युद्ध इतना आसान है क्या | Naya Sabera Network

Is war so easy | Naya Sabera Network

नया सवेरा नेटवर्क

वैसे तो भारत आतंकवाद का शिकार विशेष रूप से लगभग अस्सी के दशक से ही है। आतंकवादियों ने बड़ी क्षति पहुॅंचाई है भारत को।देश के दो प्रधानमंत्री को निगल लिया है।कई जांबाज सैनिकों को सिपाहियों को निगल चुका है।अनगिनत निर्दोषों को निगल चुका है। नब्बे के दशक में तो काश्मीर से काश्मीरी हिन्दुओं को अपना सबकुछ छोड़कर भागना पड़ा।अपने ही देश में विस्थापित होना पड़ा। हालात ऐसे बन गये थे कि लोग घर से सुबह बाहर निकलते थे तो शाम घर पहुॅंचेगें कि नहीं ये भरोसा ही नहीं रह गया था।भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई भी कई बार आतंकवाद की शिकार हुई।कई अपनों को खोई।कभी सिरियल बम ब्लास्ट हुआ तो कभी इक्का दुक्का। सार्वजनिक वाहनों में असुरक्षा की भावना घर कर गई थी।इन सबमें सबसे भयावह घटना रही ताज होटल और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल आदि पर आतंकवादियों द्वारा हमला। जिसमें सैकड़ों निर्दोषों ने अपनी जान गॅवाई थी।

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      जब जब भी देश में आतंकवादियों ने बड़ी घटना को अंजाम दिया।देश में उबाल आया। जनभावना आक्रोशित हुई।और पड़ोसी देश पाकिस्तान को मिटाने की बात हुई।मगर हमारी तत्कालीन सरकारों ने सिर्फ मुंहतोड़ जवाब देकर कड़ी निंदा करके इति श्री मान लिया।जनता भी दो चार दिन उबल कर शांत हो जाया की।दो हजार चौदह में भारत की सत्ता बदली।देश एक सशक्त नेता के हाॅंथ में गया।और आतंकवादी घटनाएं बहुत कम हो गई।इक्का दुक्का छोड़ दो तो लगभग इन दिनों देश शांति और विकास के पथ पर अग्रसर चल रहा था।अभी कायदे से चले भी नहीं थे कि दुष्ट पड़ोसी पाकिस्तान ने फिर अपनी कुत्सित चाल और विकृत मांसिकता का परिचय देते हुए,अपने पालतू आतंकवादियों से पहलगाम में छब्बीस निर्दोष पर्यटकों की जान उनके हिन्दू होने के कारण ले ली।जिससे हम भारतीय बहुत आहत हुए हैं।और आक्रोश इतना है कि यदि सरकार कह दे कि चलो हम सभी पाकिस्तान में घुस जायें,तो शायद आम जनता अपनी जान की परवाह किए बगैर पाकिस्तान में घुस जायें।और पाकिस्तानियों को पाकिस्तान छोड़ने पर विवश कर दे।हर व्यक्ति हर सच्चा भारतीय अब पाकिस्तान को मटियामेट होते देखना चाहता है।और चाहता है तत्काल युद्ध।अब हर देशभक्त बस यही चाहता है।

*अब तो पहल करो पहले पहलगाम का बदला लो|

पाकिस्तान में छुपे हुए आतंकियन का जीवन लो||

तहस नहस अबकी कर दो पाक में घुसकर दुष्टन को|

इंतजार अब करो नहीं सत्ताइस के बदले दो सौ सत्तर लो*||

        पर युद्ध करना इतना आसान नहीं है, जितना आसान हम समझ रहें हैं।यह पड़ोसी से झगड़ा नहीं है।यह किसी देश पर हमला है।इसकेलिए सरकार को समुचित तैयारी करना होता है। सरकार को किसी पर हमला करने से पहले उसकी क्षमता को भी देखना पड़ता है। साथ में अपनी भी क्षति कम से कम हो यह भी देखना पड़ता है।ए लाठी डंडा की या तलवार और मल्लयुद्ध का युद्ध नहीं है।यहॉं बम मिशाइल आदि से लड़ाई होगी।जब हम हमला करेंगे तो बचने के लिए वह भी प्रतिकार करेगा।वह कितनी ताकत से प्रतिकार करेगा हमें कितना प्रभावित करेगा, सरकार को यह भी देखना पड़ता है। यदि सरकार बिना तैयारी के कूद पड़ेगी जैसा कि हमलोग चाहते हैं तो परिणाम अनुकूल नहीं होंगे। सरकार को अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का भी ध्यान रखना जरूरी है।कौन देश हमारे साथ मजबूती से हैं कौन भितरघात करेगा यह सरकार देखती है।उनसे पहले अपने देश में कितने स्लीपर सेल हैं यह भी सरकार को देखना पड़ता है। क्योंकि बाहरी से सरकार निपट लेगी,मगर साथ में लड़ने वाला ही गद्दारी कर गया तो, सरकार को उन गद्दारों से भी निपटना है।जो कह तो रहे हैं कि हमला करो हम सरकार के साथ हैं।मगर हैं नहीं।यदि होते थे इतने उतावले नहीं होते। जनता में सरकार के प्रति नफरत व रोष नहीं भरते। सरकार की तैयारी में सहयोग करते। जनता को समझाते। राजनीति न करते।याद कीजिए वो दिन जब आतंकवादियों ने मुम्बई टर्मिनल व ताज होटल आदि जगहों एक तरफा तवाही मचाये थे।तब इन्हीं लोगों के हाॅंथ में सत्ता थी।तब पाकिस्तान पर हमला तो जाने दीजिए खुलकर निंदा भी ढंग से नहीं कर पाये थे।वहीं लोग आज सरकार से चाहते हैं कि सरकार बिना सोचे समझे,बिना तैयारी के देश को युद्ध में झोंक दें।और हार कर अपनी किरकिरी करा लें।

      योद्धा वो विजयी होता है जो कमजोर से कमजोर दुश्मन से मुस्तैदी चतुराई और पूरी क्षमता से लड़ता है।जो योद्धा बिना तैयारी और दुश्मन को कमजोर मान के लड़ता है वह विजयी नहीं हो पाता।होता भी है तो अपनी बहुत क्षति करवा बैठता है।जिसका हमारे शास्त्रों में कई बार उल्लेख मिलता है।चाहे राम रावण को ले लो।चाहे कृष्ण कंस को ले लो, चाहे शिव जालंधर को।या वर्तमान में रूस यूक्रेन का युद्ध देख लो। इजरायल गांजा का देख लो।क्या हश्र हो रहा है।हमारी सरकार इस तैयारी में है कि यदि राजनीतिक दबाव से वो मेरी बात मानकर वहॉं छिपे आतंकी सरगनाओं को मुझे सौंप देता है तो बिना लाठी चटकाए ही के काम बन जाएगा।और उतने समय में हम अपनी पोजिशन भी दुरुस्त कर लेंगे। अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी भी मुझे कुछ नहीं कह पायेगी।और हम उसे शीघ्र ही निपटा भी लेंगे। इसलिए हर सच्चा देशभक्त भारतीय उतावला न हो।जो भी होगा इस बार निर्णायक और हम सबके मनमुताबिक होगा। सरकार युद्ध कैसे करेगी यह सरकार पर छोड़ दें।बस हमें सरकार के हर निर्णय में सरकार के साथ में बने रहना है।और धैर्य बनाए रखना है। पाकिस्तान तो इतने से बौखलाया है।

*अभी तो हमने किया नहीं कुछ, फिर भी रात न सोया वो।

भाग रहा है जाग रहा है,इत उत भयाक्रांत हो रोया वो।।

खुरापाती है खुरापात करता वो,है  अशांत शांति में बाधक।

शरण मांगता फिर रहा है,था अब भी गरूर में खोया वो*।।

    युद्ध आखिरी विकल्प है।उसके पहले अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए।जो कि भारत सरकार कर रही है।इसका मतलब ये कतई नहीं है कि भारत पाकिस्तान को माॅंफ कर रहा है।कर भी सकता है यदि पाकिस्तान वहॉं छुपे दाऊद, हाफिज जैसे भारतीय अपराधियों को भारत को सौंप दें।मगर वो ऐसा करेगा नहीं।और भारत इस बार उसके सिवाय मॉंफ करने के मूड में भी नहीं है। फिर भी भारत युद्ध के मैदान में उतरने से पहले हर विकल्प पर विचार कर रहा है।जो हर बुद्धिमान शासक करता है।पाकिस्तान एक ऐसा पड़ोसी हैं जो अपने दुख से दुखी नहीं है।वह हम भारतीय लोगों के सुख से दुखी हैं।वह तो चाह रहा है युद्ध हो जाय।भारत विकास की पटरी से उतर जाय।उसकी हालत ए है कि हम तो डूबे हैं सनम तुमको भी ले डूबेंगे।भारत उसकी इस सोच से ऊपर सोंच रहा है कि अबकी तुमको ऐसा डुबाना है कि उतरा ही न सको।भारत उभरती हुई विश्व की तीसरी महाशक्ति बनने की राह पर है।जो चीन और पाकिस्तान जैसे कई अन्य देशों को खटक रहा है। युद्ध होने पर भारत बेपटरी हो जायेगा। इसलिए भारत पाकिस्तान पर पहले राजनीतिक दबाव बनाया हुआ है।यदि नहीं मानेगा तो युद्ध अवश्यम्भावी है।जय हिन्द 

पं.जमदग्निपुरी

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