भारत-पाकिस्तान संघर्ष: कारण और निहितार्थ | Naya Sabera Network

नया सवेरा नेटवर्क

पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में पर्यटकों की उनका धर्म पूछकर नृशंस हत्या की।इसके जवाब में भारत ने सिंधु नदी समझौता स्थगित कर दिया, उच्चायुक्तों की संख्या कम कर दी, पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से निकाल दिया और 6–7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान के 9 स्थानों पर 21 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इस बार सर्जिकल स्ट्राइक की तरह केवल पीओके में आतंकी ठिकाने नहीं नष्ट किए गए बल्कि पाकिस्तान में घुसकर बहावलपुर जैसे स्थानों पर ठिकाने नष्ट किए गए। इसमें 100 से अधिक आतंकी मारे गए। इससे बौखलाकर पाकिस्तान ने 8 से 10 मई के बीच 500 से अधिक मिसाइलों और ड्रोनों से भारत पर हमला किया, केवल मिलिट्री बेस पर ही नहीं बल्कि सिविलियन पर भी हमला किया और सीजफायर का उल्लंघन करके जम्मू और कश्मीर में एल ओ सी पर गोलीबारी और बमबारी भी की। लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की सभी मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया और सीमा पर जवानों ने सीजफायर उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब दिया। 10 मई को शाम 5 बजे दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम का निर्णय लिया गया, हालांकि पाकिस्तान इसके बाद भी एल ओ सी पर सीजफायर का उल्लंघन किया।

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कारण/ पाकिस्तान की नीति

पाकिस्तान के भारत में आतंकी हमला करने पीछे अनेक संभावित कारण हो सकते हैं–

1) पाकिस्तान सेना प्रमुख मुनीर परवेज मुशर्रफ की तरफ तख्ता पलट करना चाह रहा है, इसीलिए उसने आतंकी हमला करके भारत को युद्ध करने के लिए उकसाया। उसे पता था कि भारत आतंकी हमले का जवाब जरूर देगा। इसीलिए उसने आपरेशन सिंदूर के बाद इतनी मिसाइलें और ड्रोंस भारत पर छोड़े। अगर भारत से फ़ुलफ्लेज युद्ध होता तो देश की कमान उसके हाथ में आ जाती।

2) पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हाल बहुत बुरा है, इसीलिए उसे आई एम एफ से लोन लेना पड़ रहा है, दूसरी तरफ बलूच लड़के नाक में दम कर रखे हैं, मंहगाई बहुत बड़ी हुई है, विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चुका है, ऐसी स्थिति में सरकार से जनता का विश्वास उठाता जा रहा है, ऐसे में सरकार भी चाहती है कि उसके प्रति जनता के आक्रोश को भारत से युद्ध करके इस तरफ मोड दिया जाय। इसलिए वह सेना के साथ खड़ी है।

3) जम्मू और कश्मीर अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से लगातार शांति व  स्थिरता की ओर बढ़ रहा है, वहां रिकॉर्ड पर्यटक जा रहे हैं। 2024 में लगभग 2.4 करोड़ पर्यटक गए थे। इससे वहां की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और समाज में सौहार्द बढ़ रहा है, जिससे वहां पाकिस्तान की प्रासंगिकता खत्म हो रही थी और भारत विरोध भी कम हो रहा था। ऐसे में पर्यटकों को मार करके उसने अर्थव्यवस्था को नष्ट करने हेतु प्रयास किया, ताकि अपने को प्रासंगिक बनाए रखे।

4) भारतीय राजनीति में हिंदू मुस्लिम की बढ़ती दरार को और चौड़ा करने के लिए और सामासिक संस्कृति को कमजोर करने के लिए धर्म पूछकर मारा गया। हालांकि इससे उनकी हिंदू के प्रति घृणा भी प्रदर्शित होती है।

5) चीन ट्रेडवार में फंस गया है और कई वर्षों से उसकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर भी कमजोर होगी है, इसलिए भारत को निवेश और बाजार के रूप में जो फायदा हो रहा है और भारत की अर्थव्यवस्था जो बेहतर प्रदर्शन कर रही है, उसे रोकने के लिए चीन भारत को युद्ध में झोंकना चाहता है, इसीलिए उसने पाकिस्तान का समर्थन किया और संभवतः आतंकी हमले के पीछे उसका भी हाथ हो।

भारत की नीति

हम आप राष्ट्रभक्ति और भावनाओं से चाहे जो सोचें लेकिन भारत सरकार की नीति इस मुद्दे में प्रारंभ से ही एकदम स्पष्ट है कि भारत पाकिस्तान के आतंकी हमले का जवाब देगा और आतंकी ठिकाने नष्ट करेगा साथ ही सैन्य  ठिकाने भी नष्ट करेगा, जहां से मिसाइलें आती हैं, लेकिन वह पाकिस्तान से युद्ध नहीं लड़ेगा। भारत को पहले से स्पष्ट था कि पाकिस्तान युद्ध चाहता है, इसीलिए पहलगाम हमले के बाद पूरी तैयारी करने के बाद ऑपरेशन सिंदूर किया गया। उसे पता था कि पाकिस्तान सिविलियन पर हमला करेगा इसलिए मॉकड्रिल कराया गया। ट्रंप बड़बोलेपन में चाहे जो बोलें, लेकिन भारत किसी की मध्यस्थता से नहीं, अपनी पूरी रणनीति से और अपनी शर्तों के साथ 10 मई को संघर्ष विराम किया।

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भारत ने कहा है कि अब किसी प्रकार का आतंकी हमला एक्ट ऑफ वार माना जायेगा। पाकिस्तान भी संघर्ष विराम के लिए 10 मई को इसीलिए सहमत हुआ क्योंकि बहुत प्रयास के बाद भी उसका उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा था, इतनी मिसाइलें मारने के बाद भी वह न तो भारत को कोई खास क्षति पहुंचा पाया और न ही भारत को अपनी नीति बदलवाने में सफल रहा।यद्यपि इसके बाद फिर सीजफायर का उल्लंघन किया गया।लेकिन सीजफायर का उल्लंघन कोई नया नहीं है, लगभग हर हफ्ते सीजफायर का उल्लंघन होता है। 

भारत पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ जो कार्यवाही की है, वह केवल पहलगाम के हमले का बदला लेने के लिए नहीं की, बल्कि उसकी प्रेस ब्रीफिंग से स्पष्ट होता है कि 1989 से अब तक जितने आतंकी हमले हुए हैं, सभी का बदला लेने और यह प्रदर्शित करने के लिए कार्यवाही की कि अगर पाकिस्तान आतंकवादियों को भारत के खिलाफ उपयोग करेगा तो पाकिस्तान में आतंकवादी चाहे जहां छिपा हो, उसे भारत मार देगा और उनके ठिकाने नष्ट कर देगा। भारत ने यह भी दिखाया कि उसे पाकिस्तानी जनता के प्रति सहानुभूति है और वह आम जनता को निशाना नहीं बनाएगा। भारत ने आतंकवादी और आम जनता में विभेद करके आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान में जनमत बनाने का प्रयास किया है। यानी भारत आतंकियों की वैधानिकता को नष्ट करना चाहता है।


निष्कर्ष

हमारे देश के लोग इस पूरे प्रकरण को अपने विचार और भावनाओं तथा राजनीतिक हित के आधार पर अपने अपने हिसाब से व्याख्या कर रहे हैं, सभी लोग कहीं न कहीं सही हो सकते हैं। लेकिन सरकार की नीति ठोस आधारों पर बनी है कि हम किसी देश के उकसावे या भावनाओं में आकर अपने आर्थिक, सामरिक और राजनीतिक हितों को तिलांजलि नहीं दे सकते। सरकार देश को एक शांत और सुरक्षित स्थान बनाने के लिए प्रयासरत है। वह यह प्रदर्शित कर रही है कि देश किसी भी प्रकार के हमले को जवाब देने को सक्षम है। वस्तुत भारत पाकिस्तान के आतंकवादियों को नष्ट करना चाह रही है और उसका समर्थन करने वाली सेना को उनकी हैसियत दिखाना चाह रही है न कि युद्ध।एक बात और अभी संघर्ष पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, यह अभी भी जारी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत अपनी नीति में रहते हुए दीर्घकालिक राष्ट्रीय हित और आम जनता की भावनाओं को कैसे संतुलित कर पाती है।

–डॉ प्रशांत त्रिवेदी

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