नया सवेरा नेटवर्क
आज भारत में विपक्ष की जितनी पार्टियाँ हैं,चुनाव तो हार ही रही हैं,हताश भी बहुत हैं|ये हताशा ही है कि जब भी कोई बात करती हैं तो बिना शिर पैर की|जिसका कोई औचित्य नहीं होता है|इसीलिए ए हताश पार्टियाँ सत्ता पक्ष की बुराई करते करते देश की बुराई करने लगती हैंं|जिसका परिणाम यह हो रहा है कि धीरे धीरे ए सभी जनता की निगाह से उतरती जा रही हैं|वही सत्ताधारी भाजपा लोगों के दिल में वसती जा रही है|जिसका अभी अभी ताजा उदाहरण दिल्ली का चुनाव है|कांग्रेस सहित जितनी पार्टयाँ भाजपा विरोधी हैं,सबके सब मुद्दा विहीन हो गई हैं|सभी आपस में कहीं गठबंधन कर रही हैं तो कहीं अकेले ही लड़ रही हैं|इससे एक बात तो साफ है कि इनमें संगठनात्मक कमी है|सबके सब प्रमुख बनने की होड़ में हैं|सब एक दूसरे की टाँग खींच रहे हैं|कांग्रेस सबको दबा के साथ रखना चाहती है तो|सब कांग्रेस को दबा के अपना झंडा ऊँचा रखना चाह रहे हैं|इसीलिए एक ढंग का गठबंधन भी नहीं बन पा रहा है|वहीं भाजपा का भी गठबंधन है|जिसमें भाजपा ही सर्वोपरि है|और नरेन्द्र मोदी उस गठबंधन के सर्वमान्य प्रमुख हैं|इसीलिए भाजपा का गठबंधन पूरे देश में सफल भी है|और विपक्ष को हताशा में ढकेलते जा रहा है|
विपक्ष की हताशा देखिये|आतंकी मारे जाते हैं तो ए उनके समर्थन में धरना प्रदर्शन यहाँ तक की ऊच्चतम न्यायालय में उनकी फाँसी रुकवाने की अर्जी देते हैं|आधी रात को अदालत लगवा देते हैं|वहीं सैनिक या व्यापारी व आम जन मारे जाते हैं तो संवेदना तक नहीं व्यक्त कर पाते|घुसपैठिये भगाये न जायं इसलिए सरकार का विरोध करते हैं|भूल जाते हैं कि घुसपैठियों के चलते हमारे देश में परेशानी उत्पन्न हो रही है|जिससे देशवासियों पर संकट मॕडरा रहा है|घुसपैठ का समर्थन करना देशद्रोह ही कहा जायेगा|सर्जिकल स्ट्राईक से जहाँ पाकिस्तान की नींद हराम और विश्व में किरकिरी हो रही थी,वही हमारा विपक्ष अपनी ही सरकार से सबूत माँग कर अपनी किरकिरी करवा बैठी|जिससे उसकी हताशा स्पष्ट दिखाई पड़ती है|
इनकी हताशा का एक और नमूना देखिए|भारत जोड़ो यात्रा पर निकल पड़े|अब जनता सोंच में पड़ गई कि क्या पाकिस्तान बांग्लादेश फिर से भारत का हिस्सा हो जायेगा|लेकिन वहाँ जनता को निराश किए|जनता ने देखा कि ये भारत नहीं पार्टी जोड़ो यात्रा है|जो उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी पार्टियाँ एक साथ आईं|और नाम दिया गया इण्डिया गठबंधन|अब दूसरा नमूना देखिए|संविधान बचाओ यात्रा निकाले|और सभी संवैधानिक संस्थानो की विश्वसनियता पर प्रश्नचिन्ह लगाते रहे|अब जनता फिर सोचने लगी कि संविधान की बखिया तो खुद उधेड़ रहे हैं|तो बचाने किससे निकले हैं|यहाँ जनता नकार दी|
विपक्ष हताशा में जनहित के मुद्दे भूल गई|सबका बस एक ही नारा मोदी हटाओ|जनता पूँछती है क्यों ? तो किसी पास यह बताने की कूबत नहीं है कि मोदी को क्यों हटाया जाय|जबकी मुद्दा है|लेकिन हताशा में मुद्दा दिख नहीं रहा|शायद मोदी सरकार ने इन्हें अपना विरोध करने के लिए सम्मोहित सा कर लिया हो|विपक्ष चुनाव हारता है अपनी गलत नीतियों से|दोष मढ़ देता है ईवीएम पर|इससे जनता अपमानित महसूस करने लगती है|जिसका परिणाम यह होता है कि विपक्ष आने वाला चुनाव भी हार जाता है|और फिर खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे वाली कहावत सिद्ध करता है|और संवैधानिक संस्थानों को पूरे विश्व में बदनाम करता है|जिससे भारत की छवि खराब होती है|जिससे जनता को लगता है कि देश की छवि खराब करने वाला देशद्रोही ही हो सकता है|अब ऐसी ही कोई जनता होगी जो देश की बदनामी करने वालों के साथ खड़ी होगी|अपने देशविरोधी बयानों के चलते विपक्ष पिछड़ता जा रहा है|और भाजपा आगे बढ़ती जा रही है|विपक्ष मुद्दा ढूँढ़ नहीं पा रहा या पाकर उसे उठाना नहीं चाह रहा|मॕहगाई और बेरोजगारी मुद्दा है|लेकिन हताश विपक्ष इन दोनो मुद्दो पर चुनाव में मुखर होकर बात नहीं करता|जातिवाद का विरोध करता है|जातिगत जनगणना करवाने के लिए आंदोलन करता है|समझ में नहीं आ रहा कि विपक्ष जाति विरोधी है कि जातिवाद का समर्थक|
विपक्ष को यदि जनता के दिलों जगह बनाकर सत्ता के शिर्ष पर पहुँचना है तो सबसे पहले जनहित की बात सोंचे|जनता को सुख पहुँचाने वाले मुद्दों को प्रमुखता दें|आतंकियों को बचाने वाली प्रवृत्ति से दूरी बनायें|संवैधानिक संस्थानों पर भरोसा दिखायें|अदालत न बनें|पुलिस काम है पकड़ना|दोषी और निर्दोषी का फैसला न्यालय को करने दें|न्याय प्रणाली पर भरोसा दिखायें|भ्रष्टाचार का समर्थन न करें|भ्रष्टाचारियों को सजा दिलायें|लेकिन विपक्ष इसके उलट ही सब कार्य कर रहा है|हताशा में विपक्ष को सही गलत में फर्क ही नहीं समझ आ रहा है|
हताश विपक्ष का एक नमूना और देखिए|आज प्रयागराज में विश्व के लोग संगम में डुबकी लगाने पहुँच रहे हैं|सरकारी आँकड़े को यदि देखें तो 50 करोड़ से ऊपर लोग स्नान कर चुके हैं|दो एक अपवाद को छोड़ दें तो यह मेला विश्व का सबसे विहंगम मेला है|भारत की लगभग आधी आवादी एक छोटे से क्षेत्र में जमा हुई है|कई रिकार्ड ध्वस्त हो रहे हैं|विश्व अचम्भित है इस आयोजन से|सुरक्षाकर्मी बगैर हथियार के इतनी अपार भीड़ को नियंत्रित किए हुए हैं|एक घटना को छोड़ दिया जाय तो अब तक का सबसे शांतिपूर्ण और सफल आयोजन अपनी सम्पर्णता की तरफ बिना भेद भाव अग्रसर है|इसके बावजूद भी विपक्ष सिर्फ और सिर्फ सिद्दत से बदनाम करने पर लगा है|जिससे जनता में इनके प्रति रोष ही पनप रहा है|जनता इनकी कारगुजारियों को बड़ी बारीकी से देख समझ रही है|मगर ये जनता को नहीं समझ पा रहे हैं|इसलिए कहना पड़ रहा है कि आज का विपक्ष हारा तो है ही हताश भी है|
पं.जमदग्निपुरी