Poetry: कैसे जिएंगे हम | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
" कैसे जिएंगे हम "
दिल ले के जा रहे हो
कैसे जिएंगे हम (2)
खोए-खोए से रहेंगे
तन्हाइयों में हम
जब याद आए तेरी
रो-रो मरेंगे हम
दिल ले के जा रहे हो
कैसे जिएंगे हम।(2)
वो मधुर मुलाकातें
उल्फत की ज़ज्बाते
तेरी प्यार भरी बातें
ना भूल पाएगें हम
घुट-घुट के हम मरेंगे
आंसू पियेंगे हम
दिल ले के जा रहे हो
कैसे जिएंगे हम (2)
मेरी खुशियाँ ले गए
मेरी दुनिया ले गए
सोम साथ ले गए
नई दुनिया तूँ बसाने
विष दे के जा रहे हो
कैसे पियेंगे हम
दिल ले के जा रहे हो
कैसे जिएंगे हम।(2)
हो जन्नत सी बगिया
सजी रहे तेरी मंगिया
हो खुशियों की दुनिया
नए यार के अफ़साने
ग़म दे के जा रहे हो
कैसे जिएंगे हम
दिल ले के जा रहे हो
कैसे जिएंगे हम(2)
हाँ,,कैसे जिएंगे हम
कैसे जिएंगे हम,,,,,
ग़ज़लकार
विजय मेहंदी
जौनपुर(उ0प्र0)।
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