Jaunpur News: ग्राम सभा मेहंदी का प्रधान निकला भ्रष्टाचारी!

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फर्जी जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा के माध्यम से निकला लाखों रुपए

शेर बहादुर यादव @ नया सवेरा 

सिकरारा, जौनपुर। मड़ियाहूं विकासखंड के सिकरारा थाना अंतर्गत स्थित ग्राम सभा मेहंदी का ग्राम प्रधान पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार में लिप्त है। उसके द्वारा किए गए कारनामे धीरे-धीरे दिन प्रतिदिन अब उजागर होते जा रहे हैं। बड़े ही उम्मीद आशा और विश्वास के साथ ग्रामीणों ने उमेश यादव को अपना प्रधान चुना था और सोचा था कि पढ़े-लिखे योग्य कर्मठ, ईमानदार उम्मीदवार हैं। गांव के विकास की बागडोर अगर उनके हाथों में सौंप दी जाएगी तो गांव का चहुमुंखी विकास हो जाएगा। चुनाव जीतने के बाद कुछ विकास के कार्य किए गए लेकिन विकास के नाम पर धीरे-धीरे फर्जी जॉब कार्ड बनाकर उसी के सहारे विकास के पैसे का जमकर बंदर बांट किया गया, जब इसकी पोल खुली तो सभी ग्रामीण आवाक रह गए किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि ग्राम प्रधान इतना बड़ा भ्रष्टाचारी निकलेगा और गांव के विकास के लिए आए हुए पैसे का दुरुपयोग करेगा। गांव के ही निवासी विनोद कुमार सिंह ने अपने स्तर से जब इसकी जांच पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाला मामला उभर कर सामने आया। प्रधान द्वारा लगभग कुल 30 जॉबकार्ड ऐसे बनाए गए हैं, जो जॉबकार्ड धारक गांव के निवासी नहीं है और ना तो गांव के अगल-बगल के ही निवासी हैं। जॉब कार्ड में जो नाम और पता दर्शाया गया है उनकी खोज की गई उनको धरती निगल गई या आसमान उनका कहीं भी पता नहीं चल रहा है। 

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सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि बैंकों में उनका खाता कैसे खोला गया? किस आधार पर खोला गया और किस आधार पर उनके खाते में पैसा भेजा गया? किस आधार पर उस पैसे की निकासी की गई? यह सब जांच का विषय है। उक्त भ्रष्टाचार में बैंक कर्मचारियों से लेकर ब्लॉक के कितने कर्मचारी शामिल हैं? यह सब जांच करने के बाद ही सामने आएगा फिलहाल गांव के निवासी विनोद कुमार सिंह द्वारा उक्त पूरे प्रकरण की जांच करने के लिए जिलाधिकारी के यहां लिखित दरखास्त देकर जांच की मांग गई तो जिलाधिकारी द्वारा उक्त प्रार्थना पत्र को विकास से संबंधित अधिकारियों को सौंपा गया। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने इसकी जांच पड़ताल की तो भ्रष्टाचार खुलकर सामने आया।

जिला विकास अधिकारी मीनाक्षी देवी द्वारा प्रथम दृष्टया में दोषी पाते हुए 1,54,474 की वसूली नोटिस जारी कर दी गई है, अभी वसूली हो नहीं पाई थी कि तब तक 25 लोगों का और फर्जी जॉब कार्ड निकाल कर सामने आया जिसमें 2 लाख 43 हजार 676 रुपए का मामला फिर सामने आया। भ्रष्टाचार गांव में ही मनरेगा के तहत खोदे गए एक तालाब को माध्यम बनाकर निकासी की गई है, क्योंकि उक्त तालाब रातों-रात जैसीबी मशीन से खुदवा कर उसे पूरा कर दिया गया था जब पैसे का मामला फंसा तो फर्जी जॉब कार्ड के सहारे ही सारे पैसे को निकाल करके बंदरबांट किया गया है। फिलहाल उक्त भ्रष्टाचार की जांच जिस तरह से चल रही है, अगर उस पर गौर किया जाए तो सारे अधिकारी ग्राम प्रधान व भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों को बचाने के चक्कर में पड़े हुए हैं यानी मामले की लीपापोती की जा रही है। अब यह देखना है कि मामले की निष्पक्ष जांच करके कार्रवाई की जाती है या फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

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