Poetry: मेरी प्रिय हिंदी भाषा | Naya Savera Network
नया सवेरा नेटवर्क
मेरी प्रिय हिंदी भाषा
हिंदी है मेरी भाषा लिपि देवनागरी ,
देवों के नगर से आई देवनागरी,
ललित विस्तार एक बौद्ध ग्रंथ था,
नागलिपी से नगरी नाम पड़ा था,
अक्षरों के क्रम में वैज्ञानिक भी होती,
देवों के नगर से आई देवनागरी।
हिंदी भाषा बहुत मधुर है ,
सरल ,मनोहर ,सुंदरतम है,
हम भारतीयों की शान है हिंदी,
देवों के नगर से आई देवनागरी।
सबको बांधती एक डोर में,
विविध कलाओं को अपने छोर में,
सूर, तुलसी,जायसी की तान है हिंदी,
देवों के नगर से आई देवनागरी।
भाषा को जानना हमारा राष्ट्रधर्म है,
सुखमय जीवन के लिए करना सत्कर्म है,
जब कभी तूफानों में कश्ती फंसी होगी,
उस दिन बनेगी दृढ़ता से पतवार ये हिंदी।
वेदों की रक्षा करने ब्राह्मी थी आई,
संविधान में राजलिपी कहलाई,
देववाणी संस्कृत शोभा थी तब पाई,
चंद के रासो की टंकार है हिंदी।
अंबर में जब तक सूरज चांद चमके,
मेरी हिंदी भाषा के मल्हार रहे गूंजते,
हमारी अस्मिता व आन बान शान है हिंदी,
पन्नों के बीच आज शोभायमान है हिंदी।
अनामिका तिवारी "अन्नपूर्णा" ✍️