Bareilly News: श्रमजीवी पत्रकारिता में 51 वर्ष से लेखन में लगे हैं निर्भय सक्सेना

कलम बरेली की के 5 वार्षिक अंक निकाल चुके हैं  अब तक, समाजसेवा में भी अग्रणी

अनुराग उपाध्याय @ नया सवेरा 

बरेली।  पत्रकारों के हक के लिए प्रदेश एवं देश में संघर्ष करने वाले निर्भय सक्सेना ही बरेली में एकमात्र ऐसे पत्रकार है जिन्होंने श्रमजीवी पत्रकारिता में देश प्रदेश के विभिन्न शहरों में कहकर श्रमजीवी पत्रकार के रूप में 51 वर्ष भी पूरे कर लिए। उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग बरेली से 28 सितंबर 1977 से उनको दैनिक दिव्य प्रकाश, से पत्रकार मान्यता मिली थी । वह दैनिक विश्वामित्र, कानपुर, दैनिक आज, कानपुर, दैनिक जागरण के बाद आजकल भी उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। आजकल बरेली में स्वतंत्र पत्रकार के रूप में लेखन में कार्यरत निर्नय सक्सेना समाजसेवा में भी अग्रणी है। यह "कलम बरेली की" के पांच वार्षिक अंक निकल चुके हैं। अपनी जिंदगी के करीब 22 वर्ष एक देश के बड़े  नाम वाले दैनिक जागरण को वेतनभोगी श्रमजीवी पत्रकारिता को दिए हैं। बरेली समेत कई बड़े महानगरों में जाकर गंभीरता से जनता की आवाज सरकार तक पहुँचने वाली रिपोर्टिंग भी की। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी,  लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेई, राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, बनारसी दास, नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह, अजीत सिंह जैसे तमाम बड़े नेताओं पर निर्भय सक्सेना ने मौके पर मौजूद रखकर लेखनी चलाई और उनके इंटरव्यू भी आमने-सामने लिए। निर्भय सक्सेना की कलम बरैली की पुस्तक का त तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार, अब झारखंड के राज्यपाल ने 14 अगस्त 2021 को रोटरी भवन में तथा 15 अगस्त को उपजा प्रेस क्लब, बरेली में विमोचन भी किया था। बाद के कलम बरेली की वाले 5 अंक भी लोगो ने सराहे।

निर्भय सक्सेना की 70 वर्ष की उम्र भले ही ढलान पर हो लेकिन उनकी सक्रियता पत्रकारों के हित में उनको संवर्ष की क्षमता और कार्यकुशलता वास्तव में सम्मान की पात्र है ा निर्भय सक्सेना के बारे में बीते दिनों शहर में एक संवाद पत्रिका का अंक एवं दिव्य प्रकाश, गंभीर न्यूज में आलेख भी प्रकाशित हो चुका है। जिन पर उनके क्रियाकलापों को विस्तार से चर्चा भी की गई थी।  निर्भय सक्सेना की कलम बरैली की पुस्तक से निर्भय सक्सेना के बारे में कुछ पुराने छायाचित्र के जरिए आपको बताना चाहते हैं की यही वह निर्भय जी है जिन्होंने पत्रकार हित में प्रांतीय राष्ट्रीय मंचों पर कई मुद्दे उठाए है। सरकार को पत्र एवं मेल भेजकर पत्रकार सुरक्षा कानून, पत्रकारो के लिए पेंशन, निश्चित मानदेय उनकी शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है।  निर्भय सक्सेना लंबे अरसे से सी बी गंज में श्रमिकों के लिए बड़ा कर्मचारी राज्य बीमा निगम का अस्पताल खुलवाने, इज्जतनगर रेलवे स्टेशन का रेलवे कालोनी साइड में दूसरा गेट को लिए संघर्ष कर रहे थे। कई बार बरेली के सांसद  पूर्व मंत्री संतोष गंगवार के

माध्यम से भी पत्र भिजवाए थे जिसमें उन को आंशिक सफलता भी मिली है। बीते दिनों इज्जतनगर में रेलवे स्टेशन का कालोनी साइड गैट का उ‌द्घाटन एवं केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने किया था।  सीबीगंज पहुंचकर 100 बेड केई  एस आई सी हॅस्पिटल का शिलान्यास भी कर दिया था जिसमें निर्भय सक्सैना खासतौर से मौजूद थी रहे थे । शहर के बड़े साहित्यकार और साहित्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष साहित्य भूषण से सम्मानित सुरेश बाबू मिश्रा कहते हैं कि निर्भय सक्सेना बरैली का एक सुपरिचित नाम है। उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है। वह एक निर्भीक पत्रकार, प्रखर समाजसेवी एवं स्थापित लेखक हैं। ये सादगी, शालीनता, विनम्रता एवं शुचिता की प्रतिमूर्ति हैं। स्वभाव से वे बड़े मिलनसार एवं जिन्दादिल इंसान हैं। हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहना उनके व्यक्तित्व की खास विशेषता है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद बृज प्रांत में निर्भय सक्सेना उपाध्यक्ष भी है।  अभी हाल में साहित्य परिषद  के मथुरा कार्यक्रम  में उनका सम्मान भी हुआ था।                                         मूल रूप से बरेली महानगर में बजरिया पूरन मल में रहने

वाले विमको में कार्यरत सुरेश चंद्र सक्सेना एवं श्रीमती शकुंतला देवी के घर 8 सितंबर 1956 को उनका जन्म हुआ था। 15 दिसंबर 1985 को उनकी मधुरिमा सिन्हा से विवाह हुआ। अपनी पुत्री रुचिका का 15 दिसंबर 2008 में अमित सक्सेना से विवाह किया जो अपने परिवार के साथ मेरठ रहते हैं । पुत्र मोहित सक्सेना होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर मैनेजर की नौकरी में दिल्ली एवं दुबई में रहा। अब कई वर्ष बाद दुबई से लौट कर पटना में कार्यरत है ।                           अब  70 वर्षीय निर्भय सक्सेना ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कमी किसी के प्रभाव, दबाव या प्रलोभन को स्वीकार नहीं किया और वही समाचार लिखा या प्रकाशित किया जो यधार्थ के धरातल पर खरा उतरा। उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। निर्भय सक्सेना के लिए पत्रकारिता एक मिशन रही मात्र प्रोफेशन नहीं। इसलिए वह अपने पत्रकार साथियों के बीच भी काफी लोकप्रिय है। समाज में उनका बड़ा आदर एवं प्रतिष्ठा भी है। विगत कई वर्षों से मानव सेवा कलब के कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका में नजर आते है। वह हर विषय पर बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखते हैं। निर्भय सक्सेना ने पत्रकारिता के क्षेत्र में बरेली में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में कई नगरों में अपनी बुलंदी के झंडे गाढ़े। निर्भय सक्सेना की शिक्षा बरेली में सम्पन्न हुई। निर्भय जी ने अपने कैरियर का प्रारम्न 11 फरवरी 1974 से 1977 तक दैनिक  विश्वमानव बरेली समाचार पत्र से किया था। इसके बाद दैनिक दिव्य प्रकाश, बरेली एवं दैनिक विश्वामित्र, कानपुर के जुड़ गए। बाद में वर्ष 1980 में दैनिक आज, कानपुर के समाचार पत्र में बरेली मण्डल के ब्यूरो चीफ के रूप में पत्रकारिता जगत को सेवायें प्रदान करना प्रारम्भ किया। इन वर्षों में निर्भय सक्सेना का सम्पूर्ण बरेली मण्डल में सशक्त लेखनी को आधार पर एक निर्भीक पत्रकार के रूप में पहचान बना ली।  दैनिक आज, कानपुर में वह 1985 तक रहे। पत्रकार के रूप में अपनी पहचान बना चुके निर्भय सक्सेना ने अपने जीवन का सर्वाधिक काल 1987 से समाचार पत्र दैनिक जागरण में पूर्ण निष्ठा, लगन, ईमानदारी, समर्पण तथा निर्भीकता के साथ अपनी पूर्ण क्षमतानुसार श्रमजीवी पत्रकार पत्रकार के के रूप रूप में वर्ष 2014 तक कार्य किया। दैनिक जागरण से उनकी प्रदेश सूचना विभाग से डेस्क पत्रकार की प्रदेश सरकार से मान्यता भी रही। इस अवधि में उन्होंने प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ को अपने निष्पक्ष एवं निर्भीक क्रियाकलापों से जीवन्त बनाये रखा। दैनिक ज दैनिक जागरण में आपने आगरा ग्वालियर, लखनऊ एवं बरेली संस्करणों में अपनी सेवाएं प्रदान की। वर्ष 1987 में दैनिक जागरण समाचार-पत्र ने राजा कर्ण सिंह के बेटे तथा माधव राव सिंधिया की बेटी के विवाह, जिसे उस समय शाही विवाह के नाम से जाना गया, की कवरेज के लिए महत्वपूर्ण दायित्व निर्भय सक्सेना को दिया। जिसे निर्भय जी ने बड़ी सफलतापूर्व  संपादित किया। भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने मुंबई बीटी रेलवे स्टेशन पर भारत का पहला कम्प्यूटर टिकट जारी किया था उस महत्वपूर्ण तथा विशेष कार्यक्रम की कवरेज करने का महत्वपूर्ण दायित्व भी दैनिक  जागरण ने निर्भय सक्सेना की क्षमता के दृष्टिगत उन्हीं को सौंपा था।  इस दायित्व को भी  निर्भय सक्सेना ने अपने योग्यता एवं क्षमता के अनुरूप अत्यन्त उत्तम तरीके से सम्पन्न किया। मानय सेवा क्लब के सुरेन्द्र बीनू सिन्हा के साथ क्लब गतिविधियों में सक्रिय भूमिका में रहते हैं।  कि कि तत्कालीन रेलमंत्री माधवराव सिंधिया निर्भय जी की कार्यप्रणाली से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अन्य पत्रकारों के साथ निर्भय सक्सेना का ग्वालियर से दादर चलने वाली ट्रेन से मुंबई भेजा। जहां इन्होंने एक सप्ताह रेलवे के विभिन्न प्रोजेक्ट पर दैनिक जागरण आगरा के लिए कवरेज की। जिसको हिन्दी दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रथम फैज पर छापा। निर्भय सक्सेना ने पूर्ण ईमानदारी, निर्भीकता, दक्षता एवं साहस के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में लेखन काम किया और मान-सम्मान भी पाया।  निर्भय सक्सेना यू पी जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा) के बरेली जनपद के महामंत्री तथा प्रदेश स्तर पर मंत्री एवं उपाध्यक्ष पद को सुशोनित किया। 'नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया के पत्रकारिता स्कूल के उपाध्यक्ष भी रहे। निर्भय सक्सेना ने 54 बार रक्तदान कर लोगों की जान बचाने में अपनी भूमिका निभाई। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई एम ए) बरेली के ब्लड बैंक एवं अन्य संस्थाओं ने उन्हें रामय-समय पर सम्मानित । नारायण दत्त तिवारी जब संपूर्ण यूपी के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने निर्भय सक्सेना को स्टेट प्लैन से लखनऊ भेजा  था। उस समय निर्भय सक्सेना, अशर्फी लाल के साथ स्टेट प्लैन से उपजा की बैठक में लखनऊ गये थे। कई बार मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी जी के साथ पर्वतीय एरिया की कबरेज को भी गए। वर्तमान में निर्णय सक्सेना सूचना विभाग से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। मानव सेवा क्लब, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, कायस्थ चेतना मंच एवं कई संस्थाओं से जुड़कर समाज सेवा कार्य में योगदान कर रहे हैं। जिले में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के झण्डावरवार रहे निर्भय सक्सेना पत्रकारिता और पत्रकारों पर होने वाले किसी भी हमले से विचलित हो उठते थे। यू पी जर्नलिस्ट एरोसियेशन (उपजा) के बैनर तले पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ यहां जितने भी संघर्ष हुए उनमें वे सबसे आगे नजर आए। इसके अलावा अखबार मालिको के खिलाफ झण्डा उठाने में भी उन्होंने कभी कोई संकोच नहीं किया। बेखौफ होकर हर संघर्ष में उत्तरना उनकी आदत है। पत्रकार वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने का मामला हो या प्रेस की स्वतंत्रता का हनन करने वाले किसी कानून के खिलाफ संघर्ष हो तो वै उसमें बढ़-चढ़कर बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निनाते रहे हैं। बिहार में जब प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए लाए गये बिल का देश भर में विरोध हुआ। बरेली में नी उपजा के बैनर तले पत्रकारों ने अपनी आवाज इस बिहार प्रेस बिल के खिलाफ पुरजोर ढंग से उठाई। इस संघर्ष में निर्भय सक्सेना ने पूरे दमखम से भाग लिया। उन्होंने न सिर्फ पत्रकार और पत्रकारिता की आवाज बुलंद की बल्कि पत्रकारों के परिवारों की सुरक्षा की चिन्ता भी उनको मन में लगातार लगातार बनी रही। उपजा की बरेली इकाई ने जब पत्रकारों के परिवारों के लिए अलग कालोनी बनाने की मांग उठाई ती उसके लिए हुए प्रयासों में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

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 इसके फलस्वरुप पूरे प्रदेश में पहली पत्रकार कालौनी बरेली के प्रियदर्शिनी नगर में बनी। इसी तरह पत्रकारों के संगठन उपजा के कार्यालय को स्थान प्रदान कराने के लिए तत्कालीन पदाधिकारियों ने जब इसके प्रयास शुरू किए तो पूर्ण जोश के साथ निर्भय सक्सेना ने अपने पत्रकार साथियों के साथ उसमें भी बढ़-चढ़कर अपना अपना योगदान दिया। नतीजा बरेली में तत्कालीन नगर निगम के प्रशासक जी डी माहेश्वरी जी के सहयोग से उपजा को न्यू सुभाष मार्केट में सिंघल पुस्तकालय के एक  भाग में उपजा को अपना कार्यालय मिल गया जिसका उद्‌घाटन बरेली मंडल के आयुक्त अनादि नाथ सैगल ने 28 फरवरी में किया। बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी से मिले पांच लाख रुपये के अनुदान से उपजा प्रेस क्लब का एक हाल भी तैयार हो गया। निर्भय सक्सेना जिले की उपजा इकाई में शुरू से ही किसी न किसी पद पर रहे हैं। प्रदेश में दो बार उपाध्यक्ष रहे। नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स इण्डिया (एन यू जे आई) के कार्यपरिषद के सदस्य रहे। इसके अलाबा नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इण्डिया के स्कूल की गवर्निंग बाडी मैंबर भी रहे। वर्तमान में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया की यू पी इकाई में प्रदेश उपाध्यक्ष है। देश में पत्रकारिता पर होने वाली संगोष्ठियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सांगठनिक कौशल के अलावा समाचार संकलन की भी उनमें अ‌द्भुत क्षमता है। वह जहां भी रहे उनकी लेखनी का भी लोगों ने लोहा माना है। निष्पक्ष, सटीक और तथ्यपरक खबरों से उन्होंने पत्रकार जगत के अलावा समाज में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। बढ़ती आयु के बाद भी उन्होंने लगातार 4 बार अमरनाथ की  यात्रा की। देश के कई कलकत्ता,  राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में हुए पत्रकार संगठन के राष्ट्रीय सम्मेलन में भी भाग लिया। केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा संचालित वी वी गिरी लेबर इंस्टीट्यूट, नोएडा में 10 दिवसीय लीडरशिप का प्रशिक्षण भी लिया। आज की युवा पत्रकार पीढ़ी के लिए वह प्रेरणा के स्रोत हैं। संगठनों से हमेशा जुड़े रहने के कारण संघर्ष के दौर से गुजर रहे पत्रकारों को संपर्क में रहकर उनकी संभव मदद करते रहते हैं। बरेली उपजा प्रेस क्लब में वह अध्यक्ष डॉ पवन सक्सेना के साथ मिलकर उपजा प्रेस क्लब की गतिविधियों  में भी सक्रियता से जुड़े रहते हैं। 

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