अगर ज़ज्बात हो दिल में तो अंगारों पे चलते हैं | Naya Sabera Network

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अगर ज़ज्बात हो दिल में तो अंगारों पे चलते हैं

अगर ज़ज्बात हो दिल में तो अंगारों पे चलते हैं।। 

सुना है आह की गर्मी से पत्थर भी पिघलते है।। 

न जाने कैसे वो महसूस कर लेता है ग़म मेरा-

मैं रोता हूँ तो उसके आंख से आसूं निकलते हैं।।


कहा ये किसने बुजुर्गों से सीख लेता नहीं।। 

बद्दुआ आह किसी का भी चीख़ लेता नहीं। 

हाथ फैलाने की आदत नहीं सीखा मैंने-

भीख देता हूँ किसी से मैं भीख लेता नहीं।।


मै सोना चाहता हूँ पर मुझे सोने नहीं देता।। 

अलग पल भर खयालों से मुझे होने नहीं देता।। 

रिझाता है मेरे सपनों आकर भर के बांहों में-

दिलाशा देता है मन को, मुझे रोने नहीं देता।।


अवरोध राह के प्रबल पल भर में हट गये।। 

मौसम बदल गया सनम तम तोम कट गये।। 

सूरज हृदय आकाश में प्रकाश भर गया-

ग़म के घिरे थे बादल पल भर में छंट गये।।

गिरीश, जौनपुर।

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