Jaunpur News: प्रज्ञा प्रवाह के महिला आयाम (विंध्याचल मण्डल) का अभ्यास वर्ग सफलतापूर्वक हुआ सम्पन्न
जौनपुर । "समर्पण से सशक्तिकरण" विषय पर "उन्मेष" प्रज्ञा प्रवाह, विंध्याचल मण्डल के महिला आयाम का अभ्यास वर्ग का आयोजन जौनपुर के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, जौनपुर के सभागार में सफलतापूर्वक किया गया। उद्घाटन सत्र में "भारतीय जीवन दृष्टि में नारी का महत्व" विषय पर बोलते हुए प्रोफेसर अविनाश पाथर्डीकर जी ने कहा कि पश्चिमी सभ्यता की सोच भारत पर थोपी गई, झूठा विमर्श खडा़कर भारत की नारियों को पुरुषों के विरुद्ध खड़ा किया गया। संयुक्त परिवार को तोड़ने का प्रयास किया गया ,एकल परिवार को बढ़ावा दिया गया जिसे बाजारवाद विकसित हुआ।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जौनपुर की अध्यक्ष डाक्टर शुभा सिंह जी ने कहा कि "नारी को सशक्त बनाने के लिए उसे स्वस्थ रखना पड़ेगा जिसके लिए उसे पोषक भोजन पर्याप्त नींद और तनाव मुक्त रहना होगा यदि नारी स्वस्थ रहेगी तो अपने बच्चों को संस्कार दे पाने में सक्षम हो सकेगी।" इसके पूर्व प्रज्ञा प्रवाह का दृष्टि पत्र और प्रस्तावना डॉक्टर श्रुति मिश्रा ने पढ़ा।
संगठन सत्र को संबोधित करते हुए पूर्वी एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र संयोजक माननीय भगवती प्रसाद राघव जी ने कहा कि "प्रज्ञा प्रवाह के कार्य विस्तार एवं भूमिका में महिलाओं की विशेष आवश्यकता है ।महिलाओं को सेमिनार संगोष्ठी चर्चा- परिचर्चा और पाडकास्ट के माध्यम से हमें अपने विचार को आगे ले जाना होगा ।अपनी भावी पीढ़ी को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने के लिए हमें महिलाओं के छोटे-छोटे समूह का निर्माण कर विस्तार हेतु निरंतर प्रयास करना होगा।
व्याख्यान सत्र में "वैदिक वांगमय परंपरा एवं दर्शन में नारी" विषय पर बोलते हुए पूर्व कुलपति प्रोफेसर चंद्रकला पाड़िया जी ने कहा कि "समाज को देखना और समझना है तो अपनी सभ्यता और संस्कृति को देखना होगा, उन्होंने कहा कि वेद उपनिषद अपौरुषेय हैं ,हमारे ऋषि मुनियों ने सत्य का साक्षात्कार किया ।हमारे ऋषियों ने स्त्री को पुरुष के ऊपर स्थान दिया है ।अन्य मतावलंबियों ने स्त्री को अपने समाज में दोयम दर्जे का स्थान दिया है ।कठोपनिषद के मंत्र का उदाहरण देते हुए प्रोफेसर चंद्रकला पाड़िया जी ने कहा कि स्त्री पुरुष चेतना के स्तर पर समान होते हैं ।विश्व के किसी भी नारीवादी संगठन या व्यक्ति ने यह नहीं कहा है की 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता' सौंदर्य लहरी में लिखते हुए आदि गुरु शंकराचार्य ने कहा है कि शिव भी बिना शक्ति के शव के समान हैं ।हमें अपने बच्चों को भारतीय दर्शन अवश्य पढ़ाना चाहिए ।हमारे वेद में पुरुष को ओजस्वी कहा गया है तो स्त्रियों को ओजस्विनी कहा गया है ,परंतु पश्चात संस्कृति में स्त्री को सदैव भोग्या माना है।भारतीय वाङ्मय उच्च चेतना का पर्याय है ।भारत की नारियां सदैव संस्कृति और चेतना की संवाहक रहीं हैं।
व्याख्यान सत्र की अध्यक्षता करते हुए उमानाथ सिंह स्वायत्त शासी मेडिकल कॉलेज डिपार्मेंट आफ एनाटॉमी की प्रोफेसर डॉक्टर रुचिरा सेठी ने कहा कि "जिस प्रकार देवी दुर्गा के आठ हाथ हैं उसी प्रकार भारत की नारियां भी अनेक हाथों से कार्य करती हैं। घर बाहर प्रशासन संस्कार शिक्षा आदि सभी क्षेत्रों में नारियों ने अपने परिश्रम के बल पर उच्च स्थान प्राप्त किया है, हमें अपने आने वाली पीढ़ी को सक्षम और सुसंस्कृत बनाना होगा जिससे भारत विश्व गुरु के पद पर पुनः आसीन हो सके।"
समापन सत्र को संबोधित करते हुए "भारतीय सभ्यता में नारी की अवधारणा शक्ति और संस्कृति" विषय पर बोलते हुए केंद्रीय टोली के सदस्य श्रीमान रामाशीष जी ने कहा कि " समाज के संपूर्ण अधिष्ठान का केंद्र परिवार है शिव और शक्ति का संचालन साथ-साथ होता है ।उन्होंने भारत की सनातन ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने में ऋषिकाओं का के योगदान का संपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया। मैत्रेयी ,गार्गी , कात्यायनी, अपाला, घोषा आदि नारियों के ज्ञान का स्मरण करते हुए कहा कि वेद और उपनिषद की अनेक ऋचाओं की दृष्टा हमारी ऋषिकाएं रही हैं।
असतो मा सद्गमय.... मंत्र की दृष्टा मैत्रेयी हैं ।मृत्यु से अमरता की ओर ले जाने का आह्वान हमारी ऋषिकाओं ने किया है ।भार्या शब्द की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो नारी अपने परिवार का भरण पोषण कर सके उसे भार्या कहा जाता है। भारत की शक्ति दुर्गा जब तक है तब तक इस देश को कोई परतंत्र नहीं बना सकता है। 'मां' शब्द भारत का है संपूर्ण विश्व में ऐसा शब्द नहीं है। यदि विश्व को बचाना है तो भारत की परिवार व्यवस्था को अपनाना ही होगा। सभ्यता और संस्कृति संपन्न देश भारत के निवासी को गर्व से कहना होगा कि हम भारतवासी हैं ।आज अमेरिका का सर्वाधिक पैसा 'ओल्ड मैन हाउस' पर खर्च होता है ।मां शब्द की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि मां शब्द की ध्वनि नाभि से निकलती है। परिवार व्यवस्था पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वैदिक काल में कभी तलाक नहीं होते थे ।आज अमेरिका भी विवाह के 5 साल पूरे होने पर (तलाक न होने पर) आयकर में छूट देने का प्रावधान करता है।
हमारे संपूर्ण चिंतन का आधार हिंदुत्व होना चाहिए।"
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए संगीत नाटक अकादमी उत्तर प्रदेश सरकार की सदस्य डॉक्टर ज्योति दास जी ने कहा कि "नारी को सशक्त बनाने की आवश्यकता नहीं है अपितु नारी स्वयं में सशक्त है। शिक्षा और संस्कार ही नारी को सशक्त बनाते हैं। शिक्षित और सुसंस्कृत नारी ही समाज देश राष्ट्र को सशक्त बना सकती है। लोक संस्कृति की बात करते हुए डॉक्टर ज्योति दास जी ने कहा कि लोक ही हमें आहार बिहार व्यवहार सदाचार का ज्ञान कराते हैं।"
धन्यवाद एवं आभार ज्ञापन तिलकधारी महाविद्यालय जौनपुर अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर वंदना दुबे जी ने किया । प्रारंभ में भारत माता के चित्र के समक्ष मञ्चस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं पुष्पांजलि किया गया। संपूर्ण अभ्यास वर्ग का संचालन महिला आयाम की सदस्य डॉक्टर श्रुति मिश्रा जी ने किया। अभ्यास वर्ग का समापन राष्ट्रगान से किया गया।
अभ्यास वर्ग में डॉक्टर अनीता त्रिपाठी, डॉक्टर सरल त्रिपाठी,डॉक्टर चेतना सिंह, डॉक्टर सरिता सिंह, डॉक्टर रोली श्रीवास्तव ,डॉक्टर अंजना सिंह डॉक्टर अंजना श्रीवास्तव, प्रीति गुप्ता, निधि दुबे सविता मौर्या सहित सैकड़ो नारियां उपस्थिति रही। अभ्यास वर्ग को सफल बनाने में विंध्याचल मंडल के संयोजक माध्यमिक शिक्षक संघ जनपद जौनपुर के अध्यक्ष श्रीमान संतोष सिंह जी, मंडल सह संयोजक डॉ कीर्ति सिंह जी, वाराणसी मंडल संयोजक प्रोफेसर मनीषा मल्होत्रा, युवा आयाम के प्रांत सह संयोजक पंडित शनी शर्मा भट्ट जी, जनपद जौनपुर के जिला संयोजक डॉक्टर सतीश पाठक जी, वाराणसी जिला के संयोजक राजेश सिंह, प्रकाश सिंह, डाक्टर ब्रम्हेश शुक्ल, विंध्याचल मण्डल कार्यकारिणी सदस्य डॉ मनीष सिंह सोमवंशी, जनपद जौनपुर के जिला सहसंयोजक पंकज सिंह,सुशील सिंह, ध्रुव कुशवाहा, युवा आयाम प्रान्तीय टोली के सदस्य शिवांश त्रिपाठी, अनिल त्रिपाठी ने अपना प्रमुख योगदान किया
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