भाजपा भी कांग्रेस के नक्सेकदम पर | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
भाजपा से हम भारतीयों को बड़ी उम्मीद थी|भाजपा का भारत माता के प्रति प्रेम और उसका नारा हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्थान देख सुनकर हम भारतवासियों में यह उम्मीद जगी थी कि भाजपा को लायेंगे तो यह सभी भारतीयों में भारतीयता जगाकर सबको एक सूत्र में बाँधकर देश को आगे ले जायेगी|उन्नति के नये द्वार खोलेगी|जातिवाद भाषावाद प्रांतवाद को उभरने नहीं देगी|लेकिन शायद हम लोग गलत हैं|लगभग 11वर्ष से भाजपा सत्ता के शीर्ष पर विराजमान है|अब तक के उसके कार्यकलाप से कहीं नहीं लगा कि भाजपा अपने नारे हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्थान के लिए कुछ किया हो|अलबत्ता वह जरूर कर रही है जिसकी कल्पना हम सबने नहीं की थी|वो ए कि फूट डालो राज करो|यही नीति आक्रांताओं की रही|यही नीति आजादी के बाद धुर्त कांग्रेसियों की रही|कमोवेश भाजपा भी वही कर रही है|
भाजपा के शासन में कई राज्यों में हिन्दू मारे जा रहे हैं|भाजपा मौन है|हिन्दू अपने ही देश से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं,भाजपा मौन है|यही भाजपा जब विपक्ष में थी तो पाकिस्तान के हिन्दुओं को लेकर बहुत हो हल्ला करती थी|आज बांग्लादेश में रोज हिन्दू मारे जा रहे हैं|उनकी महिलाओं बेटियों की अस्मत लूटी जा रही है|उनकी सम्पत्तियाँ छीनी जा रही है|असहनीय यातनायें वहाँ हिन्दू भाई बहन झेल रहे हैं|भाजपा मौन है|कल हिन्दुओं की खरोच पर चीखने चिल्लाने वाली भाजपा मौन है|बांग्लादेश को जाने दीजिए|अपने ही देश कोलकाता में हजारों हिन्दू पलायन कर अपना घरबार छोड़कर दूसरे शहर में शरण लिए हुए हैं|उनकी सम्पत्तियाँ नष्ट की जा रही हैं|मारे काटे जा रहे हैं|आज पश्चिम बंगाल से जो दृश्य देखने सुनने को मिल रहे हैं|उससे यही मन में सवाल उठ रहा है कि यह भाजपा ही है|
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दक्षिण भारत से आये दिन भाषा विवाद रह रहके शिर उठा ले रहा है और भाजपा मौन है|विगत कुछ दिनों से मुम्बई जो भारत की आर्थिक राजधानी कही जाती है|वहाँ से गरीब गैर मराठी भाषी मजदूरों को भाषा के नाम पर कुछ शरारती तत्वों द्वारा मारा पीटा जा रहा है|भाजपा मौन है|भाजपा भूल रही है ,इसी भाषा विवाद के चलते कांग्रेस की लुटिया डूबी है|यदि समय रहते भाजपा इस पर ढंग से काम नहीं करती,शरारती तत्वों पर नकेल नहीं कसी तो,भाजपा का भी वही हश्र हो सकता है|भाजपा से यह उम्मीद नहीं थी कि भाजपा भी अपनी कुर्सी के लिए हम भारतीयों की बलि लेगी|कहीं धर्म के नाम पर कहीं भाषा के नाम पर|भारत को एक सूत्र में बाँधना है तो जाति विच्छेदन व भाषा विवाद पर दृढ़तापूर्वक काम करना होगा|कांग्रेस के कदम से कदम मिलाकर चलेगी तो कांग्रेस तो वापसी कर लेगी|मगर भाजपा की वापसी मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जायेगी|क्योंकि भाजपा हमेशा खाड़ी के किनारे पर है|और कांग्रेस अभी भी सुरक्षित जोन में है|इसलिए हम भारतवासियों के धैर्य की अधिक परीक्षा न ले|जब हिन्दू और हिन्दीभाषी भाजपा के शासन में खुद को सुरक्षित नहीं पायेगी तो मजबूरन दूसरी पार्टी की तरफ रुख करेगी|जिससे भाजपा की नइया ऐसी डूबेगी कि पुनः उतिराना असम्भव हो जायेगा|
इसलिए कांग्रेस की राह से हटकर देश की रक्षा के साथ साथ हम सनातनियों की रक्षा के लिए उचित व्यवस्था करे|बेगुनाह सनातनियों को कहीं धर्म के नाम पर तो कहीं भाषा के नाम पर न पिटवाए|उत्तर दक्षिण और पूरब पश्चिम का रारा न करवाये न होने दे|एक ऐसा विधान बनाये जिससे हर राज्य की राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों की सुचारु रूप से सुरक्षा सुनिश्चत करें|उनके साथ भाषा के नाम से दुर्व्यवहार मार पीट करने वाली पार्टी या संगठन को देश विरोधी करार करके उस पार्टी या संगठन को बैन कर शरारती तत्वों पर दण्डात्मक कार्यवाई कर एक सुन्दर मिशाल कायम करे|जो भी देश में भाषा वाद प्रांतवाद जातिवाद का विष वमन करे|उसे उसकी पार्टी को देशद्रोही करार करने का प्रावधान करे|और उचित दंड की व्यवस्था करे|जिससे देशवासी सकून भरा व सुरक्षित जीवन जी सकें|इससे अधिक सामान्यजन को कुछ नहीं चाहिए|एक सामान्य आदमी का बस यही सपना रहता है,रोटी कपड़ा और मकान के साथ साथ सुरक्षित और सकून भरा जीवन|यदि यह भी कोई सरकार नहीं दे सकती तो उसे सरकान बनने का न्यायोचित हक नहीं है|गहनता से इस विषय पर भाजपा को सोंचना ही नहीं कार्य भी करना पड़ेगा|जनता ने खासकरके सच्चे देश भक्त सनातनियों ने जिसके लिए भाजपा को बार बार मौका दिया हैं|भाजपा को उसके पर खरा उतरना पड़ेगा|जनता में जो भरोसा जगाया है,उसे पूरा करना होगा|यदि कांग्रेस के नक्से कदम पर चलना है तो,जनता आपके लिए बलि का बकरा क्यों बने|क्यों आपकी रैलियों में नारा लगाने जाये|जब उसे हर तरफ से दुख ही झेलना है तो आपके लिए क्यों लोगों की गलियाँ लाठियाँ और गोलियाँ खाये|इसलिए-
दृढ़ता पूर्वक देश हित में काम कीजिए|
कांग्रेस की तरह ना हमें जबान दीजिए||
नेहरू नहीं सरदार बन देश का मान बढ़ा|
भाषा एक एक धर्म एक संविधान कीजिए||
पं.जमदग्निपुरी
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