Jaunpur News: अंजुमन हुसैनियां की शब्बेदारी में रातभर हुआ नौहा मातम
देश की मशहूर अंजुमनों ने अली असगर की शहादत को किया याद
असगरे बेशीर जैसा सूरमा कोई नही....
नया सवेरा नेटवर्क
शब्बेदारी का आगाज तिलावते कलाम-ए-पाक से सै.अली हसनैन श्यान ने किया। पेशखानी में डॉ ज़फर अहरौलवी व हिजाब इमामपुरी ने अपने कलाम पेश किये। सोजख्वानी लियाकत अली खां बनारस व उनके हमनवा ने पढ़ा। मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना प्रोफेसर अबुज़र अली सीवान बिहार ने कहा कि इमाम हुसैन के सबसे छोटे बेटे जनाब अली असगर जिनकी उम्र छह माह की थी,यजिदी फौजों ने उस वक्त कर्बला के मैदान में तीन भाल के भारी भरकम तीर से इमाम के हाथों में शहीद कर दिया। जब वे यजिदी फौजों से इस बच्चे के लिए दो कतरा पानी पिलाने के लिए मांग रहे थे। अली असगर तीन रोज के भूखे-प्यासा थे पर जालिमो को उनपर भी रहम नही आया। इस दर्दनाक मंज़र को सुनकर लोग दहाड़े मारकर रोने लगे।
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इसके बाद नौहा मातम का सिलसिला मिसरा तरहे "असगरे बेशीर जैसा सूरमा कोई नही.... व शह के हाथों प कोई हैदरे कर्रार न हो" पर नौहा मातम शुरू हुआ। जिसमें अंजुमन गुलदस्ता ए हैदरी ज़रेली बरेली, मखदुमियाँ गाज़ीपुर, शैदाए हुसैनी मेमन सादात बिजनौर, अंजुमन ज़ुल्फेकरियाँ जाफराबाद जलालपुर अम्बेडकर नगर, व अंजुमन हैदरिया मनियारपुर सुलतानपुर के अलावा शहर की प्रमुख अंजुमनों ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़ कर कर्बला के सबसे कमसिन शहीद अली असगर को अपना नजराने अकीदत पेश किया। अलविदाई मजलिस मौलाना मेराज हैदर खान आजमगढ़ ने पढ़ा इसके बाद शबीहे ताबूत, अलम, झूला अली असगर निकाला गया। शब्बेदारी का संचालन मज़ाहिर नूरी जलालपुरी व डॉ शोहरत जौनपुरी ने किया। आभार अध्यक्ष सकलैन हैदर खान, महासचिव मिर्ज़ा जमील व सै .तहसीन हैदर ने प्रकट किया।
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