आज कलम मजदूरों पर | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
"1 मई-मजदूर दिवस" पर मजदूरों को अर्पित बेहद हृदयस्पर्शी हमारी मौलिक रचना-
" आज कलम मजदूरों पर " _✍️
नन्हें से दुधमुंहे को बांध पीठ पर
खून पसीने से हो तर - बितर
सुबह शाम हो या तप्त दोपहर
सड़क पर गृहणी तोड़ती पत्थर
जिनसे सृजित राह पर चल कर
दिनभर रजनीभर कर रहे सफ़र
जरा ध्यान दें उन मजदूरों पर
उनके जीवन और बच्चों पर
बच्चे हो धूल से धूल - धूसर कंक्रीट पर ठोकर खा-खा कर
भूख - प्यास से बेसुध हो कर
रेंगते पत्थर पर चोट खा-खा कर
अपने सुख सुविधा से हो बेख़बर
सृजना करते गांव शहर नगर
मंदिर, मस्जिद हो या गिरजाघर
हो आशियाना हवेली या छोटा घर
हो विस्तर ईंट के चट्टे पर
बसे दुनिया जिनकी ईंट-भट्टे पर
लिखते नित हम सब सब पर
आज क्यों न लिखें मजदूरों पर
कलमकार
विजय मेहंदी (कवि-हृदय शिक्षक)
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
91 98 85 22 98
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