आमना सामना
नया सवेरा नेटवर्क
सहिजदपुर एक सात पुरवा का गॉंव है।उसमें सभी जाति के लोग रहते हैं।उसी में एक पुरवा में नरेंद्र रहता है और एक में समर।समर तुनक मिजाजी,बात बात में धमकी,झगड़ते रहना उसकी आदत में शुमार है।वहीं नरेंद्र कद काठी से मजबूत और समृद्ध घराने का शांत स्वभाव का लड़का है।उसका उद्देश्य पढ़ लिखकर कर प्रगति करना है। इसलिए वह झगड़ा झंझट से दूर रहता है।और अपने दोस्तों को भी सदैव दूर रहने के लिए सचेत करता रहता है। नरेंद्र दोस्तों को समझाते हुए कहता है कि बात बात पर तकरार करना मतलब अपना ही नुकसान करना है। इसलिए झंझटों से दूर ही रहना श्रेयस्कर है।उसकी इसी सहृदयता को कई लोगों को लगता था कि नरेंद्र कमजोर है। इसलिए ज्ञान बाॅंटते फिरता है।यही भ्रम समर को भी हो गया।लगा नरेंद्र को छेड़ने।नरेंद्र उससे बचकर रहने लगा।जिसकी नरेंद्र चाहता तो एक थप्पड़ में ही समर को समझा सकता था।मगर नरेंद्र ऐसा न करके उसकी राह से आना जाना बंद कर दिया।यह सोचकर कि न आमना सामना होगा न झंझट ही होगा।और झंझट नहीं होगी तो हमारा कोई काम रुकेगा नहीं।
एक दिन की बात है समर अपने समर्थकों के साथ मिलकर नरेंद्र के एक मित्र की पिटाई कर दी।और चैलेंज कर दिया कि जो उखाड़ना हो उखाड़ लेना।यह बात नरेंद्र को नागवार लगी।उसने समर को समझाने की बहुत कोशिश की मगर समर समझने की बजाय गाली गलौज पर उतर आया।फिर क्या था नरेंद्र ने दो तीन थप्पड़ दे दिया।मार खाने के बाद समर धमकी देते हुए चला गया। नरेंद्र आई गई बात समझ के पुनः अपने प्रगति पथ पर आगे बढ़ने लगा।समर कुछ दिन शांत रहने के बाद अचानक से एक दिन नरेंद्र के अपनों पर बहिसियाना हमला कर कई लोगों को घायल और कइयों की जीवन लीला समाप्त कर दिया।इससे नरेंद्र को बहुत गुस्सा आया।और नरेंद्र ने उसके घर पर हमला बोल दिया।जो भी मिला उसको मारते उजाड़ते चला जा रहा था।
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समर के जितने समर्थक थे सब बिल में घुस गये। नरेंद्र के रौद्र रूप को देखकर सब भागने लगे।समर भी भय से किसी अन्य सुरक्षित जगह पे जाकर छुप गया।उसके जितने समर्थक थे वे ऐसे ही हाॅथ खड़े कर दिए।जैसे श्रीराम के बाण के भय से किसी ने जयंता को शरण नहीं दी।कोई सुरक्षा के लिए आगे नहीं आया।उसी तरह समर के भी सहयोगी हाॅंथ खड़े कर दिए।इधर नरेंद्र था कि वो किसी की बात ही नहीं सुन रहा था।उस पर बस समर को समूल नष्ट करने का जैसे भूत सवार था।
समर को कुछ मित्रों ने सलाह दी की यदि नरेंद्र से बचना है तो तुम्हीं जाओ।उससे समझौता करो। नहीं तो नरेंद्र अबकी तुमको पताल में भी नहीं छोड़ेगा।उस पर तूने जो अनैतिक हमला किया है।वह उससे बहुत कुपित है वह किसी की,बोले तो किसी की भी बात सुन नहीं रहा।वह तुम्हें भूखे शेर की तरह ढूॅंढ़ रहा है।तुमको बचना है तो अब तुम ही शरणागत हो।शायद बच जाओ।इधर नरेंद्र उसको उसके मित्रों रिश्तेदारों के यहाॅं पागलों की तरह ढूॅंढ़ रहा है।जो भी सीधे से बात नहीं करता उसको वहीं निपटा लेता है।चारो तरफ अफरा तफरी।आखिर में समर का आमना-सामना नरेंद्र से हो ही गया।समर धड़ाम से नरेंद्र के पैरों में गिरकर नाक रगड़ते हुए त्राहि माम त्राहिमाम करने लगा।नरेंद्र का ग़ुस्सा शांत हुआ।और चेतावनी देते हुए कहा।यदि फिर तुमने हमारे अपनों को किसी भी तरह की हानि पहुॅंचाने की कोशिश भी करी तो अपने विनाश के लिए तैयार रहना।तब से लेकर आज तक वो शांत है।तब का वो दिन और आज तक समर भूलें से भी नरेंद्र की तरफ देखने की हिमाकत नहीं कर रहा है।हालांकि अपने सहयोगियों के सामने गीदड़भभकी यदा कदा अब भी देता रहता है।मगर समर के सामने आने का वह साहस नहीं जुटा पा रहा है।न ही अब नरेंद्र के ईष्ट मित्रों की तरफ ही वह देखने की हिम्मत कर पा रहा है। इसीलिए गाॅंव के लोग भी काफी दिनों से शांति पूर्वक रह रहे हैं।इस घटना के बाद नरेंद्र की इमेज गाॅंव में और बढ़ गई।उसके दोस्तों की सूची भी बढ़ गई। पुनः नरेंद्र अपने प्रगति पथ आगे चलना शुरू कर दिया है।
पं.जमदग्निपुरी