दोस्ती का मौसम आया-इधर भारत-चीन दोस्ती के फूल खिले, उधर अमेरिका-रूस बिछड़े यार मिले? | Naya Savera Network

दोस्ती का मौसम आया-इधर भारत-चीन दोस्ती के फूल खिले, उधर अमेरिका-रूस बिछड़े यार मिले?  | Naya Savera Network
  • भारत चीन के रिश्ते पटरी पर आने लगे हैं,तो अमेरिका-रूस की दोस्ती परवाना चढ़ने पर आतुर 
  • पूरी दुनियाँ एक होकर प्रेम भाईचारे से वसुधैव कुटुम्बकम यानें पूरा विश्व एक परिवार है,इस वचन पर चले तो पृथ्वी लोक का जन्नत होना तय-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया- वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ आज एक ध्रुवी दौर में गुजर रही है, जिसका सटीक उदाहरण तीन सालों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध,इधर हमास- इजरायल युद्ध, उधर चीन ताइवान टकराहट, पाकिस्तान तालिबान तनातनी, नॉर्थ ईस्ट साउथ ईस्ट तनातनी,अमेरिका- रूस की अनबन तो इधर भारत- चीन की अनबन! यह सब कुछ  हम लंबे समय से देख रहे हैं,परंतु यह कुदरत का करिश्मा समझो या मानवीय कोशिश!सदियों से रूस-अमेरिका की अनबन या तनातनी हम बचपन से देखते आ रहे हैं तो इधर चीन भारत में भी लंबे समय से तनातनी चल रही है, फिर अभी अचानक हम देख रहे हैं कि रूस-अमेरिका व भारत -चीन की दोस्ती परवाने चढ़ने की ओर आतुर है मेरा ऐसा मानना है कि चूँकि 14 मार्च 2025 को होली धुलीवंदन है, जिसमें हम वर्षों से लगातार हर सोशल इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया में 22 मई 1981 को रिलीज हुई, हिंदी फीचर फिल्म लावारिस का गीत कब के बिछड़े हुए आज हम कहाँ आके मिले, व 1975 में रिलीज रिलीज हुई हिंदी पिक्चर फिल्म शोले का गीत हम सुनते हैं, होली के दिन दिल खिल जाते हैं दुश्मन भी गले मिल जाते हैं, अभी होली नजदीकी आ रही है, मुझे लगता है यह दोनों गीत उपरोक्त दोनों दोस्ती की और कदम बढ़ाने वाले भारत-चीन व अमेरिका-रूस में सटीक सिद्ध होनें जा रहा है, जो रेखांकित करने वाली बात है। ठीक उसी तरह भारत की मेजबानी में जी- 20 की थीम वासुधैव कुटुंम्बकम यानें पूरा विश्व एक परिवार है, यह भी सटीक होने की और अग्रसर है यह हम देख रहे हैं क्योंकि तनातनी के माहौल में रह रही चार महाशक्तियां आपस में संबंध मजबूत व गहरा संबंध बनाने की ओर आगे बढ़ रही है,इसलिए आज हम मीडिया उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, दोस्ती का मौसम आया- इधर भारत चीन दोस्ती के फूल खिले उधर रूस अमेरिका बिछड़े यार मिले? 
साथियों बात अगर हम भारत- चीन के मधुर संबंध बनने की ओर अग्रसर होनेकी करें तो,भारत  के विदेश मंत्री और चीन के विदेश मंत्री ने दक्षिण अफ्रीका में अपनी बैठक के दौरान चीन-भारत संबंधों में प्रगति, सीमा क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने तथा कैलास मानसरोवर यात्रा की बहाली पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जोहानिसबर्ग में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर दोनों मंत्रियों की मुलाकात हुई।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रेसवार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में बताया कि दोनों के बीच यह बैठक करीब 30 मिनट तक चली। उन्होंने कहा, दोनों मंत्रियों ने नवंबर में अपनी पिछली बैठक के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की। सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने, कैलास मानसरोवर यात्रा की बहाली, उड़ान कनेक्टिविटी और यात्रा की सुगमता पर चर्चा की गई। भारत के विदेश मंत्री जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की दो दिवसीय यात्रा पर जोहानिसबर्ग में हैं। उन्होंने भू- राजनीतिक परिदृश्य की वर्तमान जटिलताओं को उजागर करते हुए कहा है कि विचारों में सामंजस्य स्थापित करने की जी-20 की क्षमता वैश्विक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है।वैश्विक भू- राजनीतिक स्थिति पर चर्चा’ शीर्षक वाले जी-20 सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जी-20 विश्व में बहुध्रुवीय स्थिति की एक महत्त्वपूर्ण अभिव्यक्ति है।उन्होंने कहा, वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति हर तरह से कठिन बनी हुईहै।कोविड वैश्विक महामारी, संघर्ष की स्थितियां, वित्तीय दबाव, खाद्य सुरक्षा और जलवायु संबंधी चिंताओं की चुनौतियां हैं।मुझे खुशी है कि हम आज जोहान्सबर्ग में G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान मिल पाए, इस तरह के मौकों ने हमारे संबंधों को तब भी बातचीत का मौका दिया है, जब हमारे संबंध कठिन दौर से गुजर रहे थे. दोनों देशों ने एक संस्था के रूप में जी-20 को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए कड़ी मेहनत की है. यह अपने आप में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्वको प्रमाणित करता है।उन्होंने कहा, हमारे एनएसए और विदेश सचिव ने चीन का दौरा किया है, हमारे संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुईहै। इनमें सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के प्रबंधन के साथ-साथ हमारे संबंधों के अन्य आयाम भी शामिल हैं। मुझे आज विचारों के आदान-प्रदान पर खुशी है।भारत और चीन जी -20, एससीओ और ब्रिक्स के सदस्य हैं। आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दे भी हैं, जहां विचारों का आदान-प्रदान हमारे आपसी लाभ के लिए होगा।ये बैठक भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय चुनौतियों के समाधान के लिए जारी कूटनीतिक कोशिशों के बीच हुई। भारतीय पीएम और  और चीन के राष्ट्रपति के बीच गत वर्ष हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद भारत और चीन के रिश्ते फिर से पटरी पर आने लगे हैं। दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में चल रहे विदेश मंत्रियों के जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों में और करीबी महसूस की गई।चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तस्वीरों को शेयर किया है। हालांकि उन्होंने भी वार्ता के बिंदुओं का कोई खुलासा नहीं किया है। मगर सूत्रों के अनुसार भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विवादित बिंदुओं के समाधान और दोनों देशों के बीच व्यापार के संबंध में बातचीत होने की बात कही जा रही है। भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की यह मुलाकात दर्शाती है कि दोनों देशों के बीच जून 2020 से चल रहा तनाव अब काफी हद तक कम हुआ है। 
साथियों बात अगर हम अमेरिका -रूस संबंध मजबूत होने की करें तो, बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप खुद को व्लादिमीर पुतिन का मित्र बताते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि  3 वर्षों से चली आ रही रूस यूक्रेन युद्ध का  सऊदी अरब की मध्यस्थता के साथ कोई रास्ता निकाला जा सकता है। सऊदी की अमेरिका और रूस दोनों ही देशों से करीबी है और अच्छे संबंध हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय बातचीत सऊदी अरब में हुई।ये वो सप्ताह था जिसमें परंपरागत सहयोगियों के बीच तनाव बढ़ा, यूरोप और यूक्रेन को अमेरिकी रुख़ की आलोचना करने पर मजबूर होना पड़ा, यूरोप की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ीं और रूस की स्थिति मज़बूत हुई। बिना किसी को किसी तरह की रियायत दिए या कोई क़ीमत अदा किए वो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बेहद मज़बूत स्थिति में पहुंच गया। पूरे विश्व में रूस अमेरिका के करीब आने की खबरें छा रही हैँ।रूस अपनी जनता और दुनिया को दिखाना चाहता है कि यूक्रेन वॉर को लेकर उसे अलग-थलग करने की यूरोपीय कोशिशें फ़ेल हो गई हैं। हाल ही में सऊदी अरब के रियाद में अमेरिका और रूस के बीच शांति वार्ता हुई, लेकिन यूक्रेन को इसमें बुलाया ही नहीं गया। इससे राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की भड़क गए और उन्होंने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई। ज़ेलेंस्की का कहना था कि बिना यूक्रेन की मौजूदगी के कोई भी समझौता मान्य नहीं होगा। लेकिन ट्रंप को यह बयान पसंद नहीं आया और उन्होंने दो टूक जवाब देते हुए कहा आज मैंने सुना कि वे कह रहे हैं, हमें आमंत्रित नहींकिया गया। लेकिन तुम तीन साल से वहां हो! युद्ध को पहले ही खत्म कर देना चाहिए था। इसे कभी शुरू ही नहीं होना चाहिए था। समझौता कर सकते थे! यानी ऐसा लग रहा है वह अब पुतिन का पक्ष ले रहे हैं, ट्रंप ने यह भी इशारा दिया कि वे जल्द ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं। इससे पहले भी ट्रंप दावा कर चुके हैं कि वे पुतिन और ज़ेलेंस्की, दोनों से सीधे संपर्क में हैं और युद्ध खत्म करने की ताकत रखते हैं। हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि ट्रंप और पुतिन की मुलाकात की अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।सऊदी अरब के रियाद में 4:30 घंटे चली बैठक में रूस-अमेरिका के विदेश मंत्रियों समेत अन्य नेता शामिल हुए थे। इस बैठक में दोनों देशों ने सबसे पहले अपने आपसी रिश्ते सुधारने की पहल की। इसमें सहमति बनी कि दोनों देश जल्द से जल्द अपने दूतावासों को चालू करेंगे। यहां स्टाफ की भर्ती करेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति न बने। यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद दोनों देशों ने दूतावास से स्टाफ को निकाल दिया था। करीब तीन साल से दूतावास बंद पड़े थे। 
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दोस्ती का मौसम आया-इधर भारत-चीन दोस्ती के फूल खिले, उधर अमेरिका-रूस बिछड़े यार मिले? भारत चीन के रिश्ते पटरी पर आने लगे हैं,तो अमेरिका- रूस की दोस्ती परवाना चढ़ने पर आतुर!पूरी दुनियाँ एक होकर प्रेम भाईचारे से वसुधैव कुटुम्बकम यानें पूरा विश्व एक परिवार है,इस वचन पर चले तो पृथ्वी लोक का जन्नत होना तय!

-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425



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