पर विचार करके योजना नहीं बनायेगी।तब तक बहुत सारी योजनाएं जनहित में नहीं,इसी तरह जनविरोधी होंगी।मेरी सरकार से बस यही गुजारिश है कि सरकार तत्काल यह कचराघर उक्त जगह से हटाये,या कचरा निस्तारण की उचित व्यवस्था करे।जिससे ग्रामीणों का जीवन संकटग्रस्त होने से बचे।और बच्चों बुजुर्गों का भी जीवन खुशहाल हो। निवेदन विशेष यह कि उक्त कचराघर यहाॅं से हटाकर अन्यत्र उचित जगह ले जाया जाय।और उक्त जगह पर सरकारी संरक्षण में खेल का मैदान बनाया जा। जिसमें ग्रामीण लोग शादी विवाह जैसे अपना आयोजन भी सुगमता से निपटा सकें।और योजना का का लाभ लें। दुष्परिणाम न भुगतें।

पं.जमदग्निपुरी

संस्थापक अध्यक्ष काव्यसृजन न्यास मुम्बई

कल्याण ज्वेलर्स  JAUNPUR-UMARPUR, POLYTECHNIC CHAURAHA, SADAR, BESIDE SANKAR EYE HOSPITAL. PH 75228 01233, 91516 66733
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