UP News : अधिवक्ताओं ने प्रस्तावित काले कानून के विरोध में डीएम को सौंपा ज्ञापन, की नारेबाजी | Naya Savera Network
निर्भय सक्सेना @ नया सवेरा
बरेली। अधिवक्ताओं ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित अधिवक्ता एक्ट संशोधन बिल 2025 को काला कानून बताते हुए इस कानून के विरोध में प्रदर्शन कर डीएम को ज्ञापन दिया। केन्द्र की मोदी सरकार अधिवक्ता एक्ट संशोधन बिल 2025 लागू करने जा रही हैं। इसी के विरोध में जिला बार एसोसिएशन ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिला बार के अधिवक्ता एक जुलूस के रूप में नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां बार अध्यक्ष मनोज हरित सचिव वो पी ध्यानी ने पांच सूत्रीय मांगों को लेकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। अधिवक्ताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि 25 फरवरी को पूरे देश में धरना प्रदर्शन होगा। और सरकार ने अगर नहीं सुनी तो फिर आंदोलन उग्र होगा।
यू पी बार काउंसिल के सदस्य शिरीष मेहरोत्रा ने कहा कि केंद्र सरकार जो कानून लाने जा रही है। ये एक काला कानून है, ऐसा तो अंग्रेजों ने भी नहीं सोचा था। यह तो बाबा साहब द्वारा बनाए गए संविधान की हत्या है। उन्होंने कहा कि हमेशा दो पक्ष होते है जिसमें एक जीतता है तो एक हारता है। ऐसे में हारने वाले वकील को 3 लाख रुपए देने पड़ सकते है। इसके अलावा हड़ताल पर भी रोक लगा दी गई है।
अधिवक्ताओं ने मांग कि है अधिवक्ता व उनके परिवार के लिए एडवोकेट प्राटेक्शन एक्ट का प्रावधान किया जाए। परिषदों में निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त कोई समाहित न किया जाये व उनके लोकतांत्रिक स्वरूप को यथावत रखा जाये। परिषद के सदस्यो या अस्तित्व पर सुझाये गये संशोधनों को समाप्त किया जाये। हम पूरे प्रदेश के अधिवक्ता मांग करते है कि प्रदेश के अधिवक्ताओं का 10 लाख का मेडिक्लेम व किसी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर 10 लाख की बीमां राशि प्रदान की जाये। पंजीकरण के समय प्रत्येक अधिवक्ता से लिये जा रहे 500 रुपए के स्टाम्प की राशि प्रादेशिक परिषदो स्थानीय बार को वापिस की जाये व राज्य सरकार द्वारा विधि एक, स्टाम्प की बिक्री से प्राप्त धनराशि का 2 प्रतिशत अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किया जाये। नियम बनाने का अधिकार पूर्व में जो एडवोकेटस् एक्ट में प्राविधानित था, उसको उसी प्रकार रखा जाये। केन्द्र सरकार द्वारा रेगूलेशन बनाने की जो बाते कही गयी है। उसे तुरन्त समाप्त किया जाये। अधिवक्ताओं का कहना है कि एडवोकेट अमेंडमेन्ट बिल 2025 को यदि वापिस नहीं लिया गया तो सभी अधिवक्तागण अपनी बार काउंसिल द्वारा बड़ा आंदोलन करेंगे।