Poetry: कौन सिखाएगा.....! | Naya Savera Network
नया सवेरा नेटवर्क
कौन सिखाएगा.....!
नई पढ़ी-लिखी पीढ़ी,
चढ़ जाती है जब....!
सफलता की सीढ़ी....
सजाते लगती है,
अपनी ऑफिस और फ्लैट....
वापस नहीं आती....देखने को....!
अपने गाँव का...."दिस और दैट"..
डर लगता है उन्हें,
कहीं चौखट और गेट....!
पूछ न ले उनका परिचय
दीवारें पढ़वाने न लगे....!
अपने सीने पर लिखी हुई,
आड़ी-तिरछी लाइनें....
या फिर...उल्टी-सीधी गिनतियाँ...
कजरौटे वाले ताखे में रखा आईना...
सूरत में आये बदलाव पर,
कोई सवाल न दाग दे....?
सौर वाले घर में तो....!
परछाई भी साथ होगी....
जाहिर है वहाँ अनचाहे ही,
अंतरमन से भी मुलाकात होगी...
अचानक प्रकाश पुंज का,
वे क्या जवाब देंगे....?
इतनी हिम्मत भी नहीं कि,
हौले से मुस्कुरा देंगे....
घर की चुल्हानी से....!
क्या गढ़ेंगे वे कहानी....?
जिसने सब देखा है...और....
याद है जिसे...सब कुछ ज़ुबानी...
डर है...कहीं ढिबरी और लालटेन...!
व्यंग्य करते हुए बोल न दें....
तुम तो कहते थे...करुँगा मैं "अटेन"..
टेन आउट ऑफ़ टेन....!
कहाँ कर रहे हो तुम....?
अपना किया हुआ....वादा "मेंटेन"...!
किसी कोने में डला हुआ टाँड़,
जिसके नीचे पिया करते थे....!
सभी अक्सर बैठकर माँड़....
जो उन दिनों होता था....!
सबके लिए...व्यायाम का प्रमाण....
मित्रों....सामने उसके जाते ही...!
शायद काँपने लगेंगे इनके हाड़....
इतना ही नहीं....!
जब सवाल करेगी माटी कि
गंध में तेरी....कैसी है कृत्रिमता...
सच मानो प्यारे मित्रों....!
डर अन्दर से है इनको कि,
फेल हो जाएगी....इनकी...
सारी की सारी बुद्धिमत्ता...
दशा इस नौजवान पीढ़ी की....!
दिया आप सबको मैंने बता....
सवाल अब आपसे है मित्रों....
अपने परिवेश को....!
खुद ही भुलाकर...खुद ही त्यागकर..
इस अंतर्विरोध में जी रही पीढ़ी को...
कौन सिखाएगा....?
गाँव-देश और समाज की महत्ता....
कौन सिखाएगा....?
गाँव-देश और समाज की महत्ता....
रचनाकार....
जितेन्द्र कुमार दुबे
अपर पुलिस उपायुक्त, लखनऊ।