Poetry: अमृत कुम्भ का दर्शन करने, आए गांव से लाखों लोग | Naya Savera Network
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देवी प्रसाद शर्मा
नया सवेरा नेटवर्क
अमृत कुम्भ का दर्शन करने, आए गांव से लाखों लोग
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अमृत कुम्भ का दर्शन करने, आए गांव से लाखों लोग
पूण्य के भागी बन बैठे वे, संगम पर मुस्काते लोग
घर में कैसे स्नान करे संगम पर अपने नाज रहा
कुंभ यहां बाजार बना संगम पर कितना जोर रहा
जिसकी जैसी सोच बनी सब वही दिखाई पड़ता था
साधु संत सब लोग यहां पर देखो कैसे लड़ता था
मीडिया आलोचक की सबकी एक कसौटी थी
सरकारी अनुमानों में भी राजनीति भी चलती थी
झूठ फरेब के धागे से नेता जी कितने आगे हैं
वाणी उनकी सच होती भगदड़ में वह भागे है
वहीं मीडिया बन जाते हैं तोता भाषा पढ़ जाते हैं
जो जीने कि चाल बदल दे पैमाने कि चाह बदल दे
कलम की धार बदलने वाले, कुर्सी पर मिटने वाले
हिंदू मुसलमान कह रहा धार्मिक उन्माद भर रहा
कहीं किसी कि जांच अधूरी किसी को मांग है पूरी
दुविधा दोजख में फंसकर संगम वाली नाव से चलकर
हिंदू भी अब जाग रहा संगम में गोता लगा रहा
एक भी हिन्दू नहीं बचा संगम पर ही देश डटा
झूठ की मलाई खाने वाले, झूठ झूठ चिल्लाने वाले
तुक्ष स्वार्थ की बातों को तुम भूलो ऐसी रातों को
जिसमें जनहित भाया हो अपना और पराया हो
कुछ भाव भी ऐसे होते हैं मां की ममता में सोते हैं
बस यही बात दुःख देती है भीड़ में ममता रोती नहीं
परिवार से कोई सटा नहीं मौके से कोई हटा नहीं
गाजर—मूली की गिनती है हाथ जोड़कर के
विनती है जनता भेंड़ नही है भालू नहीं
टमाटर सब्जी आलू अनुमानों पर सोचो
देखो इसके पीछे सबको टोको इतनी घोर तपस्या
क्या है गिनती की व्यवस्था क्या है?
देश की आधी आबादी को संगम पर क्यों बुला लिया
राज को कितने छुपा लिया गाड़ी मोटर ट्रक दोपहिया
अनुमानों पर चला रहे हो राज को ऐसे छुपा रहे हो
अभी गांव से कुछ प्रतिशत नहीं गये जमुना के तट पर
तब भी भीड़ सभी घाट पर नजर गड़ी है रामराज पर
ऐसे में अनुमान कहां है अमृत का स्नान कहां है?
हिंदू मुस्लिम करने वाले धर्म जाति पर लड़ने वाले।
ऐसी क्या मजबूरी होगी, संसद सड़क जरूरी होगी
संगम पर रहने में क्या है साठ करोड़ कहने में क्या है
ऐसे मत खुशहाल बनो आस्था पर मेहरबान बनो
जीवन में अभिमान कहां अनुमानो पर ब्रेक कहां है
देवी प्रसाद शर्मा
ब्यूरो चीफ आजमगढ़।
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