Article: एक थी साहित्यकारा
नया सवेरा नेटवर्क
विनिता एक आर जे के साथ साथ उत्तम कोटि की साहित्यकारा थी।छंदों पर उसकी अच्छी पकड़ थी।कद काठी से हृष्ट-पुष्ट थी।गुजराती परिवार में जन्मी पली बढ़ी थी। लेकिन गज़ल और हिन्दी की रचनाओं पर अच्छी पकड़ थी।उसका छोटा सा हंसता खेलता परिवार था।पिता जी उसके ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी छोड़कर गोलोकवासी हो गये।माॅं उसकी गृहणी।बचपन में ही पिता का शिर से उठ गया।एक छोटी बहन,विधवा माॅं।जीवन संकटों से घिर गया।जिस घर पर लोगों का आना जाना लगा रहता था।उस घर की तरफ लोगों ने देखना भी बंद कर दिया।विनिता एकाएक संकटों से घिर गई। बाल्यावस्था, शिर से पिता का साया उठ गया।छोटी बहन,अब करें तो क्या करे। मुम्बई महानगर में जीना मुश्किल लगने लगा। लेकिन विनिता ने हिम्मत नहीं हारी।
यह भी पढ़ें |बिहार राज्य विधानसभा चुनाव 2025: आचारसंहिता प्रशासनिक शक्ति और लोकतांत्रिक शुचिता का इम्तिहान
कटीले पथ पर धैर्य पूर्वक चलती रही।छोटी सी ही उम्र में अपने परिवार को बड़े ही सलीके से लेकर आगे बढ़ती रही। कुशाग्र बुद्धि की धनी विनिता सभी संकटों से जूझती रही।मगर उसका साथ देने के लिए कोई नहीं था।फिर भी वो आगे बढ़ती रही।और एक दिन ऐसा आया कि वो आर जे विनिता बन गई। साहित्य जगत का चमकता सितारा बन गई।और जीवन फिर सही ढंग से पटरी पर चलने लगा। विनिता ने निश्चय कर लिया कि मुझे विवाह बंधन में नहीं बंधना है। मैं माॅं की बेटी नहीं बेटा बनके जीऊंगी।छोटी बहन का विवाह करूॅंगी।और आजीवन माॅं के चरणों में रहूॅंगी।
अचानक से एक अजगर टाइप का साहित्यकार उसके जीवन में प्रवेश किया।नारी का कोमल मन उस अजगर के प्रेम जाल में फंस गया।उस अजगर के लिए विनिता ने कई लोगों से अपने सम्बंध भी बिगाड़ लिए।उस अजगर ने उसे ऐसा अपनी गिरफ्त में लिया कि वह छटपटा भी नहीं पाई।उसे पता ही नहीं चला कि जिसके प्रेम जाल में मैं फंसती जा रही हूॅं,वह आदमी नहीं अजगर है।एक दिन निगल लेगा।और हुआ भी वही।वह आदमी सा दिखने वाला अजगर आखिर में उसे एक दिन निगल ही लिया।और वह साहित्य जगत से एकाएक अंधेरे साम्राज्य में विलीन हो गई।एक बेहतरीन साहित्यकारा का बहुत ही दुर्दांत तरीके से विलीन होना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। विनिता का इस तरह से हम सबसे विलग होना सोचनीय असहनीय धक्कादायक है।
पं.जमदग्निपुरी


