संविधान का 130 वाँ संशोधन विधेयक 2025: मंत्रियों के स्तरपर होने वाले भ्रष्टाचार पर सख़्ती से अंकुश लगाने में मील का पत्थर साबित होगा

भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई से निवेशकों का विश्वासबढ़ेगा प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तरपर भारत की छवि“जवाबदेह लोकतंत्र”की बनेगी

संविधान का 130 वां संशोधन विधेयक, 2025 - राज्य के मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक घेरे में- भारतीय राजनीति में एक नया युग आएगा-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया- भारतीय स्वतंत्रता के बाद से अब तक देश में 129 बार संविधान संशोधन किए गए हैं और हर बार इनका उद्देश्य लोकतंत्र को मज़बूत करना, जनकल्याण को सुनिश्चित करना और शासन प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना रहा है।वर्ष 2025 में पेश किया गया संविधान (130 वां संशोधन विधेयक) इसी कड़ी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसका मुख्य उद्देश्य मंत्रियों के स्तरपर होने वाले भ्रष्टाचार पर सख्ती से अंकुश लगाना है।मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र,ऐसा मानता हूं कि आज़ादी के 75 साल बाद भी यदि भ्रष्टाचार उच्च पदस्थ नेताओं और मंत्रियों तक फैला है, कि 10 पेर्सेंट 20 पेर्सेंट नामों से उनका संज्ञान लिया जाता है,जो  न केवल लोकतंत्र के लिए चुनौती है बल्कि जनता के विश्वास पर भी गहरी चोट है।यही कारण है कि इस विधेयक ने राजनीतिक विमर्श में हलचल मचा दी है।भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में भ्रष्टाचार हमेशा से सबसे गंभीर समस्या रहा है।1960 और 1970 के दशक से लेकर आज तक कई बड़े घोटाले हुए,चाहे वह बोफोर्स हो,कोयला घोटाला हो, 2जी स्पेक्ट्रम,या फिर हाल के वर्षों में विभिन्न मंत्रालयों में सामने आए अनियमितताओं के मामले।अक्सर जनता यह आरोप लगाती रही है कि “कानून केवल छोटे अपराधियों के लिए है, बड़े नेताओं और मंत्रियों पर कभी हाथ नहीं डाला जाता।”यह धारणा लोकतंत्र की आत्मा को कमजोर करती है।संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 75 और 164 में मंत्रियों की जिम्मेदारी तय की थी,परंतु उनके खिलाफ भ्रष्टाचार-रोधी तंत्र को पर्याप्त दाँत-पंजे नहीं दिए गए।मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कभी सीबीआई,कभी लोकपाल, कभी सीवीसी का सहारा लिया गया, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रक्रिया की जटिलताओं के कारण “न्याय” अक्सर विलंबित हुआ। इसी पृष्ठभूमि में 130 वां संशोधन लाया गया, जो पहली बार संविधान में विशेष प्रावधानों के तहत मंत्रियों के भ्रष्टाचार पर सीधी कार्रवाई की गारंटी देता है।गृह व सहकारिता मंत्री ने विधेयक पेश करने के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का आग्रह किया, 21 अगस्त 2025 को संसद की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई। 

साथियों बात अगर हम संविधान (130 वां संशोधन) विधेयक 2025 को समझने की करें तो,यह विधेयक 20 अगस्त 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में पेश किया गया।सेक्शन वाइज वअन्य संलग्न जानकारी:-(अ) उद्देश्य और नैतिकता को संवारना: -विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक जीवन में गिरती नैतिकता को सुधारना, राजनीतिक नेतृत्व में पारदर्शिता लाना, और यह सुनिश्चित करना है कि गंभीर आरोपों का सामना कर रहे मंत्री (प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अन्य मंत्री) जेल से सरकार न चला सकें। (ब) संविधान के अनुच्छेदों में संशोधन:-यह विधेयक निम्नलिखित अनुच्छेदों में संशोधन प्रस्तावित करता है,(1) अनुच्छेद 75 (केंद्र के मंत्रिमंडल)- प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के लिए लागू।(2) अनुच्छेद 164 (राज्य के मंत्रिमंडल) -मुख्यमंत्री और राज्य मंत्रियों पर लागू। (3) अनुच्छेद 239AA (दिल्ली विधान सभा और मंत्रिमंडल)-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए लागू।संशोधन का उद्देश्य इन पदों पर बैठे नेताओं को गहन आरोपों के बीच पद में बने रहने से रोकना है (4) मुख्य प्रावधान:-यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या अन्य मंत्री लगातार 30 दिनों तक गंभीर अपराधों (5 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराध) के आरोप में गिरफ्तार या हिरासत में रहता है, तो उसे पद से हटाया जाएगा। केंद्रीय स्तर:- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे 31वें दिन पद से हटाएगा; यदि सलाह न दी जाए, तो वह स्वयं पर से अपने आप पदमुक्त हो जाएगा।राज्य स्तर:-राज्यपाल,मुख्यमंत्री की सलाह पर हटाएगा; सलाह न आने पर 31वें दिन स्वतः पद समाप्त मान लिया जाएगा।दिल्ली/केंद्रशासित प्रदेश: इसी तरह, उप-गवर्नर की ओर से हटाव का प्रावधान है। (5) पुनर्नियुक्ति की संभावना:-यह विधेयक पुनर्नियुक्ति को निषिद्ध नहीं करता। गिरफ्तारी और हिरासत समाप्त होने के बाद पुनः नियुक्ति (फिर से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री बनना) संभव है। (6) कानूनी और संवैधानिक चिंताएँ:-न्याय की अधिभार: यह प्रावधान निर्दोष मान्यीकरण के सिद्धांत (प्रेन्सुम्प्शन ऑफ़ इनोसेंस) का उल्लंघन कर सकता है क्योंकि अभियोग के दौरान ही हटाव संभव है, जबकि वर्तमान व्यवस्था में केवल दोषसिद्धि पर पदावसान होता है ।राजनीतिक दुरुपयोग का खतरा: विपक्ष का दावा है कि यह विधेयक केंद्रीय एजेंसियों (जैसे सीबीआई, ईडी) के जरिए राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है ।संघीय ढांचे पर असर: यह राज्यों की स्वायत्तता और केंद्र- राज्य संबंधों के संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जिससे संघीयता कमजोर हो सकती है। (7) संसदीय प्रक्रिया और वृहद प्रतिक्रिया:-विधेयक को संसद के दो सदनों में विशेष (2/3) बहुमत द्वारा पारित होना आवश्यक है; फिलहाल एनडीए की संख्या पर्याप्त नहीं है, इसीलिए बिना विपक्ष के समर्थन के पारित होना कठिन है। 

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साथियों बात अगर हम,यह विधेयक लाने कीआवश्यकता और उसकी विशेषताओं की करें तो,इस संशोधन की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई क्योंकि अब तक मंत्रियों के खिलाफ मामलों में राजनीतिक दबाव हावी रहता था। जांच एजेंसियाँ निष्पक्ष होकर काम नहीं कर पाती थीं। इसके अलावा, कई बार “नैतिक जिम्मेदारी” के नाम पर मंत्री इस्तीफा देते तो थे, लेकिन कानूनी प्रक्रिया से बच निकलते थे। जनता का गुस्सा और असंतोष यही दिखाता है कि केवल इस्तीफा पर्याप्त नहीं है, बल्कि कानूनी दंड और संवैधानिक बाध्यता भी ज़रूरी है।130वें संशोधन की प्रमुख विशेषताएँ:-इस संशोधन में कई व्यापक प्रावधान जोड़े गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं,(1)  संवैधानिक दायित्व की स्पष्टता- अब हर मंत्री को शपथ लेते समय यह लिखित घोषणा करनी होगी कि वह भ्रष्टाचार, भाई- भतीजावाद और किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता में संलिप्त नहीं होगा। (2) विशेष जांच आयोग का गठन-संशोधन के तहत मंत्रियों के खिलाफ आने वाली शिकायतों की जाँच हेतु संसद द्वारा एक स्वतंत्र संवैधानिक आयोग का गठन किया जाएगा। यह आयोग न तो प्रधानमंत्री और न ही किसी मुख्यमंत्री के प्रत्यक्ष नियंत्रण में होगा। (3) सीधी जवाबदेही संसद और विधानसभाओं को-यदि किसी मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप साबित होता है, तो उसे तुरंत पद से हटाना अनिवार्य होगा। (4) लोकपाल और न्यायपालिका से समन्वय-यह संशोधन मौजूदा लोकपाल व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाता है तथा सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट की देखरेख में जांच सुनिश्चित करता है। (5)समयबद्ध कार्रवाई-आरोप लगने के 6 महीनों के भीतर जांच पूरी करना और दोषी पाए जाने पर 1 साल के भीतर दंड प्रक्रिया पूरी करना अनिवार्य होगा। 

साथियों बातें कर हम इस विधेयकके विपक्ष और समर्थन मैं दी गई दलीलों की करें तो,इस विधेयक को लेकर संसद और समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आई हैं (अ) समर्थक दलों का तर्क है कि यह संशोधन जनता का विश्वासलौटाने का काम करेगा और मंत्रियों को “जवाबदेही” का असली एहसास कराएगा।इससे न केवल शासन व्यवस्थापारदर्शी बनेगी बल्कि भ्रष्टाचार के मामलों में राजनीतिक संरक्षण भी खत्म होगा। (ब) विपक्षी दलों की चिंताएँ हैं कि इस संशोधन का दुरुपयोग हो सकता है। किसी भी मंत्री को झूठे आरोप लगाकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के तहत फँसाया जा सकता है। इसके अलावा, यह भी आशंका जताई जा रही है कि जांच आयोग पर भी सत्तारूढ़ दल का अप्रत्यक्ष प्रभाव रह सकता है। आलोचनाएँ और चुनौतियाँ:-(1)भले ही उद्देश्य नेक है, लेकिन इस संशोधन के क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ होंगी। (2) राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई की आशंका (3) जांच आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न (4) न्यायालय में लंबित रहने वाली अपीलें (5) जनता की अपेक्षाओं और व्यावहारिक परिणामों के बीच अंतर बंनकऱ उभरा है। 

साथियों बातें अगर हम इस विधेयक के दूरगामी  परिणामों की करें तो (1)भ्रष्टाचार की लागत बढ़ेगी-अब मंत्री भ्रष्टाचार करने से पहले सौ बार सोचेंगे क्योंकि परिणाम सिर्फ पद से हटना नहीं बल्कि कानूनी दंड भी होगा।(2) नौकरशाही पर भी असर- जब मंत्रियों को कठोर जवाबदेही के दायरे में लाया जाएगा,तो नौकरशाही पर भी पारदर्शिता का दबाव बढ़ेगा।(3)ऐतिहासिक घोटालों का विश्लेषण(4)विपक्ष की दलीलों का गहन मूल्यांकन (5)जनता और मीडिया की भूमिका (6) भ्रष्टाचार पर रोकथाम के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव।

अतः अगर हम अपरोध पूरी विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि संविधान का 130 वां संशोधन विधेयक,2025-मंत्रियों के स्तरपर होने वाले भ्रष्टाचार पर सख़्ती से अंकुश लगाने में मील का पत्थर साबित होगा,भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई से निवेशकों का विश्वासबढ़ेगा प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तरपर भारत की छवि“जवाबदेह लोकतंत्र”की बनेगी संविधान का 130 वां संशोधन विधेयक, 2025- राज्य के मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक घेरे में-भारतीय राजनीति में एक नया युग आएगा।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425


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